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Wednesday, 20 November, 2024
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कॉलेज, एक्सप्रेसवे, एयरपोर्ट्सः क्यों BJP ‘पूर्वांचल विकास मॉडल’ के साथ पूर्वी UP की ओर देख रही है

पिछले एक महीने में PM ने UP के तीन दौरे किए हैं, जिनमें सबसे ताज़ा दौरा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उदघाटन के लिए था. गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसी महीने, अपने दौरे पर कई परियोजनाओं की शुरूआत की.

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लखनऊ: पिछले शुक्रवार तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों को वापस लेने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान को, व्यापक रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी खोई हुई ज़मीन फिर से हासिल करने की, बीजेपी की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. लेकिन, पश्चिम यूपी में किसी भी झटके की भरपाई के लिए, पार्टी पहले से ही उस रणनीति पर मेहनत कर रही है, जिसे राजनीतिक विश्लेषक और नेता, उसका ‘पूर्वांचल विकास मॉडल’ बता रहे हैं.

प्रधानमंत्री पहले ही पिछले एक महीने में पूर्वी यूपी के तीन दौरे कर चुके हैं, जिनमें सबसे ताज़ा दौरा 16 नवंबर को, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उदघाटन के लिए था. इससे पहले वो कुशीनगर और सिद्धार्थ नगर गए थे, जहां उन्होंने क्रमश: एक हवाई अड्डे और एक मेडिकल कॉलेज का उदघाटन किया था. अपेक्षा की जा रही है कि वो जल्द ही, काशी कॉरिडोर परियोजना के उदघाटन के लिए वाराणसी जाएंगे.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसी महीने, पूर्वी यूपी के अपने दौरे के दौरान, कई सरकारी परियोजनाओं की शुरुआत की, और उनके फिर से वहां जाने की अपेक्षा है. मोदी और शाह के बार-बार दौरे और क्षेत्र की ‘विकास’ परियोजनाओं को दिए गए ज़बर्दस्त मीडिया प्रचार से, यूपी में चुनाव आने के समय बीजेपी के पास दिखाने के लिए बहुत कुछ होगा.

28 ज़िलों में फैली 164 असेम्बली सीटों (यूपी की कुल 403 सीटों में) के साथ, पूर्वांचल क्षेत्र प्रदेश चुनावों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. संयोग से यहां मोदी (वाराणसी) और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (सांसद के रूप में उनके पिछले कार्यकाल में गोरखपुर) का चुनाव क्षेत्र भी है.

2017 के प्रदेश चुनावों में बीजेपी ने पूर्वांचल में भारी जीत हासिल की थी, और 164 में से 115 सीटों पर विजयी रही थी, जबकि समाजवादी पार्टी (एसपी) के हिस्से में 17, बीएसपी को 15, कांग्रेस को दो, और अन्य को 15 सीटें मिलीं थीं.

UP में ‘हमारे कैंपेन की आत्मा’

पूर्वी यूपी में पार्टी के कार्यक्रम को देखने वाले एक वरिष्ठ बीजेपी पदाधिकारी ने कहा कि चुनावी लड़ाइयां ‘नैरेटिव और अवधारणा’ पर टिकी होती हैं, और लोगों के बीच अपनी परियोजनाओं और स्कीमों को बढ़ाने के लिए, पार्टी कड़ी मेहनत कर रही है.

पदाधिकारी ने कहा, ‘पूर्वांचल हमारे प्रचार की आत्मा है, और हमें यहां पहले से ज़्यादा अंतर से जीतना है.’ नेता के अनुसार, पार्टी इस इलाक़े में ग़ैर-यादव ओबीसी बीजेपी समर्थकों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है.

नेता ने कहा, ‘ओम प्रकाश राजभर (पूर्व बीजेपी सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता) एसपी गठबंधन में शामिल हो गए हैं, लेकिन उनकी जाति के वोटों का झुकाव बीजेपी की तरफ है. हमने वहां एक समानांतर नेतृत्व खड़ा कर दिया है’.

‘इसी तरह दूसरे ग़ैर-यादव ओबीसीज़ जैसे मौर्या, चौहान (नुनिया), निषाद, बींद, कुर्मी, प्रजापति आदि हमारे साथ हैं. हमारी पार्टी ने उन्हें प्रतिनिधित्व दिया है’.

नेता ने आगे कहा कि यूपी में सात छोटी पार्टियों ने पहले ही, बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया है. ‘अब वहां हमारे साथ भारी समर्थन है. हम एक भारी जीत के लिए तैयारी कर रहे हैं’.

यूपी के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह, जिनका चुनाव क्षेत्र सिद्धार्थ नगर ज़िले में है, ने कहा कि राज्य सरकार ने अपनी विकास परियोजनाओं के साथ, ‘पूर्वांचल की छवि बदल दी है’.

