लखनऊ: लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत के मामले को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है. सोमवार को मौके पर जाने की कोशिश करने वाले सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं को रोक दिया गया था या हिरासत में लिया गया था.
हालांकि शाम होते-होते तक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव आदि नेताओं को पुलिस ने हिरासत से छोड़ दिया.
वहीं, सोमवार तड़के लखीमपुर खीरी जाते वक्त सीतापुर में हिरासत में ली गई कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने पीड़ित किसान परिवारों से मुलाकात के बगैर वापस नहीं जाने का ऐलान किया है. कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने दावा किया, ‘अभी तक प्रियंका गांधी वाद्रा हिरासत में हैं और इससे देश भर में भारी रोष है. सीतापुर में कार्यकर्ताओं का बड़ा जमावड़ा हो रहा है.’ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सीतापुर में पीएसी छावनी के सामने कैंडल मार्च भी निकाला.
लखनऊ के पुलिस आयुक्त (कमिश्नर) डी. के. ठाकुर ने बातचीत में अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव को हिरासत से छोड़े जाने की पुष्टि की है.
इससे पहले राज्य सरकार ने कहा था, ‘विपक्षी दलों का 2022 के विधानसभा चुनाव का सफर लाशों पर नहीं हो सकता. किसी को भी माहौल बिगाड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी.’
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को लखनऊ से लखीमपुर जाने से रोक दिया गया, जिसके बाद अखिलेश सड़क पर ही धरने पर बैठ गए. बाद में उन्हें तथा पार्टी के मुख्य महासचिव रामगोपाल यादव को हिरासत में ले लिया गया और उन्हें पुलिस बल इको गार्डन (धरना स्थल) लेकर गई.
सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने दावा किया कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को उनके विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास पर ही अवैध तरीके से रोके जाने और उनकी गिरफ्तारी की सूचना से पूरे प्रदेश में कार्यकर्ताओं में गुस्सा है. उन्होंने बताया कि सपा ने सभी जिला मुख्यालयों पर इस घटना के विरोध में आज धरना प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा.
इसके अलावा लखीमपुर खीरी जाने की कोशिश करने पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के मुखिया शिवपाल सिंह यादव को हिरासत में ले लिया गया जबकि राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को रास्ते में अलग-अलग स्थानों पर रोक दिया गया. बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र को भी लखीमपुर जाने से रोका गया. मिश्र को पुलिस ने उनके घर में ही रोक दिया था.
सपा अध्यक्ष यादव ने सड़क पर धरना प्रदर्शन के दौरान आरोप लगाया, ‘किसानों पर इतना अन्याय इतना जुल्म अंग्रेजों ने भी नहीं किया था जितना भाजपा नीत सरकार कर रही है. सरकार विपक्ष के किसी भी नेता को लखीमपुर खीरी क्यों नहीं जाने देना चाहती? सरकार आखिर क्या छुपाना चाहती है? यह सरकार इस बात से घबराती है कि जनता कहीं सच्चाई न जान जाए.’
अखिलेश ने आरोप लगाया, ‘भाजपा नीत सरकार पूरी तरह असफल हुई है. सबसे पहले गृह राज्य मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए. इसके साथ-साथ उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को भी इस्तीफा देना चाहिए जिन्हें कानून व्यवस्था बिगड़ने की पूरी सूचना थी.’
इसके पूर्व कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी तथा पार्टी से राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा समेत पांच नेताओं को सोमवार तड़के लखीमपुर खीरी जाते वक्त रास्ते में सीतापुर में हिरासत में ले लिया गया.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बताया कि प्रियंका तथा लखीमपुर खीरी जा रहे अन्य नेताओं को सीतापुर में हिरासत में लेकर पीएसी परिसर में ले जाया गया.
राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी को हापुड़ में तथा आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को सीतापुर में रोक दिया गया.
संजय सिंह ने मांग की कि लखीमपुर खीरी मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में एसआईटी से जांच कराई जाए, साथ ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त तथा उनके बेटे को गिरफ्तार किया जाए.
उधर, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया के अध्यक्ष शिवपाल यादव पुलिस को चकमा देकर लखनऊ स्थित अपने आवास से लखीमपुर खीरी के लिए रवाना तो हुए लेकिन रास्ते में राजधानी स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज के पास उन्हें रोक कर हिरासत में ले लिया गया. शिवपाल को पुलिस लाइन लाया गया जहां से काफी देर बाद उन्हें रिहा किया गया.
लखीमपुर खीरी जाने पर आमादा बहुजन समाज पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने बताया कि प्रशासन ने उन्हें एक नोटिस देते हुए लखीमपुर खीरी नहीं जाने को कहा है.
इस बीच, उत्तर प्रदेश सरकार ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को पत्र लिखकर लखीमपुर खीरी जाने के लिए लखनऊ आ रहे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा को स्थानीय चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डे पर उतरने की अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया है.
बघेल ने राज्य सरकार के इस कदम पर नाराजगी जाहिर करते हुए सवाल किया कि क्या उत्तर प्रदेश में नागरिक अधिकारों को स्थगित कर दिया गया है ? उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘उत्तर प्रदेश सरकार मुझे राज्य में न आने देने का फरमान जारी कर रही है. क्या उत्तर प्रदेश में नागरिक अधिकार स्थगित कर दिए गए हैं?’ राज्य सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने विपक्षी दलों के नेताओं को लखीमपुर खीरी जाने को अशांति फैलाने वाला राजनीतिक स्टंट करार दिया है.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘विपक्षी दल फोटो ऑप (तस्वीर खिंचवाने का मौका) हासिल करने और राजनीतिक फायदा लेने की फिराक में हैं. वे 2022 तक का जो राजनीतिक सफर तय करना चाहते हैं, वह लाशों पर नहीं हो सकता. सरकार नहीं चाहती कि लखीमपुर खीरी में शांति का माहौल बिगड़े. सरकार चाहती है कि शांतिपूर्ण माहौल में सही जांच हो और उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जा सके.’ गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया क्षेत्र में रविवार को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पैतृक गांव जाने के विरोध के दौरान हुए संघर्ष में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.
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