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Friday, 22 November, 2024
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हरियाणा में ESMA लागू, फिर भी 14 जनवरी से पूरी तरह हड़ताल पर जाएंगे डॉक्टर्स

डॉक्टरों की मांगें हैं कि SMO के पदों पर डायरेक्ट भर्ती न की जाए. मेडिकल सर्विसेज में स्पेशियलिटी काडर बनाया जाए और हरियाणा स्टेट मेडिकल कॉलेजों में पीजी में एडमिशन के लिए सर्विस डॉक्टरों के लिए रिजर्वेशन की व्यवस्था की जाए.

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नई दिल्लीः हरियाणा में कोविड के लगातार बढ़ते मामलों के बीच डॉक्टर्स हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं. हालांकि, मंगलवार को सरकार ने राज्य में एस्मा लागू कर दिया है. एस्मा लागू होने के बाद डॉक्टर के हड़ताल करने पर रोक होती है. लेकिन अपनी कई मांगों को लेकर डॉक्टरों ने 14 जनवरी से हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है. हालांकि, मंगलवार को भी ओपीडी बंद रखी गई थी लेकिन शुक्रवार से डॉक्टरों ने पूरी तरह से हड़ताल करने का फैसला किया है.

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने ट्वीट कर जानकारी दी थी कि एस्मा लागू होने के बाद डॉक्टर्स 6 महीने तक हड़ताल नहीं कर पाएंगे. उनका कहना था कि कोरोना महामारी के बीच कुछ डॉक्टर्स काम में बाधा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए उन्हें एस्मा लगाना पड़ा.

क्या हैं डॉक्टर्स की मांगे

आईएमए गुरुग्राम की सेक्रेटरी डॉ सारिका वर्मा ने बताया कि डॉक्टरों की मूल रूप से तीन मांगें हैं. पहली एसएमओ यानी सीनियर मेडिकल ऑफिसर के पदों पर डायरेक्ट भर्ती न की जाए. दूसरी हरियाणा मेडिकल सर्विसेज में स्पेशियलिटी काडर बनाया जाए और तीसरा हरियाणा स्टेट मेडिकल कॉलेजों में पीजी में एडमिशन के लिए सर्विस डॉक्टरों के लिए रिजर्वेशन की व्यवस्था की जाए.

SMO के पद पर न हो सीधी भर्ती

डॉ सारिका का कहना है कि एसएमओ की डायरेक्ट भर्ती किए जाने से हरियाणा में जो एमओ (मेडिकल ऑफिसर) पीएचडी और एमडी करने के बाद और लगभग 6 से 7 साल सेवाएं दे चुके हैं उनका प्रमोशन नहीं होता इससे वे एक लंबे समय तक उसी पद पर काम करते रहते हैं.

वहीं हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के गुरुग्राम के प्रेसिडेंट डॉ केशव शर्मा का कहना है कि. ‘एसमओ की सीधी भर्ती की वजह से 3-4 साल की ही सेवा देने के बावजूद भी डॉक्टर्स सीधा सीनियर पोस्ट पर आ जाएंगे. उन्होंने कहा कि इन भर्तियों के लिए कोई प्रतियागिता परीक्षा का भी प्रावधान नहीं है बल्कि सीधा इंटरव्यू के आधार पर भर्ती कर ली जाती है. इसलिए राजनेताओं और आईएएस वगैरह के रिश्तेदारों को इन पदों पर आसानी से नियुक्त कर दिया जाता है.’

हरियाणा में भी बने स्पेशियलिटी काडर

डॉ सारिका का कहना है कि हरियाणा में सिर्फ एमओ के पद के अन्तर्गत ही सभी डॉक्टरों को रखा जाता है चाहे उन्होंने पीजी कर रखी है या नहीं. जबकि मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, झारखण्ड इत्यादि राज्यों में भी स्पेशियलिटी काडर है, जिससे सर्विस पीरियड में डॉक्टरों को छुट्टी देकर पीजी करवाया जाता है और फिर वापस आने पर वैसी सेवा में लिया जाता है.

वहीं डॉक्टर केशव का कहना है कि, ‘स्पेशियलिटी काडर होने की वजह से लोगों को भी फायदा होगा, क्योंकि अभी तक सभी डॉक्टरों को गवर्नर, मुख्यमंत्री इत्यादि बड़े या संवैधानिक पदों के लोगों के साथ एंबुलेंस में ड्यूटी करनी होती है या वैसे भी अस्पतालों में पोस्ट मार्टम से लेकर अन्य सभी तरह के मेडिकल कामों में सहयोग करना होता है लेकिन स्पेशियलिटी काडर के बाद डॉक्टर्स स्पेशलिस्ट की तरह काम करेंगे और विशिष्ट रोगों के इलाज के लिए ही उनकी ड्यूटी लगेगी.’

हरियाणा स्टेट सर्विस डॉक्टर्स को मिले रिजर्वेशन

वहीं तीसरी मांग हरियाणा स्टेट मेडिकल कॉलेजों में सर्विस डॉक्टर्स के रिजर्वेशन का है. डॉक्टरों की मांग है कि राज्य में सेवारत डॉक्टर्स को हरियाणा स्टेट मेडिकल कॉलेज में पीजी में एडमिशन के लिए रिजर्वेशन मिलना चाहिए. डॉ केशव का कहना है कि, ‘इससे डॉक्टर्स को राज्य में नौकरी करने के लिए प्रोत्साहन भी मिलेगा क्योंकि राज्य में डॉक्टरों की भारी कमी है. उन्होंने कहा कि इस वक्त राज्य में कम से कम 10 हजार डॉक्टर्स की जरूरत है लेकिन अभी लगभग 3 हजार डॉक्टर्स ही हैं. ऐसे में खासकर कोविड के समय में मरीजों की देखभाल करने में काफी मुश्किल हो रही है.’

डॉक्टरों को एक्सटेंशन दिया जाना भी है समस्या

इसके अलावा एक मुद्दा वरिष्ठ डॉक्टरों को एक्सटेंशन दिए जाने का भी है. आईएमए जूनियर डॉक्टर्स नेटवर्क के नेशनल सेक्रेटरी डॉ करन जुनेजा के मुताबिक, ‘वरिष्ठ डॉक्टरों को एक्सटेंशन दिए जाने से एक तो जूनियर डॉक्टर्स को प्रमोशन नहीं मिल पा रही है दूसरा सीनियर डॉक्टर्स कोविड के समय में ठीक से ड्यूटी भी नहीं कर पा रहे, क्योंकि इनमें से कई डॉक्टर्स को डायबिटीज़ या अन्य बीमारियां है. जिनकी वजह से वे कोविड मरीजों की देखभाल में अपने को अक्षम बताते हैं.’

वहीं डॉ सारिका वर्मा ने कहा कि, ‘डॉक्टर्स को एक्सटेंशन दिया जा रहा है और उनकी उम्र व सैलरी भी काफी है. ऐसे में वे उम्र ज्यादा होने के कारण कोविड ड्यूटी भी नहीं कर पा रहे हैं, साथ ही इतने पैसे में कई जूनियर डॉक्टर्स की भर्ती हो सकती है जिससे कोविड मरीजों की देखभाल में भी मदद मिलेगी.’


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