चंडीगढ़: पिछले महीने इनवेस्ट पंजाब सम्मेलन के दौरान, कुछ बड़े उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए राज्य के वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने, मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की एक अनोखी प्रशंसा की.
उन्होंने कहा कि चन्नी पंजाब के पहले सीएम हैं, जो स्वतंत्र भारत में पैदा हुए थे. मनप्रीत ने कहा, ‘पंजाब के सभी दूसरे मुख्यमंत्री उस समय पैदा हुए, जब पंजाब अंग्रेज़ों के क़ब्ज़े में था. इसलिए वो (चन्नी) औपनिवेशिक विचारों से आज़ाद हैं’.
58 वर्षीय चन्नी जिन्होंने एक वाइल्ड कार्ड के तौर पर सितंबर में सीएम का पद संभाला, जब कांग्रेस में उथल-पुथल के दौरान कैप्टन अमरिंदर की विदाई हुई थी, न सिर्फ सूबे के पहले दलित सीएम हैं, बल्कि इस पद पर बैठने वाले सबसे युवा मुख्यमंत्रियों में भी हैं.
दो दशकों से भी अधिक समय से, पंजाब या तो 90 से ऊपर के प्रकाश सिंह बादल का आदी रहा है, जो पांच बार मुख्यमंत्री रहे, या फिर सत्तर से ऊपर के अमरिंदर का, जो पटियाला के महाराजा हैं.
बादल को हमेशा एक पिता की तरह देखा गया, जिनके हमेशा लोग पांव छूते रहते थे. वो किसी को गले नहीं लगाते थे; ज़्यादा से ज़्यादा वो लोगों का कंधा थपथपा दिया करते थे. और वो बहुत मुश्किल से ही मुस्कुराते थे.
अमरिंदर राजसी रुतबे के साथ एक बहादुर रिटायर्ड फौजी थे, जो बादल की तरह स्नेही थे, लेकिन वो भी लोगों को गले नहीं लगाते थे, और कम ही हाथ मिलाने से आगे बहुत बढ़ते थे.
दोनों में कोई भी दिन की अपनी योजनाएं और गतिविधियां बदलते नहीं थे. किसी ने खुले तौर पर आंसू नहीं बहाए हैं. बादल धीमे चलते थे, बहुत बार उन्हें सीढ़ियां चढ़ने में मदद लेनी पड़ती थी. अमरिंदर के साथ भी स्वास्थ्य की समस्याएं थीं, और कुछ मिनट भाषण देने के बाद, आप उनकी फूली हुई सांस सुन सकते थे.
लेकिन, चन्नी एक ताज़ा बदलाव हैं. एक युवा सीएम जो भले चंगे हैं, चुस्त हैं और तेज़ी से चलते हैं. वो मिलने वालों को लगातार गले लगाते रहते हैं, हाथ मिलाते हैं, गर्मजोशी से मुस्कुराते हैं, और बड़ों के पांव छूते हैं. एक से अधिक बार उन्होंने अपनी गाड़ियों का क़ाफिला रोककर, सड़क पर दिखने वाले बिल्कुल पराए लोगों की शादियों में शिरकत की है. जब भी वो गांवों में परिवारों से मिलने जाते हैं, तो उनके घरों में भोजन करते हैं, और जो भी उन्हें पेश किया जाता है उन्हीं की प्लेटों में खाते हैं,. पिछले हफ्ते वो एक परिवार के घर में नीचे फर्श पर बैठे, जहां वो बसेरा स्कीम लॉन्च करने गए थे.
और एक से ज़्यादा मौक़ों पर उन्होंने खुलेआम, और बिना किसी शर्म के आंसू बहाए हैं. एक बार, जब बतौर मुख्यमंत्री वो अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस को मुख़ातिब कर रहे थे, और दूसरी बार जब वो उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी घटना के पीड़ितों के परिवारों से मिलने गए.
पिछले हफ्ते, सीएम और कैबिनेट मंत्री परगट सिंह ने, जो एक हॉकी ओलंपियन हैं, सुरजीत हॉकी टूर्नामेंट में जलंधर के एक स्टेडियम में हॉकी खेली.
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चंडीगढ़ स्थित एक राजनीतिक विशेषज्ञ कंवलप्रीत कौर ने कहा, ‘चन्नी विनम्र हैं लेकिन वो तो बादल भी हैं. लेकिन चिरकालिक पिता तुल्य शख़्सियत से एक रिटायर्ड शाही हस्ती तक, चन्नी एक ऐसे भाई या बेटे जैसे सीएम हैं, जैसा पंजाब ने बरसों से नहीं देखा है. क्या आप बादल या अमरिंदर को कॉलेज मंच पर, भंगड़ा करने की कल्पना कर सकते हैं?’
