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Saturday, 16 November, 2024
होमहेल्थदक्षिण अफ्रीका में सामने आया नया कोविड वैरिएंट, यह भारत में भी 'गंभीर' चिंता का विषय बना

दक्षिण अफ्रीका में सामने आया नया कोविड वैरिएंट, यह भारत में भी ‘गंभीर’ चिंता का विषय बना

न्यू वैरिएंट, बी.1.1.529, दक्षिण अफ्रीका में दो हफ्ते से भी कम समय में तेजी से फैल रहा है. भारत में अभी तक कोई मामला सामने तो नहीं आया है लेकिन इसे लेकर वैज्ञानिकों और केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने चिंता जताई है.

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नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 का एक नया वैरिएंट सामने आया है और वैज्ञानिकों का कहना है कि देश के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत गौतेंग में युवाओं में इसका तेजी से फैलना एक चिंता का विषय है. देश के स्वास्थ्य मंत्री जो फाहला ने यह जानकारी दी.

कोरोना के नए वैरिएंट के दक्षिण अफ्रीका में तेजी से पांव फैलाने की रिपोर्ट को देखते हुए समाचार एजेंसी एएनआई ने एएफपी के हवाले से कहा है कि कोविड के पिछले भयानक स्वरूप को देख चुके देशों ने बहुत तेजी से कदम उठाया है. जर्मनी, ईरान और ब्रिटेन ने तो दक्षिण अफ्रीका से आने वाली फ्लाइट, ट्रेवलर्स और आगंतुकों पर रोक लगा दी है.

ब्रिटेन ने नए वैरिएंट के खतरे को देखते हुए अफ्रीका के 6 देशों से आने वाली फ्लाइट्स पर रोक लगा दी है. इनमें दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, बोत्सवाना, जिंबाब्वे, लिसोथो और एसवाटिनी शामिल हैं.

कोरोनावायरस संक्रमण फैलने के साथ ही अपना रूप बदलता रहता है और इसके नए स्वरूप सामने आते हैं, जिनमें से कुछ काफी घातक होते हैं लेकिन कई बार वे खुद ही खत्म भी हो जाते हैं. वैज्ञानिक उन संभावित स्वरूपों पर नजर रखते हैं, जो अधिक संक्रामक या घातक हो सकते हैं. वैज्ञानिक यह भी पता लगाने की कोशिश करते हैं कि क्या नया स्वरूप जन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है या नहीं.

फाहला ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. उन्होंने ऑनलाइल संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘पिछले चार-पांच दिन में मामले काफी बढ़े हैं. नए स्वरूप के सामने आने के कारण मामले बढ़ रहे हैं.’

उन्होंने बताया कि इस नए नस्वरूप की पहचान बी.1.1.529 के तौर पर हुई है, जो दक्षिण अफ्रीका से आए यात्रियों में बोत्सवाना और हांगकांग में भी पाया गया है.

ब्रिटिश साइंटिस्ट्स ने भी दक्षिण अफ्रीका के नए वैरिएंट को लेकर चेतावनी दी. इसमें 32 म्यूटेशन हो रहे हैं, जिस वजह से वैक्सीन भी इसके खिलाफ कारगर नहीं है.

बी.1.1.529 वैरिएंट अपने स्पाइक प्रोटीन में बदलाव कर काफी तेजी से फैल रहा है.

दक्षिण अफ्रीका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफेक्शियस डिजीज ने बताया- देश में इस वैरिएंट के अब तक 22 मामले मिले है. वैज्ञानिकों ने इसे बी.1.1.529 नाम दिया है.

इसे वैरिएंट ऑफ सीरियस कंसर्न बताया है.

डब्ल्यूएचओ में कोरोना मामले की तकनीकी प्रमुख डॉ. मारिया वान केरखोव ने कहा- हमें इस वैरिएंट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिली है. मल्टीपल म्यूटेशन की वजह से वायरस के बिहेवियर में बदलाव हो रहा है और यह चिंता की बात है.


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चौकन्ना हुआ भारत

फिलहाल भारत में इस वैरिएंट ने दस्तक नहीं दी है लेकिन गुरुवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा है जिसमें स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि बोत्सवाना (तीन मामले), दक्षिण अफ्रीका (छह) और हांगकांग (एक) में बी 1.1.529 संस्करण के कई मामले सामने आए हैं. और हमें सावधान रहने की जरूरत है.

उन्होंने लिखा, ‘इस वैरिएंट में काफी अधिक संख्या में म्यूटेशन होने की सूचना है, और ऐसे में हाल ही में जो हमने वीजा प्रतिबंधों और अंतरराष्ट्रीय यात्रा को खोलने में ढिलाई दी है इससे देश को एक बार फिर से गंभीर स्वास्थ्य समस्या से जूझना पड़ सकता है.

भूषण ने सभी राज्यों को आगाह करते हुए लिखा है कि रिस्क वाले देशों से आने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिए गए गाइड लाइन के अनुरूप स्क्रीनिंग किए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी कहा है कि इन अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के संपर्कों को भी बारीकी से ट्रैक और परीक्षण किया जाएगा.

पॉजिटिव पाए जाने वाले यात्रियों के नमूने जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजे जाएंगे, ताकि भारत में वैरिएंट की उपस्थिति का पता चलने पर आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय किए जा सकें.

दक्षिण अफ्रीका की आबादी करीब छह करोड़ है और यहां कोविड-19 के 29 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं. वहीं, संक्रमण से 89,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है.

डब्ल्यूएचओ दक्षिण अफ्रीका में मिले कोविड-19 वायरस के स्वरूप पर शुक्रवार को करेगा बैठक

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस के नए स्वरूप बी.1.1.529 पर नजर रखे हुए है और शुक्रवार को ‘विशेष बैठक’ करेगा जिसमें विचार किया जाएगा कि बहुत अधिक बदलाव से पैदा हुए स्वरूप को ‘चिंतित करने वाले स्वरूप’ की सूची में डाला जाए या नहीं. और वह यह तय कर सकता है कि इसे यूनानी वर्णमाला से नाम दिया जाए या नहीं.


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