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Wednesday, 30 October, 2024
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कैसे लश्कर के जिया मुस्तफा को पुंछ में आतंकियों का पता लगाने के लिए जेल से निकाला गया, लेकिन अंत में मारा गया

जिया मुस्तफा को 2003 में नदीमर्ग नरसंहार मामले में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस का कहना है कि ‘पुंछ के जंगलों में छिपे पाकिस्तानी आतंकवादियों के बारे में बताने के लिए सुरक्षा बलों के साथ जाने’ के दौरान गोलीबारी की चपेट में आकर वह मारा गया.

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नई दिल्ली: पुंछ में आतंकियों के साथ मुठभेड़ के दौरान मारा गया लश्कर-ए-तैयबा का ‘ऑपरेटिव’ जिया मुस्तफा सुरक्षा बलों के लिए एक बेहद ‘महत्वपूर्ण कड़ी’ था. सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों का मानना है कि वह आतंकवादियों के ठिकाने के बारे में जानकारी देकर उनका पता लगाने के लिए ‘जारी अभियान खत्म करने’ में मदद कर सकता था.’

जम्मू-कश्मीर पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, मुस्तफा पर 2003 में पुलवामा के नदीमर्ग में 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या का आरोप था और पिछले 18 वर्षों से जेल में था. वह फोन के जरिये पाकिस्तान में बैठे लश्कर के आकाओं के साथ लगातार संपर्क में था और पुंछ में घुसपैठियों के छिपने के लिए जगहों के बारे में भी बता रहा था.’

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक बयान जारी करके कहा था कि मुस्तफा उस समय गोलीबारी की चपेट में आकर मारा गया, जब ‘सुरक्षा बलों को पुंछ के जंगली इलाकों में छिपे पाकिस्तानी आतंकवादियों की तरफ ले जा रहा था.’ इस गोलीबारी में जम्मू-कश्मीर के दो पुलिसकर्मी और सेना का एक जवान भी घायल हुआ था.

सूत्रों के मुताबिक, 14 अक्टूबर को पुंछ जिले में मेंढर के भाटा दुरियां जंगलों में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सेना के चार जवानों के शहीद होने के बाद पुलिस ने गुरसाई पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मुस्तफा को 10 दिन की रिमांड पर लिया था.

एक पुलिस सूत्र ने कहा, ‘उसे 10 दिन की हिरासत में ले लिया गया था क्योंकि हमें उसके अपने पाकिस्तानी आकाओं के संपर्क में होने के बारे में पता चला था. उसे पुंछ में आतंकियों के ठिकानों की भी जानकारी थी और वो रास्ते उसने ही बताए थे. उसने सालों पहले इसी रास्ते घुसपैठ की थी. इसलिए, उसे आतंकवादी ठिकानों की पहचान के लिए भाटा दुरियां इलाके में ले जाया गया था.’
सूत्र ने बताया, ‘ऑपरेशन अपने अंतिम चरण में है, और हमें यकीन था कि मुस्तफा के पास इन आतंकवादियों के ठिकाने के बारे में कुछ पुख्ता जानकारी होगी.’

पाकिस्तान से कथित तौर पर घुसपैठ करने वाले और 11-14 अक्टूबर के बीच नौ सैन्यकर्मियों की हत्या कर देने वाले इन आतंकवादियों को पकड़ने के लिए पिछले 14 दिनों से अभियान जारी है.

कौन था जिया मुस्तफा

23 मार्च 2003 को पुलवामा के नदीमर्ग इलाके में सेना की वर्दी पहने बंदूकधारियों ने 11 पुरुषों, 11 महिलाओं और दो बच्चों को उनके घर के बाहर लाइन में खड़ा करके गोलियों से भून दिया था. 10 अप्रैल को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के रावलकोट के रहने वाले जिया मुस्तफा को ‘नदीमर्ग नरसंहार के मास्टरमाइंड’ के तौर पर गिरफ्तार किया गया और तब से ही वह बतौर विचाराधीन कैदी जेल में बंद था.

इस नरसंहार के मामले में मुस्तफा के अलावा तीन अन्य आतंकवादियों का नाम भी एफआईआर में दर्ज किया गया था, लेकिन वे अप्रैल 2003 में कुलगाम में बीएसएफ के साथ एक मुठभेड़ में मार गिराए गए थे.


यह भी पढ़ें : लश्कर घुसपैठियों के खिलाफ 15 दिन से जारी तलाश जल्द हो सकती है खत्म, सुरक्षा बलों ने पुंछ में जंगली गुफाओं को घेरा


पुलिस के अनुसार, मुस्तफा ‘लश्कर-ए-तैयबा का जिला कमांडर’ था और 2003 में जब उसे गिरफ्तार किया गया था, तब उसके पास से ‘एक एके राइफल, गोला-बारूद और एक वायरलेस सेट बरामद हुआ था.’

पुलिस ने इस मामले में 9 जून 2003 को आरोपपत्र दायर किया और उसी साल अक्टूबर में मुस्तफा के खिलाफ आरोप तय कर दिए गए लेकिन अभियोजन पक्ष के 38 गवाहों में से अब तक केवल नौ गवाहों का ही बयान हो सका है.

नदीमर्ग नरसंहार मामले में मुस्तफा के वकील मुबाशिर गट्टू ने कहा कि 2011 में शोपियां की कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के अन्य गवाहों को पेश करने में अक्षम होने का हवाला देते हुए उसकी गवाही को क्लोज कर दिया था, लेकिन राज्य की तरफ से जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में अपील की गई और अधिक समय मांगा गया, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

फिर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से मामले को सुनने और राज्य की याचिका पर पुनर्विचार करने को कहा, लेकिन सुनवाई के लिए राज्य के हाई कोर्ट के समक्ष पेश होने में विफल रहने पर अंतत: 2017 में इसे खारिज कर दिया गया था.

गट्टू ने कहा, ‘अब तक अभियोजन पक्ष के केवल नौ गवाहों से पूछताछ हुई थी, जिनके पास मुस्तफा के खिलाफ कुछ नहीं था. अगर अदालत ने केवल इन नौ गवाहों के बयानों पर भरोसा किया होता, तो अभियोजन मुस्तफा के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित नहीं कर पाता और उसे बरी कर दिया जाता.’

मुस्तफा पर अपने पाकिस्तानी आकाओं और पुंछ में घुसपैठियों के संपर्क में होने के नए आरोपों के बारे में पूछे जाने पर गट्टू ने कहा, ‘मुझे इन आरोपों की जानकारी नहीं है. मैं सिर्फ नदीमर्ग मामले में उनका प्रतिनिधित्व कर रहा था. चूंकि वह अब मर चुका है, इसलिए मामला बंद कर दिया जाएगा.’

‘जेल में बंद युवाओं को आतंकी बनाने के लिए गुमराह कर रहा था’

जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक दूसरे सूत्र ने कहा कि मुस्तफा एक ‘कुख्यात कैदी था जो आतंकवाद की राह पर जाने के लिए तमाम कैदी युवाओं को गुमराह करके उन्हें कट्टरपंथी बना रहा था.’

सूत्र ने कहा, ‘वह न केवल युवाओं को कट्टरपंथी बना रहा था, बल्कि उन्हें भर्ती भी करा रहा था. हमारे पास उसके बारे में भी पुख्ता जानकारी थी कि वह जेल से छूटने वाले लोगों के साथ पाकिस्तान और यहां सक्रिय आतंकियों के नंबर और संपर्क का ब्योरा साझा कर रहा था.’

सूत्र ने कहा, ‘वह लोगों को प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान जाने के लिए उकसाता रहता था.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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