शिलांग: मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा, जिन्होंने हाल हीं कांग्रेस छोड़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का रुख किया है, ने दिप्रिंट को बताया कि उनकी पूर्व पार्टी के पास अब चुनावी लड़ाई लड़ने और जीतने की प्रतिबद्धता या जज्बा नहीं बचा है.
संगमा मेघालय के उन 17 में से 12 कांग्रेस विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने इस बुधवार को टीएमसी का दामन थाम लिया था
दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार में, मेघालय के दो बार के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के पूर्व राज्य प्रमुख ने कहा कि पार्टी अपने नेताओं की क्षमता के अनुकूल उनका उपयोग करने में विफल रही है.
संगमा ने कहा, ‘आप अपने आप को एक ऐसे राजनीतिक दल के रूप में परवर्तित नहीं कर सकते जो किसी राज्य में महत्वहीन हो जाये. आपको अपने प्रतिद्वंदी राजनीतिक दलों का सामना करने में सक्षम होने की आवश्यकता है. यदि आप मान रहे हैं कि आप केवल चुनाव में भाग ले रहे हैं, तो यह आपको उस उद्देश्य को प्राप्त करने में कैसे सक्षम बनाएगा?.’
संगमा ने 2018 के विधानसभा चुनावों की ओर इशारा किया जब कांग्रेस 60 सदस्यीय मेघालय विधानसभा में 21 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी.
उन्होंने कहा, ‘2018 में मेघालय में केवल कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी थी जो सरकार बना सकती थी. लेकिन हम ऐसा नहीं कर सके, क्योंकि चुनावी लड़ाई लड़ने और इसे जीतने के प्रति प्रतिबद्धता और जज्बा सिरे से गायब थी.’
अंततः, नेशनल पीपुल्स पार्टी, जिसके पास सिर्फ 20 सीटें थीं, ने यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट, बीजेपी, हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (दो सीटें) और दो निर्दलीय विधायकों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई.
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2018 में कांग्रेस ने अपने एक विधायक मार्टिन एम् डांगगो द्वारा अपना पद छोड़ने के बाद राज्य में सबसे बड़ी पार्टी का अपना तगमा भी खो दिया. फिर पिछले महीने हुए उपचुनाव में एनपीपी कांग्रेस से तीन और सीटें छीनने में कामयाब रही.
‘समान विचारधारा वाले लोग एक साथ आ रहे हैं’
तृणमूल कांग्रेस में जाने के अपने सफर के बारे में पूछे जाने पर संगमा ने कहा, ‘हम वास्तव में चीजों की तलाश कर रहे थे, और दरअसल यह पता लगाने की पूरी कोशिश कर रहे थे कि शायद भारत की सबसे पुरानी पार्टी (कांग्रेस) के भीतर ही कुछ नया संभव हो सकता है. लेकिन हमने देखा कि चीजें बदलने वाली नहीं हैं.’
अपने इन सवालों का उत्तर खोजने की दिशा में किये गए व्यापक प्रयास के दौरान, संगमा ने राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर सहित कई नेताओं से मुलाकात की.
उन्होंने कहा, ‘मैंने प्रशांत किशोर से भी मुलाकात की और हम इस बारे में सोच रहे थे कि कैसे हम कांग्रेस नेतृत्व के मन मस्तिष्क पर कोई प्रभाव डाल सकते हैं. अंत में उन्होंने भी हार मान ली, लेकिन इस बीच हमारे दिमाग जुड़ चुके थे.’
किशोर, जिनकी राजनीतिक सलाहकार संस्था इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आई-पैक) को 2021 के विधानसभा चुनावों में मदद के लिए टीएमसी द्वारा अनुबंधित किया गया था, अब ममता बनर्जी की पार्टी को पूर्वोत्तर और अन्य राज्यों में अपनी राजनीतिक पहचान का विस्तार करने में मदद कर रहे हैं.
काफी सारी चर्चाओं और 2021 के पश्चिम बंगाल चुनावों, जिसमें इस राज्य में अपनी महत्वपूर्ण पैठ बनाने की उम्मीद कर रही भाजपा को टीएमसी ने करारा झटका दिया था, के बाद इस निर्णय को पुख्ता आधार दिया गया.
संगमा कहते हैं, ‘मैं ममता बनर्जी को तब से जनता हूं, जब वह कांग्रेस में थीं, हम उन्हें काफी गौर से देख रहे हैं..वह जो कहती हैं वह करती हैं. वह समान विचारधारा वाले लोगों के एक साथ आने और उनके द्वारा अपने विचारों और ताकत को एककृत कर अखिल भारतीय आधार पर किसी एजेंडे, जो पश्चिम बंगाल की सीमाओं तक ही सीमित न हो, को हासिल करने के प्रति खुले दिमाग से तैयार है, … यही कारण है कि हमने ऐसा फैसला किया. ‘
इस सवाल के जवाब में कि क्या उन्होंने भाजपा में शामिल होने का विचार किया था, उन्होंने कहा, ‘भाजपा को इस बारे में अपना दृष्टिकोण बदलना होगा कि वह भारत को किस तरह देखते हैं . इस देश की विशाल विविधता को ध्यान में रखते हुए उनमें सामंजस्य की भावना भी होनी ही चाहिए.’
कांग्रेस के प्रति असंतोष
विंसेंट एच. पाला की राज्य पार्टी प्रमुख के रूप में नियुक्ति के बाद से ही पिछले कुछ महीनों के दौरान संगमा का कांग्रेस के प्रति असंतोष विशेष रूप से स्पष्ट नजर आ रहा था. इसके बाद पार्टी में अंदरूनी विवाद शुरू हो गया था, जिसके कारण अक्टूबर की शुरुआत में राहुल गांधी की यहां की यात्रा हुई थी.
बे कहते हैं, ‘मैं इतने लंबे समय से राजनीति में हूं. लेकिन अचानक मैंने देखा कि किसी ऐसे व्यक्ति को इतनी जटिल भूमिका दी जा रही है जिसे राजनीति में अपने पारी शुरू किये हुए पांच साल भी पुरे न हुए हों. आप इस तरह की पार्टी का निर्माण नहीं कर सकते. वे अपने काम में शानदार हो सकते हैं… लेकिन राजनीति एकदम अलग सा खेल है.’
राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस की मौजूदा स्थिति के बारे में बोलते हुए संगमा ने कहा, ‘यदि आप अपने हाथ का उपयोग नहीं करते हैं, तो इसमें कमजोरी आ जाएगी … आप उम्र के बढ़ने की प्रक्रिया को रोकने में तो सक्षम नहीं हो सकते हैं, लेकिन आप इसके बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में जरूर सक्षम हो सकते हैं. चीजों को करने के अपने तरीके होते हैं. इसलिए मुझे लगता है कि राजनीति में भी आपको वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना होगा.’
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