चंडीगढ़: पंजाब के नए कैबिनेट मंत्रियों, जिन्हें मंगलवार को उनके विभाग आवंटित कर दिए गए, के ऊपर अब काफी बड़ी जिम्मेदारी आ गई है.
दरअसल, इन मंत्रियों- जिनमें कई पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का विरोध करने वाले रहे हैं- को ऐसे विभाग सौंपे गए हैं जो उन्होंने अमरिंदर सिंह के कुर्सी पर रहने के दौरान काफी जोर-शोर से उठाए थे. यही मुद्दे उनके खिलाफ नाराजगी की एक बड़ी वजह भी थे.
नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने 14 विभाग अपने पास रखे हैं, जिसमें खनन, आबकारी और कराधान और ऊर्जा मंत्रालय शामिल हैं. अपने पास पहले रहे विभागों- तकनीकी शिक्षा, रोजगार सृजन और पर्यटन में से उन्होंने पर्यटन को ही बरकरार रखा है.
चन्नी ने जो विभाग अपने पास रखे हैं, वे संख्या के मामले में तो अमरिंदर के पास रहे 22 विभागों से कम हैं. लेकिन उनके ऊपर दो महत्वपूर्ण कार्यों का जिम्मा है- एक अवैध खनन को खत्म करना और उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें कम करना.
चन्नी ने पिछले सोमवार को शपथ लेने के बाद अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में इन दोनों का जिक्र करते हुए इन्हें अपनी प्राथमिकताओं में गिनाया.
शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन के समय निजी बिजली उत्पादकों और पंजाब सरकार के बीच बिजली खरीद समझौते (पीपीए) पर हस्ताक्षर किया जाना बिजली की दरें घटाने के मामले में आड़े आता है.
2017 के चुनावों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) दोनों ने आरोप लगाया था कि पीपीए की शर्तों को निजी कंपनियों के पक्ष में रखा गया है, जिससे उपभोक्ताओं को महंगी बिजली मिल रही है.
दोनों ही पार्टियों ने सत्ता में आने पर पीपीए रद्द करने का वादा किया था. हालांकि, करीब साढ़े चार साल तक सत्ता में रहने के बावजूद अमरिंदर ने इन समझौतों को रद्द करने की दिशा में कुछ नहीं किया. उनका तर्क था कि इस कदम से मुकदमेबाजी होगी और मामला सुलझाने में बहुत अधिक समय लगेगा.
यह बात जगजाहिर है कि अमरिंदर का सस्ती बिजली मुहैया कराने के वादे को पूरा न कर पाना पंजाब कांग्रेस में उनके और उनके विरोधियों के बीच टकराव की प्रमुख वजहों में से एक था.
अब जबकि खुद चन्नी ने ऊर्जा मंत्रालय संभाल रखा है तो सभी की निगाहें इस पर टिकी होंगी कि क्या वह पीपीए रद्द कर पाते हैं.
इसी तरह, 2017 के चुनावों से पहले कांग्रेस और आप ने यह आरोप भी लगाया था कि सत्ता में बैठे अकाली नेता राज्य में अवैध खनन को संरक्षण दे रहे हैं. अवैध खनन रोकना भी कांग्रेस की तरफ से किए गए प्रमुख चुनावी वादों में से एक था.
हालांकि, अमरिंदर के मुख्यमंत्री रहने के दौरान इस पर कुछ खास नहीं किया गया था, लेकिन पिछले सोमवार को अपनी प्रेस कांफ्रेंस में चन्नी ने वादा किया कि यह मामला भी उनकी प्राथमिकता में शामिल है. अब चूंकि वह खनन विभाग भी खुद ही संभाल रहे हैं, उन्हें अपने कहे पर अमल करके दिखाना होगा.
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रंधावा को मिला गृह विभाग, बेअदबी का मामला देखेंगे
उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा को गृह विभाग मिला है, यह ऐसा मंत्रालय है जिस पर 2018 में कैबिनेट में शामिल किए जाने के बाद से ही उनकी नजरें टिकी थीं. अमरिंदर ने उस समय उन्हें यह मंत्रालय पाने से वंचित कर दिया था और इसे अपने पास ही रखा था.
रंधावा के पास जेल और कोऑपरेशन विभाग भी है.
रंधावा 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और फिर प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग में दो सिखों की मौत से जुड़े मामलों की जांच पर ध्यान देने में नाकाम रहने को लेकर अमरिंदर के खिलाफ सबसे मुखर रहे हैं.
रंधावा और बगावत में उनका साथ देने वाले अन्य नेता चन्नी, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और परगट सिंह आदि यह आरोप लगाते रहे हैं कि बेअदबी और पुलिस फायरिंग के मामलों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल और तत्कालीन डीजीपी सुमेध सिंह सैनी जिम्मेदार थे. लेकिन अमरिंदर के मुख्यमंत्री रहने के दौरान पंजाब पुलिस की कई एसआईटी की तरफ से इन मामलों की जांच के बावजूद कभी किसी ने उन्हें ‘हाथ तक नहीं लगाया.’
