नई दिल्ली: केरल में पिछले एक हफ्ते के दौरान सामने आए कोविड के लगभग 44 प्रतिशत नए मामलों में ऐसे लोग शामिल हैं, जिन्हें कोविड वैक्सीन की दोनों खुराकें मिल चुकी थीं. राज्य के डेली हेल्थ बुलेटिन से यह जानकारी मिली है.
29 अक्टूबर से 4 नवंबर के बीच राज्य में 48,914 लोगों को जांच के दौरान कोविड पॉजिटिव पाया गया.
इनमें से 41,202 वैक्सीन लगवाने के योग्य थे (देश में अभी केवल 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को ही टीका लग रहा है). इन 41,202 में से 12,649—यानी लगभग 30 प्रतिशत—का कोई टीकाकरण नहीं हुआ है.
बाकी में 18,023 लोगों को टीके की दोनों खुराक मिल चुकी है, इस तरह पिछले सात दिनों में कोविड पीड़ित होने वालों में करीब 43.7 फीसदी प्रतिशत ऐसे है जिनका पूर्ण टीकाकरण हो चुका था.
राज्य का डेटा दुनिया भर में सामने आ रहे परिदृश्य की ही पुष्टि करता है कि टीका संक्रमण को रोक नहीं सकता.
बुलेटिन में बताया गया है कि जून, जुलाई और अगस्त के कोविड पॉजिटिव आंकड़ों के आधार पर छह फीसदी कोविड पॉजिटिव मरीजों ने टीके की एक खुराक ली थी, और 3.6 प्रतिशत दोनों खुराक ले चुके थे.
हालांकि, पिछले सप्ताह के दौरान यह आंकड़ा काफी बढ़ गया और अधिक से अधिक ऐसे लोग इस महामारी की चपेट में आ रहे हैं जिन्हें टीका लगाया जा चुका है.
पिछले कुछ महीनों में कई अध्ययनों ने संकेत दिया है कि टीका-जनित एंटीबॉडी भारत में दूसरी लहर का कारण बने डेल्टा वैरिएंट पर बेअसर साबित हो सकती है.
हालांकि, शोध यह भी बताते हैं कि टीका बीमारी के कारण स्थिति गंभीर होने से रोकने में कारगर रहता है.
द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज में हाल में एक अध्ययन के आधार पर बताया गया है कि जिन लोगों को कोविड के खिलाफ टीके की दोनों खुराक मिल चुकी हैं, उनमें खासकर एक घर में रहने वालों में संक्रमित होने और डेल्टा वैरिएंट को फैलाने का जोखिम बना रहता है.
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केरल में टीकाकरण की दर सबसे अधिक
केरल टीकाकरण की सबसे अधिक दर वाला राज्य है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 4 नवंबर तक पात्र आबादी के 95 प्रतिशत लोगों को टीके की पहली खुराक मिल चुकी है, जबकि 52.5 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण पूरा हो चुका है.
राज्य में 45 वर्ष से अधिक आयु के 96 प्रतिशत से अधिक लोगों को एक खुराक और 66 प्रतिशत लोगों को दोनों खुराक मिल चुकी हैं.
हालांकि, राज्य अब सक्रिय मामलों में लगातार वृद्धि देख रहा है, यहां प्रभावी रिप्रोडक्शन नंबर (आर) इस सप्ताह बढ़कर 1 से ऊपर पहुंच गया है. लेकिन यहां पर मृत्यु दर 0.6 प्रतिशत यानी राष्ट्रीय औसत 1.34 प्रतिशत के आधे से भी कम बनी हुई है.
तमाम ताजा अध्ययनों के साथ-साथ राज्य के बुलेटिन से पता चलता है कि इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए केवल टीके ही पर्याप्त नहीं हैं. वायरस का संक्रमण से बचने और नए म्यूटेशन को उभरने से रोकने के लिए मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और कम वेंटिलेशन वाले स्थानों में भीड़भाड़ से बचने जैसे उपायों को अपनाया जाना जारी रखना जरूरी है.
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