बेंगलुरू: सोमवार से शुरू हो रहे विश्व अंतरिक्ष सप्ताह में इस बार की थीम ‘अंतरिक्ष में महिलाएं’ है. इसे हर साल 4 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक 95 देशों में आयोजित किया जाता है. जिसमें 8,000 से भी अधिक कार्यक्रमों और गतिविधियों के साथ इसे दुनिया का सबसे बड़ा अंतरिक्ष कार्यक्रम माना जाता है. इन कार्यक्रमों में शिक्षा को बढ़ावा देने, सरकारी और स्कूली बच्चों के लिए गतिविधियां की जाती हैं.
विश्व अंतरिक्ष सप्ताह को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सबसे पहले दिसंबर 1999 में ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उत्सव’ और मानव समाज में इसके योगदान के रूप में मनाने की घोषणा की थी. इससे जुड़े कार्यक्रमों और विषयों की देखरेख ऑस्ट्रिया स्थित यूएन कमिटी ऑन द पीसफुल यूसेस ऑफ़ आउटर स्पेस (COPUOS) और यूएन ऑफिस फॉर आउटर स्पेस अफेयरस (UNOOSA) द्वारा की जाती है.
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इस आयोजन में संगठन वर्ल्ड स्पेस वीक एसोसिएशन की भी भागीदार होती है जिसकी स्थापना 1981 में हुई थी. यह अंतरिक्ष संबंधी शिक्षा और उसको बढ़ावा देने के लिए समर्पित संगठन है. इसके बॉर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स में बज़ एल्ड्रिन, जो नील आर्मस्ट्रांग के कुछ ही सेकंड बाद चंद्रमा पर कदम रखने वाले दूसरे मानव हैं, विज्ञान शिक्षाविद और प्लैनेटरी सोसाइटी के सीईओ बिल नी, हॉलीवुड अभिनेता टॉम हैंक्स और बहुत सारे ऐसे ही लोग शामिल हैं.
भारत में होने वाले समारोहों की देखरेख बेंगलुरु स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था करती है
भारत में विश्व अंतरिक्ष सप्ताह के लिए आउटरीच कार्यक्रम और अंतरिक्ष से संबंधित गतिविधियों के समन्वय और आयोजन के लिए सोसाइटी फॉर स्पेस एजुकेशन रिसर्च एंड डेवलपमेंट (SSERD) को ज़िम्मेदारी दी जाती है.
एसएसईआरडी बेंगलुरु स्थित एक अंतरिक्ष शिक्षा और आउटरीच के क्षेत्र में काम करने वाली एक स्वतंत्र गैर-लाभकारी संस्था है. इस साल इसके द्वारा अंतरिक्ष उद्योग में महिला वक्ताओं के साथ 4 से 11 अक्टूबर के बीच कार्यक्रम आयोजित किए जाने की योजना है और इसके बाद एक सप्ताह तक अंतरिक्ष से जुड़े एजुकेश्न आउटरीच को चलाया जाएगा.
विश्व अंतरिक्ष सप्ताह के दिनों को अंतरिक्ष अन्वेषण के इतिहास से जुड़ी दो बहुत ही महत्वपूर्ण तिथियों के आधार पर चुना गया था – 4 अक्टूबर 1957 को, पहला आर्टफिशल सैटलाइट, स्पुट्निक-1 लॉन्च किया गया था. स्पुट्निक के सफल लॉन्च और इसके कारण इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों के विकास, जो बाहरी अंतरिक्ष में निशाना लगा सकते थे, ने आउटर स्पेस के सैन्य रूप से दुरूपयोग के बारे में चिंताओं को जन्म दिया था.
इसके दस साल बाद, 10 अक्टूबर 1967 को, आउटर स्पेस ट्रीटी पर हस्ताक्षर किए गए थे, जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून को आधार प्रदान करती है और जिसका मसौदा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा तैयार किया गया था.
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