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आज के फीचर कार्टून में संदीप अध्वर्यु चेतावनी दे रहे हैं कि पांच राज्यों के आगामी चुनावों में आयोजित की जा रही विशाल राजनीतिक रैलियां कोविड के वैरिएंट ओमीक्रॉन के लिए ‘बूस्टर’ हो सकती हैं जैसे वो पिछले साल डेल्टा के लिए थीं.
ईपी उन्नी प्रतियक्ष रूप से इस मुद्दे पर अपनी बात रख रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि चुनाव को सुरक्षित बनाने के लिए राजनीतिक पार्टियां कोविड के प्रोटोकोल और गाइडलाइंस का पालन करेंगी.
कीर्तिश भट्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट पर सरकार से चुनावी राज्यों में बढ़ती महामारी के बीच रैलियों को रोकने के आग्रह के बारे में बात की है. जजों ने कहा ‘जान है तो जहान है’ लेकिन एक आम आदमी उन्हें राजनेताओं को समझाने के लिए इसे संशोधित कर ‘मतदाता हैं तो चुनाव है’ के लिए कहता है.
आलोक निरंतर, हरिद्वार की धर्म संसद में अल्पसंख्यक के खिलाफ दिए गए नफरती भाषण को उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए ‘बूस्टर’ डोज बता रहे हैं.
मंजुल ने भी हरिद्वार ‘धर्म संसद’ की ओर इशारा किया है जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को नफरत की लहरों पर दिखाते हुए अभद्र भाषा पर अंकुश लगाने के लिए जुबानी बातें करते दिखाया है.
आर. प्रसाद सवाल कर रहे हैं कि बलबीर सिंह राजेवाल का अपने नेतृत्व में संयुक्त समाज मोर्चा बनाकर 22 किसान संघों के लिए राजनीतिक कदम उठाने का क्या मतलब है?
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