चंडीगढ़: लखीमपुर खीरी की ह्रदयविदारक घटना, जिसमें 3 अक्टूबर को आठ लोगों की मौत हो गई थी, का पूरा ब्यौरा अभी भी सामने नहीं आया है. मामले का मुख्य आरोपी, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ का 38 वर्षीय पुत्र आशीष मिश्रा, फिलहाल पुलिस की हिरासत में है.
आशीष मिश्रा पर उनके पैतृक गांव बनबीरपुर के पड़ोस में स्थित तिकोनिया गांव में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को कुचलने वाले वाहनों में से एक को चलाने का आरोप लगाया गया है. हालांकि, अजय और आशीष मिश्रा दोनों ने इस घटना में उसके शामिल होने से इनकार किया है.
दर्शकों द्वारा शूट किए गए कई वीडियो के माध्यम से घटना के इस दिन का लेखा-जोखा अच्छी तरह से दर्ज किया गया है. लेकिन वायरल हुए और टीवी चैनलों पर बार-बार दिखाए जाने वाले एक वीडियो के अलावा, सार्वजनिक डोमेन में कई और ऐसे वीडियो भी उपलब्ध हैं जो पहले नहीं देखे गए हैं या फिर उनके केवल कुछ ही हिस्सों को देखा गया है.
दिप्रिंट ने इस बारे में सारी जानकारी खोद निकाली है और जैसे-जैसे इस दिन का घटनाक्रम आगे बढ़ा उसको एक साथ जोड़ने के साथ हीं इस दिन से पहले होने वाली घटनाओं की भी जानकारी जुटाई है.
3 अक्टूबर से पहले के सप्ताह
घटना से एक सप्ताह पहले किसानों और स्थानीय भाजपा नेतृत्व के बीच उपजा तनाव काफी बढ़ गया था.
सितंबर महीने के बीच समय के आसपास, किसानों ने अपने गन्ने की फसल के भुगतान की मांग को लेकर संपूर्णनगर स्थित दो चीनी मिलों पर धरना देना शुरू कर दिया था.
प्रगतिशील किसान मोर्चा (प्रोग्रेसिव फार्मर्स फ्रंट -पीएफएफ), जो लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर के विरोध प्रदर्शन का आयोजन करने वाले दो संस्थाओ में से एक थी, के महासचिव गुरमनीत सिंह मंगत संपूर्ण नगर में भी किसानों के विरोध का नेतृत्व कर रहे थे.
24 सितंबर को, पीएफएफ ने इस बारे में एक वीडियो संदेश जारी किया कि आंदोलनरत किसान लखीमपुर खीरी के सांसद अजय मिश्रा को अगले दिन खजुरिया और संपूर्ण नगर की उनकी यात्रा के दौरान काले झंडे दिखाएंगे.
मंगत कहते है, ‘अगली सुबह मुझे मेरे घर में नजरबंद कर दिया गया. लेकिन हमारे समर्थक रास्ते में अजय मिश्रा को काले झंडे दिखाने में कामयाब रहे. जवाब में, उसने हमें अंगूठा नीचे करने का इशारा किया, जिसका वीडियो वायरल हो गया.’
अजय मिश्रा ने उस दिन कई सभाओं को संबोधित किया और दो जगहों पर तो उन्होंने प्रदर्शन कर रहे किसानों को खुलेआम धमकाया.
मंगत का दावा है कि, ‘अपने एक भाषण में उन्होंने स्कूलों पर बुलडोजर चढाने के बारे में बात की थी, जो मेरे ओर इशारा करते हुए था. क्योंकि मैं संपूर्ण नगर में दो स्कूल चलाता हूं.’
मंत्री के भाषणों के प्रति तीखी प्रतक्रियाएं सामने आयीं. 26 सितंबर को तराई किसान संगठन के अध्यक्ष और संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य तजिंदर सिंह विर्क ने उनकी निंदा करते हुए एक वीडियो जारी किया.
मंगत कहते हैं, ‘मिश्रा के भाषणों से हर कोई नाराज था और यह निर्णय लिया गया कि किसान (उत्तर प्रदेश के) उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को काले झंडे दिखाएंगे, जो मिश्रा द्वारा लखीमपुर खीरी जिले में स्थित उनके पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित वार्षिक दंगल (कुश्ती प्रतियोगिता) में मुख्य अतिथि के रूप में आने वाले थे.‘
पीएफएफ ने नरेश टिकैत के नेतृत्व वाली भारतीय किसान संघ (बीकेयु) की लखीमपुर खीरी इकाई के साथ सहयोग किया और विर्क को इस विरोध का नेतृत्व करने के लिए कहा गया. यह विर्क द्वारा अपने समर्थकों को इस विरोध प्रदर्शन के लिए आमंत्रित करने के लिए जारी किया गया एक वीडियो है.