‘जहां से मैं आता हूं उसे यूपी के सबसे पिछड़े ज़िलों में शामिल किया जाता है. 2017 से पहले स्वास्थ्य, शिक्षा, और रोज़गार वहां मुख्य चुनौतियां थीं. अब हमारे यहां सिद्धार्थनगर में एक मेडिकल कॉलेज है. मैंने हाल ही में अपने चुनाव क्षेत्र में भी, एक सरकारी अस्पताल का उद्घाटन किया है. बिजली और सड़क संपर्क की स्थिति भी पहले से बेहतर हो गई है.’

यूपी बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, कि पार्टी राज्य में एक क्षेत्रवार रणनीति का दृष्टिकोण लेकर चल रही है.

उन्होंने आगे कहा, ‘चुनाव के नज़रिए से मैं समझता हूं, कि ‘मिशन पूर्वांचल’ से जुड़े हमारे कार्यों के पूरा होने के बाद, पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर ध्यान देना शुरू करेगी. पूर्वांचल हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, और विकास की दृष्टि से भी मध्य और पश्चिम यूपी की अपेक्षा, यहां ज़्यादा परियोजनाओं की ज़रूरत थी. इस सरकार के बनने से पहले पूर्वी यूपी की छवि अच्छी नहीं थी.’

उन्होंने आगे कहा कि पीएम और सीएम के चुनाव क्षेत्र, क्रमश: वाराणसी और गोरखपुर में, काफी परियोजनाएं सामने आईं हैं, जबकि दूसरे ज़िलों में भी ख़ासकर स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र को काफी प्रोत्साहन मिला है.


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पूर्वी UP की परियोजनाएं

पीएम मोदी ने इस साल जुलाई में, वाराणसी से पूर्वांचल में चुनावी बिगुल फूंक दिया था, जहां उन्होंने 1,500 करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं का उदघाटन किया था. उस आयोजन के तुरंत बाद में गृह मंत्री अमित शाह मिर्ज़ापुर पहुंच गए, जो पूर्वी यूपी में विंध्याचल क्षेत्र का हिस्सा है, जहां उन्होंने 150 करोड़ रुपए की विंध्याचल कॉरिडोर परियोजना की आधारशिला रखी.

मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के एक पदाधिकारी ने कहा, कि सरकार ने ‘पूर्वी यूपी के लिए बहुत कुछ किया है’.

पिछले महीने पीएम मोदी ने, 2,329 करोड़ रुपए की लागत से बने नौ नए मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया, जिनमें से छह पूर्वांचल में हैं. पदाधिकारी ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं भी मज़बूती के साथ आगे बढ़ रही हैं. प्रयागराज और कुशीनगर हवाई अड्डों ने काम करना शुरू कर दिया है, और आज़मगढ़, अयोध्या, चित्रकूट, झांसी तथा सोनभद्र में हवाई अड्डों के निर्माण का काम चल रहा है.

इसी महीने उद्घाटित पूर्वांचल एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के नौ ज़िलों- लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, आंबेडकर नगर, आज़मगढ़, मऊ और गाज़ीपुर- से होकर गुज़रता है, और जल्द ही इसे वाराणसी-आज़मगढ़ हाईवे से जोड़ दिया जाएगा.

सीएमओ पदाधिकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज़ औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीए), गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का भी निर्माण कर रहा है, जो गोरखपुर ज़िले के जैतपुर गांव को, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर आज़मगढ़ ज़िले के सालारपुर गांव से जोड़ेगा.

वाराणसी में जल्द ही मेट्रो निर्माण कार्य शुरू होने वाला है, काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर परियोजना पहले ही शुरू हो चुकी है. इस पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, कि 13 दिसंबर को पीएम मोदी कॉरिडोर योजना का उद्घाटन करेंगे.

पहले पश्चिमी UP क्यों नहीं?

पश्चिमी यूपी के 14 ज़िलों में 71 असेम्बली सीटें हैं, जिनमें से 2017 में बीजेपी 51 पर विजयी रही थी (आरएलडी के एकमात्र विधायक सहेंदर रामला के बीजेपी में शामिल होने के बाद ये संख्या 52 हो गई थी). पिछले चुनावों में एसपी ने 16 सीटें जीतीं थीं, जबकि कांग्रेस को दो और बीएसपी को एक सीट मिली थी. लेकिन इस बार बीजेपी पश्चिमी यूपी में ऐसी मज़बूत स्थिति में नहीं है.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर पंकज कुमार ने कहा, कि पश्चिमी यूपी में बीजेपी के सामने, किसान आंदोलन और आरएलडी-एसपी के रूप में, दो ‘स्पष्ट चुनौतियां’ हैं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘वो पूर्वी यूपी पर ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं, और सुनिश्चित कर रहे हैं कि पहले वो वहां पर अच्छे से तैयार हो जाएं. वरना, अगर उन्होंने पश्चिमी यूपी में कुछ सीटें गंवा दीं, तो सरकार बनाने के उनकी संभावनाओं को नुक़सान पहुंच सकता है’.

