मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) को निर्देश दिया कि वह वरवर राव की नानावती अस्पताल में मेडिकल जांच कराए ताकि यह पता चल सके कि वह किसी बीमारी से पीड़ित हैं या नहीं.
अदालत ने तलोजा जेल अधिकारियों के सामने राव के समर्पण करने की तारीख 18 दिसंबर तक बढ़ा दी है. हाई कोर्ट के पिछले आदेश के मुताबिक राव का 18 नवंबर को मेडिकल जांच होनी थी लेकिन एनआईए ने शुक्रवार को अदालत को बताया कि अभी मेडिकल जांच होनी बाकी है.
एनआईए के वकील संदेश पाटिल ने कहा कि मेडिकल जांच में देरी इसलिए हुई क्योंकि 83 वर्षीय राव की जांच कई डॉक्टर करते हैं और वह ‘अदालत के आदेश का फायदा उठाकर’ अपने पूरे शरीर की समग्र जांच कराते हैं. पाटिल ने कहा, ‘इससे पहले मेडिकल जांच का अनुरोध करते समय उन्होंने (राव) कैटरैक्ट, हर्निया और अपेंडिक्स की शिकायत की थी. अब एपेंडिक्स और हर्निया ठीक हो गया है और सिर्फ कैटरैक्ट बचा है लेकिन वह अदालत के आदेश का फायदा उठाकर सभी तरह की जांच कराने की कोशिश करते हैं.’
जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस एस वी कोतवाल की बेंच ने एनआईए की दलील पर सवाल खड़ा किया और कहा कि एजेंसी को व्यावहारिक रवैया अपनाना चाहिए और राव की उम्र का लिहाज करना चाहिए.
अदालत ने कहा, ‘यहां मुद्दा यह देखना है कि वह अब भी बीमार हैं या नहीं और उन्हें मेडिकल जमानत की जरूरत है या नहीं. उनकी उम्र का लिहाज कीजिए. मान लीजिए कि मेडिकल जांच में कुछ सामने आ जाता है तब आप (एनआईए) क्या करेंगे.’
वरवर राव एल्गार-परिषद मामले में आरोपी हैं और इस साल फरवरी में उन्हें स्वास्थ्य कारणों से अस्थायी जमानत मिल गई थी. उन्हें पांच सितंबर को जेल प्राधिकारियों के सामने समर्पण करना था लेकिन इससे पहले ही उन्होंने अधिवक्ता आर सत्यनारायणन और वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर के माध्यम से जमानत की अवधि बढ़ाने का अदालत से अनुरोध किया. उनका कहना था कि उनका स्वास्थ्य अभी भी ठीक नहीं है और अगर उन्हें जेल वापस भेजा जाता है तो उनकी स्थिति वैसी ही हो सकती है जैसी कि जमानत दिए जाने के वक्त थी. इसके बाद से राव की जमानत की अवधि बढ़ती रही है.
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