नई दिल्ली: पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में स्थित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आठ जिलों में पराली जलाने की घटनाएं इस साल काफी कम हुई हैं. इस महीने पराली जलाने की कुल 1,795 घटनाएं दर्ज की गयी है, जो पिछले साल इसी अवधि में आयी 4,854 घटनाओं से कम है. केंद्र के वायु गुणवत्ता आयोग ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और उससे जुड़े इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा बनाए प्रोटोकॉल पर आधारित एक रिपोर्ट के अनुसार, धान के अवशेष जलाने की घटनाएं एक महीने के दौरान पंजाब में 64.49 प्रतिशत, हरियाणा में 18.28 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश के आठ एनसीआर जिलों में 47.61 प्रतिशत कम हुई हैं जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान ये घटनाएं अधिक थीं.
आयोग ने कहा, ‘पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के आठ एनसीआर जिलों में धान के अवशेष जलाने की घटनाओं में इस साल काफी कमी आयी है, पिछले साल की तुलना में 2021 में आग लगने की कम घटनाएं दर्ज की गयी. 14 अक्टूबर तक एक महीने में पराली जलाने की कुल 1,795 घटनाएं दर्ज की गयी जो 2020 में इसी अवधि के दौरान दर्ज की गयी 4,854 घटनाओं से कम है. प्रवर्तन एजेंसियों ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के एनसीआर जिलों में अभी तक 663 घटनास्थलों का निरीक्षण किया.’
उसने बताया कि 252 मामलों में पर्यावरणीय हर्जाना लगाया गया. मौजूदा वर्ष में इसी अवधि में पंजाब में पराली जलाने की 1,286 घटनाएं आयी जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 4,216 घटनाएं दर्ज की गयी थीं.
हरियाणा में ऐसी 487 घटनाएं आयी जबकि पिछले साल इसी अवधि में 596 घटनाएं आयी थीं. इस अवधि के दौरान उत्तर प्रदेश के आठ एनसीआर जिलों से पराली जलाने की 22 घटनाएं दर्ज की गयी जबकि पिछले साल 42 घटनाएं आयी थीं.
दिल्ली और राजस्थान के दो एनसीआर जिलों से पराली जलाने की कोई घटना सामने नहीं आयी.
सीएक्यूएम ने एक बयान में कहा कि अगले कुछ हफ्तों में फसलों की कटाई चरम पर होगी और राज्य सरकारें पराली जलाने की समस्या से प्रभावी रूप से निपटने के लिए कदम उठा रही है. फसलों की कटाई के मौसम में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए सीएक्यूएम पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के आठ एनसीआर जिलों में 15 सितंबर से पराली जलाने की घटनाओं पर सक्रियता से नजर रख रहा है.
वह हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के उपायुक्तों समेत अधिकारियों के साथ नियमित रूप से बैठकें कर रहा है. इसरो ने पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखने के लिए सीएक्यूएम के वास्ते एक प्रोटोकॉल विकसित किया है. आयोग पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश द्वारा बनायी कार्य योजना के क्रियान्वयन पर भी नजर रख रहा है.
आयोग ने बताया कि पंजाब में पराली जलाने के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र अमृतसर, तरनतारन, पटियाला और लुधियाना हैं. राज्य में पराली जलाने की 72 प्रतिशत घटनाएं इन्हीं चार जिलों से सामने आती हैं. इसी तरह हरियाणा में करनाल, कैथल और कुरुक्षेत्र से पराली जलाने की 80 प्रतिशत घटनाएं दर्ज की जाती हैं.
सीएक्यूएम ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के जिलाधिकारियों और जिला मजिस्ट्रेट समेत सरकारी अधिकारियों के साथ भी कई बैठकें कीं.
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