कोहिमा: नागालैंड के मोन जिले में असैन्य नागरिकों पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मरने वालों की संख्या को लेकर सोमवार को भ्रम की स्थिति बनी रही जब एक आदिवासी संगठन ने दावा किया कि घटना में 17 लोग मारे गए लेकिन बाद में संगठन ने मृतकों की संख्या को संशोधित कर 14 कर दिया गया.
हालांकि, पुलिस शुरू से दावा करती रही कि शनिवार और रविवार को हुई गोलीबारी की अलग-अलग घटनाओं में 14 असैन्य नागरिक मारे गए.
बता दें कि सेना के जवानों ने शनिवार शाम को एक पिकअप वैन में घर लौट रहे कोयला खदान कर्मियों को प्रतिबंधित संगठन एनएससीएन (के) के युंग आंग गुट से संबंधित उग्रवादी समझ कर उनपर गोलीबारी की इसमें छह नागरिकों की मौत हो गई.
जब मजदूर अपने घरों को नहीं लौटे तो स्थानीय युवक और ग्रामीण उनकी तलाश में गए और सेना के गाड़ियों को घेर लिया गया. इसके बाद हुई झड़प में एक सैनिक की मौत हो गई और कई वाहन जला दिए गए. सैनिकों ने आत्मरक्षा में गोलियां चलाईं जिसमें सात असैन्य नागरिकों की मौत हो गई.
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पुलिस ने कहा कि दंगा रविवार दोपहर तक खिंच गया जब गुस्साई भीड़ ने यूनियन के कार्यालयों और इलाके में असम राइफल्स के शिविर में तोड़फोड़ की और इसके कुछ हिस्सों में आग लगा दी गई. सुरक्षा बलों ने हमलावरों पर जवाबी गोलीबारी की जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई.
जिले में शीर्ष आदिवासी संगठन, कोन्याक यूनियन ने शुरू में दावा किया था कि गोलीबारी में 17 असैन्य नागरिक मारे गए थे लेकिन बाद में उसने मृतकों की संख्या को संशोधित कर 14 बताया.
इस बीच, आदिवासी संगठनों, नागरिक संस्थाओं और छात्र संगठनों ने अचानक एक कदम उठाते हुए सोमवार को राज्य भर में छह से 12 घंटे तक की विभिन्न अवधियों का बंद आहूत किया.
प्रभावशाली नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) ने पांच दिनों के शोक की घोषणा की है. साथ ही आदिवासियों से इस अवधि के दौरान किसी भी उत्सव में भाग नहीं लेने के लिए कहा है.
अधिकारियों ने कहा कि 28 घायलों में से छह की हालत गंभीर बताई जा रही है और उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने दिल्ली पहुंचे नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो और उपमुख्यमंत्री वाई पैटन रविवार को वापस लौट आए और अब स्थिति का जायजा लेने के लिए मोन के लिए रवाना हो गए हैं.
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