3 अक्टूबर की सुबह
किसानों को तिकोनिया गांव के एक स्कूल में रविवार 3 अक्टूबर को सुबह 9 बजे काले झंडे के साथ एकत्र होने के लिए कहा गया था. तिकोनिया गांव को खास तौर पर इसलिए चुना गया क्योंकि यह बनबीरपुर से सटा हुआ है, और उप-मुख्यमंत्री केशव मौर्य को दंगल कार्यक्रम में जाने के लिए तिकोनिया में एक हेलिकॉप्टर में उतरना था.
यह भी पढ़ें : लखीमपुर खीरी में मारे गए BJP कार्यकर्ता के परिवार से मैंने क्यों मुलाकात की: योगेंद्र यादव
प्रदर्शनकारियों ने तिकोनिया से बनबीरपुर तक सड़क के एक हिस्से के दोनों किनारों पर खड़े होने और मौर्य एवं मिश्रा की जोड़ी को काले झंडे दिखाने की योजना बनाई थी.
सुबह करीब साढ़े नौ बजे जब प्रदर्शनकारियों के नेता तिकोनिया पहुंचे तब तक आसपास के गांवों से हजारों की संख्या में लोग वहां जमा हो चुके थे. वहां आयोजकों की अपेक्षा से कहीं अधिक भीड़ इकट्ठा थी, और इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि काले झंडे दिखाने के अलावा, वे अस्थायी हेलीपैड को भी अपने कब्जे में ले लेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वहां हेलिकॉप्टर उतर ही न पाए.
विरोध शुरू होते ही भारतीय किसान यूनियन (टिकैट) के लखीमपुर खीरी जिलाध्यक्ष अमनदीप सिंह संधू फेसबुक पर लाइव हो गए. उनके वीडियो (नीचे, यहां और यहां भी) में एक स्पीकर सिस्टम के साथ एक ट्रैक्टर ट्रॉली के ऊपर सवार नेता दिखाई देते हैं, जो प्रदर्शनकारियों को स्कूल से तिकोनिया रोड तक ले जाते हैं. घोषणा की गई कि सड़क को खाली रखा जाये और प्रदर्शनकारियों को सड़क के पक्के हिस्से से भी दूर रहने को कहा गया.
तजिंदर विर्क ने किसान एकता मोर्चा के फेसबुक पेज के लिए इस आयोजन से सम्बंधित एक अपडेट भी भेजा.
इस बीच, मंगत ने हेलीपैड से इन घटनाओं के लाइव अपडेट (यहां और यहां) भेजे.
क्या भीड़ ने वारदात से पहले ही वाहनों को टक्कर मारी?
बीकेयू के संधू ने दिप्रिंट को बताया, ‘हेलीपैड-वाले मैदान के अंदर और सड़क पर भी काफी प्रदर्शनकारी थे. प्रदर्शन के दौरान भी बहुत सारे वाहन सड़क से गुजरे. उनमें से ज्यादातर स्थानीय भाजपा नेता थे जो दंगल देखने के लिए बनबीरपुर जा रहे थे. किसी को भी रोका या मारा नहीं गया.’
किसान एकता मंच फेसबुक पेज द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो (जिसमें 8 मिनट के निशान तक का वीडियो प्रासंगिक है) में कई सारे कारों और बाइकों (मोटर साइकल्स) को प्रदर्शनकारियों की कतारों के पास से गुजरते हुए दिखाया गया है जो नारे लगा रहे हैं और झंडे लहरा रहे हैं. लेकिन, उनमें से कोई भी वाहनों को ठोकर अथवा पत्थर नहीं मार रहे हैं. आयोजकों को प्रदर्शनकारियों को अनुशासित रखने की कोशिश करते हुए और उन्हें वाहनों को हाथ नहीं लगाने के लिए कहते हुए देखा जा सकता है.