रंधावा और अन्य बागी विधायकों की तरफ से इस साल मार्च में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में फायरिंग मामले की जांच कहीं भी नहीं टिकने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा और उनकी टीम को भी जिम्मेदार ठहराया गया था.
हाई कोर्ट में जांच रिपोर्ट खारिज होने के बाद फायरिंग मामले की जांच के लिए एक नई एसआईटी बनी थी. यह एसआईटी अब रंधावा को रिपोर्ट करेगी और अब उस मामले में कोई नतीजा देने की जिम्मेदारी उनकी है जिसे वह अमरिंदर सिंह के सामने इतने समय से उठा रहे थे.
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मादक द्रव्यों पर रोक लगाने का जिम्मा भी रंधावा संभालेंगे
रंधावा जो एक दूसरा मुद्दा अमरिंदर के कार्यकाल के दौरान उठाते रहे हैं, वह भी अब उनके अधिकार क्षेत्र में आ गया है. मादक द्रव्य 2017 के चुनावों में एक प्रमुख मुद्दा था और यह आरोप लगाया जाता था कि तत्कालीन अकाली-भाजपा नेतृत्व नशीली दवाओं के कारोबार को संरक्षण दे रहा है.
अमरिंदर ने सत्ता में आने के एक महीने के भीतर नशे के दुष्चक्र को खत्म करने का वादा किया था. उन्होंने अपने हाथ में गुटका (सिख भजनों और गुरबानी का एक पवित्र संग्रह) लेकर शपथ भी ली थी. रंधावा इस बात को लेकर नाराजगी जताते रहे हैं कि अमरिंदर ड्रग्स की उपलब्धता नियंत्रित करने में नाकाम रहे हैं.
नवजोत सिद्धू ने भी आरोप लगाया था कि अमरिंदर ने ड्रग माफिया के साथ कथित संलिप्तता को लेकर अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी. उन्होंने इस संदर्भ में मादक पदार्थों के कारोबार में मजीठिया की कथित भूमिका को लेकर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में राज्य टास्क फोर्स की तरफ से पेश की गई एक रिपोर्ट का हवाला भी दिया था.
अमरिंदर के विरोधियों ने रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करने पर सवाल उठाया और साथ ही पूछा था कि मजीठिया के खिलाफ उचित कार्रवाई क्यों नहीं की गई. अब, रंधावा गृह मंत्रालय के प्रमुख के नाते यह आदेश देने के लिए स्वतंत्र हैं कि रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए और उसके मुताबिक ही कोई कार्रवाई की जाए.
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अन्य मंत्रियों पर भी बड़ी जिम्मेदारी
गिद्दड़बाहा से विधायक अमरिंदर सिंह राजा वारिंग को परिवहन विभाग मिला है. बगावती विधायकों में शामिल रहे वारिंग बादल की परिवहन कंपनियों को राज्य में निजी बसें चलाने की अनुमति देने के लिए अमरिंदर पर निशाना साधते रहे हैं. आरोप लगाया जाता है कि जब बादल सत्ता में थे तो उन्होंने कथित तौर पर अपनी बसों के लिए सबसे अधिक कमाई वाले मार्गों को चुन लिया था.
अब वारिंग को परिवहन विभाग की जिम्मेदारी मिलने के साथ उम्मीद की जा रही है कि बादल की कंपनियों को मिले रूट परमिट रद्द कर दिए जाएंगे.
दूसरे उपमुख्यमंत्री ओम प्रकाश सोनी को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण आवंटित किया गया है. पहले उनके पास चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान मंत्रालय भी था. उनके पास रक्षा सेवा कल्याण और स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े दो विभाग बहाल रहे हैं.
मंत्रिमंडल में नया चेहरा पूर्व हॉकी कप्तान परगट सिंह को शिक्षा और खेल मंत्री बनाया गया है जबकि गुरकीरत कोटली को उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग मिला है. संगत सिंह गिलजियान नए वन और श्रम मंत्री हैं, राज कुमार वेरका सामाजिक न्याय और चिकित्सा शिक्षा विभाग के मंत्री और रणदीप सिंह कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री होंगे.
पंजाब के 15 विधायकों ने रविवार को चन्नी की कैबिनेट में मंत्री के तौर पर पद की शपथ ली थी. इस कैबिनेट में सात नए चेहरे हैं, जबकि नए मुख्यमंत्री ने पिछली अमरिंदर सरकार के पांच मंत्रियों को हटा दिया है और आठ को बरकरार रखा है.
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