बेंगलुरू: पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा की पार्टी जनता दल (सेक्युलर) या जेडीएस को वंशवाद को बढ़ावा देने को लेकर हमेशा ही आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, और अब एक बार फिर इसमें तेजी आ रही है क्योंकि उनके एक और पोते अपनी राजनीतिक शुरुआत करने वाले हैं.
देवेगौड़ा के बड़े बेटे और जेडीएस विधायक व कर्नाटक के पूर्व मंत्री एच.डी. रेवन्ना के बेटे सूरज रेवन्ना ने आगामी कर्नाटक विधान परिषद चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया है.
विधानमंडल के ऊपरी सदन की 25 सीटों के लिए स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्रों से द्विवार्षिक चुनाव 10 दिसंबर को होने हैं. 20 जिलों के नगर निगमों, ग्राम पंचायतों और नगर पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के निर्वाचित सदस्य चुनाव में मतदाता होते हैं.
पेशे से एक डॉक्टर सूरज शुक्रवार को अपना नामांकन दाखिल करने के बाद कर्नाटक की चुनावी राजनीति में कदम रखने वाले देवेगौड़ा परिवार के- तीन पीढ़ियों में- आठवें सदस्य बनने जा रहे हैं. देवेगौड़ा परिवार नेहरू-गांधी परिवार के बाद पीढ़ी दर पीढ़ी राजनीति में सक्रिय में सक्रिय रहे सदस्यों की संख्या के लिहाज से दूसरे स्थान पर है.
जेडीएस के प्रवक्ता और पूर्व एमएलसी टी. श्रवण ने दिप्रिंट को बताया, ‘हासन के स्थानीय नेताओं की इच्छा थी कि उन्हें ही पार्टी उम्मीदवार होना चाहिए.’
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‘पिता-पुत्रों की पार्टी नहीं’
देवेगौड़ा ने खुद 12 नवंबर को हासन में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में वंशवाद के सवाल पर चर्चा की थी.
पूर्व प्रधानमंत्री और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री ने इस दौरान कथित तौर पर कहा था, ‘यह पिता-पुत्रों की पार्टी नहीं है. उम्मीदवार का नाम तय करने से पहले विधायकों, संभावित उम्मीदवारों और पार्टी कार्यकर्ताओं की राय ली जाएगी.’ हालांकि, इसके बाद पोते सूरज को उम्मीदवार बना दिया गया.
सूरज के पिता रेवन्ना कर्नाटक विधानसभा के सदस्य हैं. उनकी मां भवानी रेवन्ना हासन से पूर्व जिला पंचायत सदस्य हैं. सूरज खुद हासन जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक हैं, सूरज और उनकी मां भवानी रेवन्ना दोनों ही एमएलसी टिकट के लिए रेस में थे.
सूरज के चाचा-चाची— एच.डी. कुमारस्वामी और अनीता कुमारस्वामी— कर्नाटक विधानसभा के वर्तमान सदस्य हैं. कुमारस्वामी दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं, दोनों बार गठबंधन सरकार थी.
सूरज के छोटे भाई प्रज्जवल रेवन्ना को 2019 में हासन से लोकसभा सांसद चुना गया. उनके चचेरे भाई निखिल कुमारस्वामी 2019 में मांड्या लोकसभा क्षेत्र से जीत हासिल करने में असफल रहे थे. निखिल और प्रज्ज्वल दोनों ने चुनावी राजनीति में कदम तो 2019 में रखा था, लेकिन वे आधिकारिक तौर पर जेडीएस के सदस्य कई सालों से हैं. निखिल जेडीएस की युवा शाखा के अध्यक्ष भी हैं.
जेडीएस के सूत्रों का कहना है कि 2019 में देवेगौड़ा परिवार के सदस्यों को टिकट देने के पार्टी के फैसले के खिलाफ असंतोष चरम पर पहुंच गया था, जब निखिल और प्रज्ज्वल को क्रमश: मांड्या और हासन लोकसभा सीटों के लिए टिकट मिला था.
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