समाचार चैनल यूपी तक के फेसबुक पेज द्वारा पोस्ट किए गए एक अन्य वीडियो ((1 मिनट 50 सेकेंड तक वीडियो प्रासंगिक है) में प्रदर्शनकारियों को वहां से गुजरने वाले वाहनों को झंडों के डंडों के साथ मारते हुए देखा जाता है, हालांकि आयोजक लगातार ‘गलत काम न करें’ की घोषणा कर रहे थे. भाजपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि उनकी पार्टी के झंडे लगे वाहनों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया.
बीजेपी के मंडल मंत्री प्रदीप गुप्ता ने फेसबुक पर वीडियो फाइल्स का एक और सेट पोस्ट किया है.
भाजपा के एक अन्य नेता पवन गुप्ता ने आरोप लगाया कि भीड़ ने उनके वाहन को रोका और उसपर लाठियां मारी
मंगत ने बताया कि इसके बाद दोपहर करीब सवा दो बजे ड्यूटी पर तैनात एसडीएम ने किसान नेताओं को बताया कि उप-मुख्यमंत्री मौर्य ने बनबीरपुर जाने के लिए अपना रास्ता बदल लिया है.
वे कहते हैं, ‘चूंकि ज्यादातर प्रदर्शनकारी बाइक पर आए थे और उन्हें लंबी दूरी तय करनी पड़ी थी, इसलिए हमने विरोध प्रदर्शन खत्म करने और वापस जाना शुरू करने का फैसला किया.’
विर्क ने किसानों की जीत का दावा करते हुए अंतिम भाषण दिया और सभी के प्रति धन्यवाद प्रकट किया.
मुख्य वारदात
मंगत घटनाक्रम याद करते हए कहते हैं, ‘दोपहर 2.30 बजे तक, हम सब मैदान से बाहर चले गए थे. फिर किसी ने आकर विर्क को अपने साथ चलने का संदेश दिया. वह आगे बढ़ने लगे और मैं मैदान के गेट के पास ही किसी से बात कर रहा था. तभी तीन वाहन बनबीरपुर की ओर से आए, उन सभी पर हूटर बज रहा था.’
मैदान के किनारे से शूट किया गया एक छोटा सा वीडियो दाईं ओर से प्रवेश करते तीन वाहनों को दिखाता है.
दूसरे वीडियो का एक हिस्सा, जो काफी अधिक देखा गया है, कारों को बाईं ओर से आते हुए दिखा रहा है, जो पहले थोड़ा धीमें और फिर अचानक तेज हो जाते हैं. इस वीडियो में लोगों को यह कहते हुए दिखाया गया है कि इन कारों की वजह से कोई दुर्घटना हो सकती है और लोगों को उनके पीछे भागते हुए भी दिखाया गया है.
इसका पूरा वीडियो ‘विर्क पॉइंट’ चैनल द्वारा यूट्यूब पर डाला गया था, लेकिन बाद में इसे वहां से हटा दिया गया था. दिप्रिंट के पास इस पुरे वीडियो की स्क्रीन रिकॉर्डिंग है.
मंगत बताते है, ‘सबसे पहले, (महिंद्रा) थार उस ओर मुड़ी जहां मैं खड़ा था. मेरे पास खड़े किसी व्यक्ति ने मुझे खींच कर किनारे कर दिया. फिर यह दूसरी तरफ मुड़ गया. एक व्यक्ति पूरी तरह कुचल गया और दूसरा हवा में फेंका गया. चूंकि प्रदर्शनकारी सड़क के किनारे थे, इसलिए यह अगल-बगल घूमता रहा और जितने लोगों को चोट मार सकता था, मारा.’
विर्क को भी धक्का मारा गया, जैसा कि उस वीडियो में दिखाई दे रहा है जिसमें थार लोगों को कुचल रही है. पर वह बच गए और गुरुग्राम के एक अस्पताल में उनका इलाज कराया गया जहां से अब उन्हें छुट्टी मिल चुकी है.
यह वीडियो उसी वारदात का एक और नजारा पेश करता है.
करीब 600 मीटर चलने के बाद थार अचानक रुक गई और पक्की सड़क से नीचे उतर गई. संधू कहते हैं, ‘ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यह एक मृत शरीर को अपने नीचे खींच रही थी और इस कारण आगे नहीं बढ़ सकती थी.
मंगत कहते हैं, ‘जैसे ही यह थार रुकी, उसके पीछे चल रही काली (टोयोटा) फॉर्च्यूनर दुर्घटनाग्रस्त होने से बचने के लिए तेजी से दाहिनी ओर मुड़ी और उससे आगे निकलने की कोशिश की, लेकिन वह भी सड़क से उतर गई. आगे एक बस खड़ी थी और उसके बाहर निकलने के लिए कोई जगह नहीं थी. दोनों वाहनों के रास्ते से हटने के साथ ही तीसरी गाडी आगे निकल गयी.’