कौर उस ओर इशारा कर रहीं थीं, जब चन्नी कपूरथला में आईके गुजराल टेक्निकल यूनिवर्सिटी के स्टेज पर, एक भंगड़ा टीम में शामिल हो गए थे, जहां सितंबर में सीएम का प्रभार संभालने के बाद, वो बतौर मुख्य अतिथि गए थे.
सिर्फ दिखावे में ही नहीं, कार्यशैली में भी बदलाव
बदलाव सिर्फ रवैये में ही नहीं है- चन्नी का काम करने का तरीक़ा भी अपने पूर्ववर्त्तियों से बहुत अलग है. बादल और अमरिंदर सचिवालय में अपने ऑफिस बहुत कम आते थे. लेकिन चन्नी नियमित रूप से दफ्तर आते हैं. उन्होंने कैबिनेट बैठकों को एक साप्ताहिक कार्य बना दिया है, और हफ्ते में कम से कम एक प्रेस कॉनफ्रेंस करते हैं.
सीएम बनने के बाद उन्होंने पहला आदेश ये जारी किया, कि सरपंच और नगर पार्षदों जैसे चुने हुए नुमाइंदों को, सरकारी दफ्तरों में आसानी से दाख़िल होने की अनुमति दे दी गई.
चन्नी अपने दिन की शुरूआत सुबह 8 बजे लोगों से मुलाक़ात के साथ करते हैं, और उनके एक सामान्य दिन में अधिकारियों के साथ बैठकें, कम से कम एक सार्वजनिक कार्यक्रम में शिरकत, या किसी चालू परियोजना की प्रगति देखने के लिए, उस स्थल पर जाना शामिल होता है. और इस सब के बीच में चाय के कप चलते रहते हैं. उन्हें अकसर आधी रात के बाद भी, अपने आधिकारिक आवास के बाहर बैठे, इंतज़ार कर रहे लोगों से मिलते हुए देखा जा सकता है.
अपने सुरक्षा कवर को घटाने और गाड़ियों के क़ाफिले को कम करने के उनके फैसले ने भी, चन्नी की छवि पर असर डाला है.
पंजाब के एक मंत्री ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘चन्नी की विनम्र शुरूआत उनकी बॉडी लैंग्वेज, और उन तमाम कामों में झलकती है जिन्हें वो अंजाम देते हैं. मुझे ये भी लगता है कि दूसरे मुख्यमंत्रियों की अपेक्षा, जो चीज़ चन्नी को ज़्यादा सुलभ और मित्रतापूर्ण बनाती है, वो है उन्हें घेरे रहने वाले अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों को हटाने का उनका फैसला.
‘हालांकि सुरक्षा की ज़रूरत होती है, लेकिन पुलिसकर्मियों को भीड़ और लोगों को दूर रखने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, और अगर आप ध्यान से देखें तो पाएंगे, कि उनके पास बहुत कम सुरक्षाकर्मी रहते हैं’.
विश्लेषक आगे कहते हैं कि चन्नी के सुखद व्यवहार का बहुत कुछ संबंध उस राजनीतिक परिस्थिति से है, जिसमें उन्होंने सूबे की कमान हाथ में ली है.
असेम्बली चुनाव अगले वर्ष के शुरू में होने हैं, और चन्नी के पास सिर्फ कुछ महीने बचे हैं, जिनमें वो अपनी छाप छोड़ सकते हैं, और इसी कारण से वो एक अच्छा प्रभाव डालने का प्रयत्न कर रहे हैं, और सभी सही चालें चल रहे हैं.
कौर ने कहा, ‘नए सीएम का बिल्कुल आदर्श व्यवहार है. हालांकि इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि जो कुछ नज़र आता है, वो बहुत ध्यान से आयोजित करके लोगों को दिखाया जाता है. लेकिन अपने आचरण के अलावा, जिसका राजनीतिक विशेषता के तौर पर एक सीमित जीवन होता है, पानी, बिजली, पेट्रोल, डीज़ल, और अब रेत आदि पर, सभी को ख़ुश करने वाली घोषणाओं के ज़रिए, वो निम्न मध्यम वर्ग का विश्वास जीतने में कामयाब हो गए हैं’.
कुछ दूसरे विश्लेषक चन्नी के आचरण को उनकी विनम्र शुरूआत से जोड़ते हैं.
चंडीगढ़ के एसजीजीएस कॉलेज में इतिहास विभाग के प्रोफेसर हरजेश्वर सिंह ने कहा, ‘पंजाब कांग्रेस के संदर्भ में चन्नी एक अनोखे राजनेता हैं. उनकी तरक़्क़ी परिवार, पैसे की ताक़त, या रसूख़ की वजह से नहीं है. दलित तरक़्क़ी के आम रास्ते के विपरीत- दलित अभिजात वर्ग, उच्च जातियों के ताक़तवर राजनेताओं के ख़ास सहयोगी, या पूर्व नौकरशाह- चन्नी एक पहली पीढ़ी के राजनेता हैं जो सरासर मेहनत और योग्यता के बल पर ऊपर चढ़े हैं’.
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