नई दिल्ली: हैदराबाद के सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि ‘तथाकथित धर्मनिरपेक्ष’ पार्टियों के नेता अब यह साबित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दौड़ में लगे हैं कि वे उनसे भी बड़े हिंदू हैं.
ओवैसी, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश की यात्रा कर रहे हैं और पहले ही राज्य में अगले साल के विधानसभा चुनाव में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने के अपने इरादे की घोषणा कर चुके हैं, उन्होंने यह भी कहा कि वह कांग्रेस और भाजपा के अलावा किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं.
ओवैसी ने दिप्रिंट को दिए एक विशेष इंटरव्यू में कहा, ‘धार्मिक स्थलों पर जाना तो अच्छी बात है, लेकिन चुनाव से ठीक पहले ऐसा करना और फिर इसका मीडिया में ढिंढोरा पीटना कई सारे सवाल खड़े करता है. खास तौर पर यह सब 2014 से भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ही किया जा रहा है.’
एआईएमआईएम प्रमुख ने यह भी कहा कि अब नैरेटिव केवल ‘नरम हिंदुत्व’ तक सीमित नहीं है.
ओवैसी ने बताया कि पहले भाजपा जो कर रही थी, अब अन्य तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों ने उसकी हूबहू नक़ल करना शुरू कर दिया है. सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि अब लड़ाई मतदाताओं को यह दिखाने की है कि कौन बड़ा हिंदू है, नरेंद्र मोदी या धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करने वाली पार्टी के ‘फलां’ नेता. यह सब नरम या कठोर हिंदुत्व के बारे में नहीं है, यह हिंदुत्व है और पूरी कशमकश सिर्फ यह दिखाने की है कि सबसे बड़ा हिंदू कौन है. दिवंगत अरुण जेटली ने एक बार कहा था, ‘जब आपके पास असल चीज है, तो आपको इसके नक़ल (क्लोन) की आवश्यकता क्यों है? मुझे उम्मीद है कि ये लोग इसे समझेंगे.‘
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कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के मंदिर-मंदिर भ्रमण से लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा गोमती नदी के किनारे एक भव्य विश्वकर्मा मंदिर बनवाने के वादे तक, मंदिर अब उत्तर प्रदेश में नए जंग के मैदान जैसे बन गए हैं.
दूसरी तरफ, एक बड़ी राष्ट्रीय भूमिका निभाने की तलाश में जुटी हुई पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी हालिया मुंबई यात्रा के दौरान कैमरों की पूरी चकाचौंध में सिद्धि विनायक मंदिर में दर्शन-पूजन किया, जबकि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम मे अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की नकल के सामने दिवाली उत्सव आयोजित किया था.
‘कांग्रेस और बीजेपी को छोड़कर किसी के भी साथ गठबंधन के लिए तैयार‘
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा एआईएमआईएम के साथ गठबंधन से इनकार किये जाने के कुछ दिनों बाद, ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर किसी भी दल के साथ गठबंधन के लिए तैयार है.
पिछले कई सालों में, एआईएमआईएम अपने गृह राज्य तेलंगाना के बाहर भी कई राज्यों के चुनावी मैदान में उतर रही है – 2019 के चुनावों में तो इसने महाराष्ट्र में एक लोकसभा सीट भी जीती थी.
फ़िलहाल इसके रडार पर मौजूद नवीनतम राज्य उत्तर प्रदेश है, जहां यह पार्टी 100 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह किसी अन्य दल के साथ गठबंधन करती है या नहीं या फिर वह दल कौन-सा जिसके साथ यह गठबंधन करती है.
उन्होंने कहा, ‘हम यूपी में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा किसी भी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं. उस पार्टी (सपा) या किसी अन्य पार्टी के साथ ऐसा होता है या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा. लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता ने तो अब सार्वजनिक रूप से कह दिया है कि वह एआईएमआईएम के साथ गठबंधन में शामिल नहीं होंगे.’
ओवैसी आगे कहते हैं, ‘मुझे चुनाव तो लड़ना है क्योंकि मैं इसके लिए अपनी पार्टी के सदस्यों और हमारे लिए काम करने वाले संगठन के प्रति बाध्य हूँ. मैं किसी गठबंधन के आकार लेने तक का इंतजार नहीं कर सकता. इसका मतलब यह नहीं है कि हम गठबंधन नहीं चाहते हैं या हमारी ऐसी कोई इच्छा नहीं है.‘
उन्होंने यह भी कहा कि उन पर अक्सर जो आरोप लगाया जाता है वह यह है कि वे ‘धर्मनिरपेक्ष’ वोटों को विभाजित करके भाजपा को लाभ पहुंचाते है, लेकिन यह बिना ठोस आंकड़ों (एम्पिरिकल डेटा) के साथ लगाया जाता है. यह पूरी तरह से झूठ है. लेकिन लोगों को पता होना चाहिए कि कौन गठबंधन चाहता है और कौन नहीं, ताकि चुनाव के बाद ये सब बातें न कही जाएं.’