उन्होंने यह भी दावा किया कि कई लोगों ने ‘आशीष मिश्रा और उनके लोगों को थार से उतरते हुए और गन्ने के खेतों की ओर भागते हुए’ देखा था.
मंगत का आरोप है कि ‘स्थानीय लोगों ने उसे पहचान लिया और डर के मारे उससे दूर भागने लगे. इसके बाद उसने मौके पर गोली चलाई, जिससे उसके आगे की जगह खाली हो गई, और वहां की पुलिस भी उसके पीछे गयी और उनके गन्ने के खेतों में भागते समय उन्हें कवर फायर दिया.’
एक छोटा सा वीडियो क्लिप ऐसा भी है जिसमें प्रदर्शनकारियों को पुलिस के पीछे खेतों में दौड़ते हुए दिखाया गया है जिसमें वे कह रहें हैं कि उन्हें (पुलिस को) ‘उसे’ भागने में मदद नहीं करनी चाहिए थी.
मंगत कहते है, ‘मैं वाहनों की ओर भागा. वहां का नजारा भीषण था. लोग सड़क पर बिखरे पड़े थे और उनके टूटे हुए हाथों और पैरों से खून लगातार निकल रहा था. कुछ की मौके पर ही मौत हो चुकी थी. मैंने ड्यूटी पर तैनात अतिरिक्त एसपी और अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर की तलाश की, जो कारों से आगे खड़े थे तथा और अधिक सुरक्षा बलों के आने के लिए कॉल कर रहे थे.‘
वारदात के मौके से, एम्बुलेंस में ले जाते समय और अस्पतालों से दाखिल मृतकों और घायलों के कई वीडियो वायरल हुए हैं. इनमें से कई तो इतने वीभत्स हैं की उन्हें साझा नहीं किया जा सकता है.
‘भीड़ पागल सी हो उठी’
इसके बाद प्रदर्शनकारियों द्वारा गाली-गलौज और नारेबाजी, वाहनों को पलट जाने और कारों से बाहर निकलने वालों को लाठियों से पीट जाने के कुछ वीडियो (यहां और यहां) भी हैं. इस वीडियो के 1 मिनट 50 सेकेंड के निशान के बाद प्रदर्शनकारियों का गुस्सा उनके द्वारा प्रयुक्त बेहद अभद्र भाषा के रूप में देखा और सुना जा सकता है.
एक वीडियो में, वहां खड़ा होकर देखने वाले लोग गाड़ियों के जलने के साथ होने वाले तेज़ धमाकों के बारे में बात कर रहे हैं. एक दूसरे वीडियो में गोलियों की आवाज भी सुनाई दे रही है.
संधू ने दावा किया कि ‘ये वाहन गोला-बारूद से भरे हुए थे, जो फट रहे थे. पुलिस को जली हुई थार से कई कारतूस भी मिले हैं.‘
मंगत ने कहा, ‘भीड़ बहुत गुस्से में थी. हमने इन कारों से बाहर निकले तीन लोगों को भीड़ के गुस्से से बचाया और उन्हें पुलिस को सौंप दिया.‘
वे कहते हैं, ‘पहला व्यक्ति वह था जिसका वीडियो बाद में वायरल हुआ था. किसान उससे तेनी (अजय मिश्रा) के बारे में सवाल पूछ रहे थे. उसे जवाब देते समय मारते हुए दिखाया गया है और यहीं पर यह वीडियो खत्म हो जाता है. लेकिन हकीकत यह है कि बाद में उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया था. उसे बाद में किसानों द्वारा मारे गए शख्श के रूप में कैसे गिना जाता है, इस बारे में हम कुछ नहीं जानते.’
बाद में इस मृत व्यक्ति की पहचान शाम सुंदर निषाद के रूप में हुई. संधू ने पुलिस द्वारा उसे ले जाते हुए एक तस्वीर साझा की.
यही तस्वीर भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपने फेसबुक पेजों पर साझा की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पुलिस द्वारा ले जाये जाने के बावजूद शाम सुंदर को किसानों ने मार डाला.
