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Friday, 22 November, 2024
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सैलानियों वाले कपड़े, टोपियां, ‘मंज़िल धुड़वा’- लखीमपुर पहुंचने के लिए तृणमूल MPs ने कैसे दिया पुलिस को चकमा

अधिकतर दूसरे राजनेताओं को या तो अनुमति नहीं मिली, या पहुंचने से पहले उन्हें हिरासत में ले लिया गया, लेकिन तृणमूल MPs दांव-पेंच और राजनीतिक संपर्कों के सहारे हिंसा-ग्रस्त जगह पर पहुंच गए.

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नई दिल्ली: ‘सैलानियों जैसे कपड़े’ पहने, टोपियां लगाए, पुलिस नाकों पर सवालों के जवाब देने, और अपनी अगली मंज़िल देखने के लिए गूगल नक़्शों से लैस, पांच तृणमूल सांसद दो गुटों में बंटकर उस जगह पहुंचने में कामयाब हो गए, जहां कम से कम अभी तक, कोई दूसरा राजनेता नहीं पहुंच पाया है- लखीमपुर खीरी.

सभी सियासी रास्ते फिलहाल यूपी के इस ज़िले की ओर जा रहे हैं, जहां 3 अक्तूबर को 8 लोगों की उस समय मौत हो गई, जब केंद्रीय मंत्री के क़ाफिले की एक गाड़ी, कथित रूप से प्रदर्शनकारी किसानों पर चढ़ गई, और उसके बाद हिंसा हुई.

लेकिन, जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है, या जिन्हें शुरु में वहां जाने की अनुमति नहीं दी गई है, वो सभी कांग्रेस नेता हैं- राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, सचिन पायलट और पंजाब सीएम चरणजीत चन्नी.

राहुल गांधी और प्रियंका को अब जाने की अनुमति दे दी गई है.

लेकिन तृणमूल नेता अपने दांव-पेंच, वाम-शासित पश्चिम बंगाल के ज़माने में बतौर विपक्षी नेता, पुलिस को चकमा देने के बरसों के अनुभव, लेफ्ट समेत सभी पार्टियों में अपने संपर्क, और कभी कभी बिल्कुल क़िस्मत के सहारे, मृतकों के परिवारों तथा आंदोलनकारी किसानों से मिलने पहुंच गए.

‘उन्हें चकमा दे दिया’

लोकसभा सांसद काकोली घोष दस्तिदार, और राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव, जिन्हों हाल ही में कांग्रेस छोड़ी है, सफर कर रहे पहले ग्रुप में थीं.

घोष दस्तिदार ने बताया कि सोमवार को वो दोनों लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचीं, जहां पुलिसकर्मियों का एक दल उनका इंतज़ार कर रहा था, और उन्हें अपने साथ घटनास्थल तक ले जाना चाहता था, जिसकी दूरी 100 किलोमीटर से अधिक थी.

उन्होंने कहा, ‘मैंने ऐसा बर्ताव किया कि जैसे मैं बहुत आभारी हूं, इसलिए सब कुछ ठीक था और वो थोड़ा ढीले पड़ गए. ठीक उसी वक़्त असदुद्दीन ओवैसी भी पहुंच गए, और मीडिया उनकी तरफ बढ़ गया, जिससे पुलिस भी व्यस्त हो गई’.

उन्होंने कहा, ‘रास्ते में पुलिस नाकों पर हमने पुलिस कर्मियों से कहा कि हम पर्यटक हैं, और दुधवा नेशनल पार्क जा रहे हैं’. आगे जब थोड़ी मुश्किलें आईं या रास्ता बदलने की ज़रूरत पड़ी, तो इस जोड़ी ने गुज़र रहे बाइकर्स को हाथ देकर अनुरोध किया ‘भैया थोड़ा आगे तक छोड़ देंगे’. लोग राज़ी हो गए, अकसर बिना ये जाने कि वो किसको ले जा रहे हैं.

दूसरे ग्रुप में सांसद डोला सेन, प्रतिमा मंडल, और अबीर रंजन बिस्वास थे, जो रविवार सुबह सवेरे राष्ट्रीय राजधानी पहुंच गए थे.

वो फौरन ही दिल्ली से लखीमपुर खीरी का 444 किलोमीटर लंबा सड़क मार्ग लेने के लिए निकल पड़े. लेकिन उनकी यात्रा कहीं ज़्यादा लंबी साबित हुई.

उन्होंने बहुत बारीकी से सारी तैयारियां कीं थीं, जिसमें ये भी तय था कि वो कौनसी गाड़ी किराए पर लेंगे- एक इनोवा क्रिस्टा, लेकिन उन्होंने किसी सिख ड्राइवर के बारे में नहीं सोचा था. वो थोड़ा सा झटका था क्योंकि नोएडा के बाद यूपी पुलिस ने बहुत जगह बैरिकेड्स लगाए हुए थे, और पुलिसकर्मी ख़ासतौर से ऐसे लोगों को शक से देख रहे थे, जिनका पंजाब से कोई भी ज़ाहिरी संपर्क हो.

सेन ने दिप्रिंट को बताया, ‘लेकिन हमने सैलानियों जैसे भड़कीले कपड़े पहने हुए थे, और कैप्स लगाई हुईं थीं. हम यही कहते रहे कि हम बरेली जा रहे हैं, फिर हमने कहा कि हम नैनीताल जा रहे हैं. शुक्र है हमने मास्क लगाए थे. हम नक़्शों में देखते रहे कि अगला पर्यटन स्थल कौन सा है, ताकि चेक नाकों पर प्रभावी तरीक़े से झूठ बोल सकें’.