पांच साल पहले, जब ओवैसी की पार्टी ने यूपी में 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था, तब एआईएमआईएम को दो सीटों को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर अपनी जमानत गंवानी पड़ी थी. तब से बहुत कुछ बदल गया है. ओवैसी का कहना है कि अब उनका संगठन उन्हें यह विश्वास दिलाता है कि वह अपना वोट शेयर (मत प्रतिशत) बढ़ाने में सफल होंगे.
ओवैसी कहते हैं, ‘पिछले तीन से चार सालों में हमने स्थानीय निकाय और जिला परिषद चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है. हमारा संगठन काफी बेहतर है. इस बार हमें कुछ सीटें जीतने की उम्मीद है, हमें अपना वोट-शेयर बढ़ने की भी उम्मीद है.’
‘अखिलेश की जिन्ना वाली टिप्पणी एक बड़ी भूल‘
ओवैसी ने सपा के साथ गठबंधन के प्रति अपना खुला रवैया ज़ाहिर करने के बावजूद यह भी कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में अखिलेश यादव की टिप्पणी एक बड़ी भूल थी. इस टिप्पणी ने भाजपा को वह सब कहने का मौका दिया जो वे कहना चाहते थे’.
अखिलेश ने जिन्ना, महात्मा गांधी और सरदार पटेल के बारे में एक स्वर में बात करते हुए कहा था कि इन तीनों ने भारत को आजादी दिलाने में काफी मदद की थी .
ओवैसी ने कहा, ‘मेरी राय में, सपा अध्यक्ष को जिन्ना के बारे में बात करने की कोई जरूरत नहीं थी और वह भी सरदार वल्लभ भाई पटेल की सालगिरह के मौके पर. ऐतिहासिक रूप से वे दो एकदम अलग विचारधारा वाले दो अलग-अलग व्यक्तित्व हैं. मुझे नहीं पता कि सपा अध्यक्ष को यह सलाह किसने दी, लेकिन यह उनकी ओर से हुई एक बड़ी गलती थी, जिसने भाजपा को वह सब कहने के लिए एक बड़ा अवसर दिया जो वो कहते हैं.‘
उन्होंने यह भी कहा कि जिन्ना वाला विवाद असली मुद्दों को चर्चा से दूर करता जा रहा है. वे कहते हैं ‘यूपी में अब असली मुद्दा बढ़ती कीमतें हैं. किसानों को गन्ने की कीमत नहीं मिल रही है, पेट्रोल डीजल, गैस सिलेंडर, सरसों के तेल के ऊंचे दाम – ये सब महत्वपूर्ण मुद्दे हैं. बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ी है. अगर विपक्षी दल वाकई बीजेपी को हराना चाहते हैं तो इन मुद्दों के बारे में बात करें. अगर आप ऐसे मुद्दों (जिन्ना जैसे) को उठाते हैं, तो आप मेरी राय में आप बीजेपी की मदद ही कर रहे हैं.‘
ममता का गैर-कांग्रेसी संपर्क अभियान एक ‘पॉपकॉर्न‘ मोमेंट
ओवैसी, जिन्होंने हाल ही में पश्चिम बंगाल चुनावों में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, उन्होंने गैर-कांग्रेसी विपक्षी गठबंधन का आधार बिंदु बनने के उनकी पार्टी की कोशिश का मज़ाक उड़ाया.
वे कहते हैं, ‘यह मेरे लिए एक पॉपकॉर्न मोमेंट जैसा है. कांग्रेस द्वारा ममता को भाजपा की ‘बी टीम’ कहा जाना और जवाब में ममता का कांग्रेस को भाजपा का मजबूत पॉइंट बताना; यह सब सुन कर मुझे बहुत मजा आ रहा है. काफी लंबे समय तक यह सब आरोप मुझ पर लगाए जाते रहें हैं.’
उन्होंने तृणमूल के गोवा की राजनीति में प्रवेश और इस पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया की तुलना पश्चिम बंगाल में उनकी अपनी पार्टी के चुनाव लड़ने और उस समय बनर्जी की प्रतिक्रिया से की थी.
ओवैसी कहते हैं, ‘जब मैं पश्चिम बंगाल आया, तो जो बातें कही गईं, वे कुछ इस तरह से थीं :- ‘तुम हो कौन? आप हैदराबाद के रहने वाले हैं, यहां किसलिए आए हैं? अब जब टीएमसी गोवा जा रही है, तो कांग्रेस ठीक उसी तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रही है. लेकिन यही तो लोकतंत्र की खूबसूरती है. जितने अधिक राजनीतिक दल होंगे उतना ही यह मतदाताओं के लिए बेहतर होगा. उनके पास और अधिक विकल्प होंगे.’
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