3 अक्टूबर की शाम
घायलों को अस्पताल भेज दिए जाने के बाद, जिस ट्रॉली का इस्तेमाल उस दिन किसान नेताओं के लिए मंच के रूप में किया गया था और जिसमें स्पीकर भी सिस्टम था उसी का इस्तेमान सड़क को अवरुद्ध करने के लिए किया गया. वारदात स्थल से उठाया गया पहला शव इसी के बगल में एक बिस्तर पर रखा गया था.
घटना के बाद इस ट्रॉली के ऊपर खड़े होकर ही संधू अपने फेसबुक पेज पर लाइव हो गए. उनके वीडियो में एक और शव को मौके पर लाते हुए दिखाया जा रहा है.
इसके बाद प्रदर्शनकारी एक अन्य भाजपा कार्यकर्ता को ट्रॉली के पास ले कर आए और गुस्साई भीड़ ने उसे अपने कब्जे में लेने की कोशिश की, लेकिन मंगत ने उसे बचा लिया.
उसे ट्रॉली के ऊपर खींच लिया गया और पहले किसान नेताओं ने और बाद में पुलिसकर्मियों ने उससे पूछताछ की.
ट्रॉली के ऊपर इस अज्ञात व्यक्ति से की जा रही पूछताछ का एक छोटा वीडियो क्लिप वायरल हो गया है. एक अन्य लंबे वीडियो में एक पुलिसकर्मी, जो उससे पूछताछ कर रहा था, लोगों से कहता दिख रहा है कि वे उस व्यक्ति को पानी न दें.
भाजपा कार्यकर्ता को पुलिस को यह कहते हुए देखा जा सकता है कि वह अंकित दास का क्लर्क है, जो इस दंगल के अवसर पर आया था. बाद में, पुलिस ने अंकित दास को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया.
संधू के अगले लाइव वीडियो में मंगत ट्रॉली पर चढ़ गए और भीड़ को निर्देश देने लगे. तब तक भाजपा के दो कार्यकर्ता ट्रॉली में घायल पड़े देखे जा सकते थे.
मंगत ने कहा, ‘पुलिस घायल लोगों को ले जाना चाहती थी, लेकिन भीड़ ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी.’
प्रदर्शनकारियों ने आशीष मिश्रा, उनके पिता (अजय मिश्रा) और (केशव) मौर्य के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की. उन्होंने दंगल को भी तत्काल रोक जाने की मांग की.
इसके बाद मंगत और संधू ने लोगों से कहा कि जब तक संयुक्त किसान मोर्चा के नेता लखीमपुर खीरी नहीं पहुंच जाते, तब तक वे मौके से नहीं हटें और सड़क पर ही धरने पर बैठें रहें.
मंगत ने कहा, ‘हम इस बात हे चिंतित थे कि उत्तेजित भीड़ दंगल की ओर बढ़ सकती है और वहां जाकर भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ आमने-सामने टकरा सकती है.‘
आक्रोशित प्रदर्शनकारियों को जैसे-तैसे शांत किया गया और जैसे ही मृतकों के परिजन मौके पर पहुंचने लगे, पूरा-का-पूरा माहौल ग़मगीन हो गया.
उसके बाद मौके पर ही धरना शुरू हो गया और सुबह चार बजे बीकेयू के प्रवक्ता राकेश टिकैत के लखीमपुर खीरी पहुंचने के बाद प्रशासन के साथ एक समझौता हो गया.
दंगल
मिश्रा परिवार के लिए एक प्रमुख आयोजन होने के बावजूद, और कई फोन कैमरों के साथ भारी भीड़ की उपस्थिति के बावजूद, सार्वजनिक डोमेन में दंगल से सम्बंधित कोई खास वीडियो उपलब्ध नहीं हैं.
दंगल से पहले की जा रही तैयारियों से सम्बंधित एक रिपोर्ट यहां प्रस्तुत है.
2 अक्टूबर, जब आशीष मिश्रा दंगल की तैयारियों की देखरेख करने आए थे, की कुछ तस्वीरें उनके उसी करीबी सुमित जायसवाल ने पोस्ट की थी, जिसे बाद में थार से निकलकर भागते हुए देखा गया था.
भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस घटना की ढेर सारी तस्वीरें और एक संक्षिप्त वीडियो पोस्ट कर यह साबित करने की कोशिश की है कि आशीष मिश्रा पूरे समय कार्यक्रम में मौजूद रहे थे.
केशव मौर्य, जो इस आयोजन में आये हीं नही, की अनुपस्थिति में अजय मिश्रा भी इस दंगल में नजर आ रहे हैं.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)