उन्होंने आगे कहा, ‘रामपुर के बाद जब सड़क बंट गई तो हमने कहना शुरु किया कि हम पलिया जा रहे हैं, जो दुधवा का रास्ता है. पुलिस ने हमें जाने दिया क्योंकि उन्होंने देखा कि वो एक कमर्शियल गाड़ी थी, जिसमें पर्यटक सवार थे, एक कमर्शियल ड्राइवर था, और कुछ भी संदिग्ध नहीं था. लेकिन इस सब चेकिंग का मतलब ये था, कि अपनी मंज़िल तक पहुंचने में हमें 14 घंटे लग गए’.

लेफ्ट से पुराने संपर्क काम आए

तीन सांसदों का ये ग्रुप जब सोमवार देर रात लखीमपुर के क़रीब पहुंचा, तो पुलिसकर्मी अपनी चौकियों से जाने लगे थे, इसलिए ये लोग बिना किसी परेशानी के ज़िले में दाख़िल हो गए.

लेकिन अब एक और समस्या सामने खड़ी थी- रात कहां गुज़ारेंगे और खाएंगे क्या.

चेक नाकों पर पूछताछ में समय गंवाने के कारण, सांसद दिन भर सिर्फ बोतल-बंद पानी के सहारे रहे थे.

सेन, जो वामपंथी मज़दूर संघों से ऊपर उठकर टीएमसी में आईं थीं, ने कहा, ‘मैंने फोन करने शुरू कर दिए. मैं टिकैत जी और उनके लोगों के संपर्क में थी. मैंने अपने पुराने संपर्कों का भी इस्तेमाल किया. पता नहीं आपको पता है कि नहीं, लेकिन लखीमपुर खीरी सीपीआई(एम) का एक पुराना अड्डा हुआ करता था. इसलिए मैंने जिस जिस को संभव था उसे फोन किया, और देर रात होने के बावजूद उनमें से कुछ ने जवाब दिया’.

किसान नेताओं ने उनसे गुरुद्वारा गेस्ट हाउस में रुकने के लिए कहा था, लेकिन स्थानीय लेफ्ट संपर्कों ने उन्हें चेतावनी दी, कि वहां आधी रात में पुलिस छापा मार सकती है.


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इसलिए उन्होंने एक ‘जर्जर’ से होटल में ठहरने का फैसला किया, और चेक-इन के लिए एमपी कार्ड्स की बजाय, अपने वोटर पहचान पत्र का इस्तेमाल किया.

इस बीच, देव और घोष दस्तिदार रात बिताने के लिए वापस लखनऊ आ गईं, और अगली सुबह वापस लौट गईं.

सेन ने कहा, ‘अगली सुबह हम सवेरे 5 बजे निकले और पंजाबियों के से कपड़े पहने- शलवार-कमीज़ पहनकर मैं लग भी वैसी ही रही थी. टिकैत जी की ओर से भेजे गए किसान पुलिस से कहते रहे, कि हम मारे गए लोगों के रिश्तेदार हैं, जो शोकाकुल परिवार से मिलने पंजाब से आए हैं. पुलिस ने हमें नहीं रोका, क्योंकि उन्हें लगा कि हम पंजाब से थे. मैं अगली सीट पर बैठी थी, और पीछे बैठे प्रतिमा तथा अबीर कोई जोड़ा हो सकते थे. उन्होंने हमें जाने दिया’.

उन्होंने याद किया, ‘एक पीड़ित के घर में एक आदमी ने मुझसे पूछा भी, कि क्या मैं पंजाब से आई हूं’.

‘किसान चाहते हैं ममता का दौरा’

सांसदों ने मंगलवार को मृतकों के परिवारों से मुलाक़ात की, और उस जगह भी गए जहां पोस्टमॉर्टम किया गया था.

घोष दस्तिदार ने कहा, ‘क़ानून के अनुसार दिन ढलने के बाद आप पोस्टमॉर्टम नहीं कर सकते, लेकिन फिर भी उन्होंने ऐसा किया. यही वजह है कि परिवार अब शवों का दाह संस्कार करने से मना कर रहे हैं. गोलियों के घावों का कोई उल्लेख नहीं है. यूपी पुलिस अपराध के निशान मिटाने में बहुत चतुर हैं. ये कोई पहली बार नहीं है जो मैंने देखा है’.

सांसद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में टीएमसी का कुछ संगठन मौजूद है, लेकिन मांग ये की जा रही है कि ममता बनर्जी वहां का दौरा करें.

घोष दस्तिदार ने आगे कहा, ‘यूपी में हमारा कुछ संगठन मौजूद है. हमारे स्थानीय लड़के नीरज ने कारों का बंदोबस्त करने, और जगह तक पहुंचने में हमारी मदद की. रास्ते की पहचान के लिए वो हमारे साथ गया, लेकिन वो जगह इतना अलग-थलग है कि उसे भी पता नहीं था. लेकिन वहां पर भी लोग ममता दी को लेकर बहुत उत्साहित हैं. मैंने उन्हें फोन पर ये बताया. उन्होंने कहा कि वो लोगों से बात करेंगी, सभी से इनपुट्स लेंगी और फिर कोई फैसला करेंगी’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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