कुमार ने पूर्वानुमान लगाया कि निषाद, नुनिया, राजभर और बींद जैसे ‘छोटे जाति समूहों के’ बीजेपी के पक्ष में वोट देने की संभावना है. उनके अनुसार, बीजेपी की निगाहें उन सीटों पर हैं जो उसने आज़मगढ़ और जौनपुर में एसपी के गढ़ में गंवा दीं थीं. उन्होंने कहा कि ‘अब बीजेपी अपने विकास मॉडल के ज़रिए, वहां के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है’. यूपी-स्थित एक राजनीतिक विश्लेषक शिल्प शिखा सिंह ने भी जाति फैक्टर पर बल दिया.

‘बीजेपी के ‘पूर्वांचल के विकास’ को एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाने के पीछे कारण ये है, कि ये क्षेत्र ग़ैर-यादव ओबीसी समूहों का गढ़ है. यूपी में पिछले चार या पांच वर्षों में, बीजेपी ने इन्हीं समूहों को लक्ष्य बनाया हुआ है. राजभर की एसबीएसपी और जनवादी के समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन ने भी, बीजेपी को पूर्वांचल के प्रति ज़्यादा सचेत कर दिया है’. उन्होंने आगे कहा उन्हें आश्चर्य नहीं होगा, अगर इस बार बीजेपी की ‘महा-चुनावी रैलियां’ पूर्व से शुरू हों.

पूर्वांचल विकास मॉडल बतौर चुनावी मुद्दा

यूपी बीजेपी उपाध्यक्ष दया शंकर सिंह ने दिप्रिंट से कहा, कि वो पूर्वांचल में जीत को लेकर आश्वस्त हैं. ‘हम प्रदेश के हर हिस्से पर ध्यान दे रहे हैं, लेकिन ये सही है कि पिछले चार या पांच वर्षों में, पूर्वांचल हमारे लिए एक मज़बूत गढ़ बन गया है. पूर्वांचल के लोग योगी जी को सीएम के तौर पर देखना चाहते हैं. मुझे लगता है कि इस बार पूर्वांचल में हमें पहले से कहीं बेहतर नतीजे मिलेंगे. हमारी सरकारी स्कीमें वहां घर-घर तक पहुंच गईं हैं’.

यूपी बीजेपी के एक सूत्र ने कहा, कि पार्टी स्पष्ट तौर पर ‘पूर्वांचल विकास मॉडल’ को एक चुनावी मुद्दे के तौर पर उभार रही है.

सूत्र ने आगे कहा, ‘अगर आप पिछले कुछ हफ्तों के आयोजनों में दिए गए बयानात पर ध्यान दें, तो आपको अंदाज़ा हो जाएगा.’

पिछले महीने कुशीनगर में अपने संबोधन के दौरान, मोदी ने कहा कि यूपी का ‘औद्योगिक विकास’ अब एक या दो शहरों तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि ‘पूर्वांचल के ज़िलों में भी पहुंच रहा है’.

फिर, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उदघाटन करते हुए, मोदी ने पूर्वी यूपी में ‘माफियावाद’ लाने के लिए, पिछली सरकारों की आलोचना की. इसी तरह अमित शाह ने भी इसी महीने ऐलान किया कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पूर्वांचल ‘माफिया और मच्छर मुक्त’ हो गया है. ज़ाहिर है कि समाजवादी पार्टी को ऐसे बयान पसंद नहीं आए हैं.

एसपी प्रवक्ता ऋचा सिंह ने आरोप लगाया, कि बीजेपी पूर्वांचल में एक ‘फर्ज़ी नेरेटिव’ को आगे बढ़ा रही है.

उन्होंने कहा, ‘उन्होंने सिर्फ उन परियोजनाओं के रिबन काटे हैं, जो एसपी सरकार के समय में पास की गईं थीं. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे इसकी सबसे ताज़ा मिसाल है. उन्होंने कोई काम नहीं किया है, लेकिन श्रेय ज़रूर ले रहे हैं’. उनके अनुसार, महंगाई, बेरोज़गारी, और महिला सुरक्षा अभी भी क्षेत्र में सबसे बड़े मुद्दे हैं. उन्होंने कहा, ‘यहां पूर्वांचल में वो जो कुछ भी दिखा रहे हैं, आने वाले चुनावों में वो बुरी तरह हारने जा रहे हैं’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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