संयुक्त राष्ट्र: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के समक्ष अपने पहले संबोधन में दुनिया से कोविड-19 वैश्विक महामारी, जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकार हनन जैसी वैश्विक समस्याओं से मजबूती से निपटने की अपील की.
उन्होंने सैन्य संघर्ष की निंदा की और जोर देकर कहा कि अमेरिका, चीन के साथ कोई ‘नया शीत युद्ध’ नहीं चाहता है.
बाइडन ने अन्य देशों के साथ मिलकर काम करने की बात पर जोर दिया, लेकिन उन्होंने अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी को लेकर अपने सहयोगियों द्वारा की जा रही आलोचना और फ्रांस के साथ कूटनीतिक संबंधों में पड़ी खटास को लेकर कोई बात नहीं की.
गौरतलब है ऑस्ट्रेलिया ने 12 पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए 2016 में फ्रांस सरकार के स्वामित्व वाली नौसैन्य कम्पनी के साथ 90 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (4799 अरब रुपये) का अनुबंध किया था, लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका एवं ब्रिटेन के साथ परमाणु ऊर्जा चालित आठ पनडुब्बियों के लिए नया समझौता किया है. इस समझौते के कारण उसने फ्रांस के साथ अनुबंध रद्द कर दिया है.
फ्रांस के साथ पनडुब्बी सौदे के अचानक रद्द किए जाने के विरोध में फ्रांस ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से अपने राजदूत पिछले सप्ताह वापस बुला लिए थे.
बाइडन ने विश्व के नेताओं की वार्षिक बैठक में मंगलवार को कहा कि देश के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका पहले’ की विदेश नीति के चार वर्षों बाद, अमेरिका एक विश्वसनीय अंतर्राष्ट्रीय साझेदार है.
उन्होंने कहा, ‘हम निरंतर कूटनीति का एक नया युग आरंभ कर रहे हैं, जिसमें हम नए तरीकों में निवेश करने के लिए हमारी विकास कार्यों में मददगार शक्ति का उपयोग कर रहे हैं, ताकि दुनिया भर के लोगों का कल्याण हो सके.’
राष्ट्रपति ने अपने मित्रों एवं विरोधियों से मिलकर काम करने की भावुक अपील की और तर्क दिया कि संकटों से निपटना ‘मानवता को पहचानने की हमारी क्षमता पर निर्भर करेगा.’
बाइडन ने कहा कि अमेरिका अफगानिस्तान में पिछले महीने सैन्य अभियानों के अंत के अहम मोड़ पर पहुंचा, जिससे अमेरिका का सबसे लंबा युद्ध समाप्त हुआ. उन्होंने कहा कि अब उनका प्रशासन ऐसे समय में गहन कूटनीति की ओर ध्यान केंद्रित करेगा, जब विश्व कई संकटों का सामना कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘आज हमारे कई सबसे बड़े संकट ऐसे हैं, जिनसे हथियारों से निपटा नहीं जा सकता. बम या गोलियां कोविड-19 या उसके भावी स्वरूपों से रक्षा नहीं कर सकतीं.’
उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल करने और जलवायु परिवर्तन के ‘निर्दयी’ प्रभावों से निपटने में मदद करने के लिए गरीब देशों के लिए अमेरिकी वित्तीय सहायता को दोगुना करने का संकल्प किया. इसका अर्थ यह होगा कि सहायता को बढ़ाकर लगभग 11.4 अरब डॉलर प्रति वर्ष किया जाएगा. यह राशि पांच महीने पहले ही दोगुनी बढ़ाकर 5.7 अरब डॉलर प्रति वर्ष की गई थी.
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अमीर देशों ने सालाना 100 अरब डॉलर खर्च करने का वादा किया है, लेकिन एक नए अध्ययन से पता चलता है कि वे इस राशि से 20 अरब डॉलर कम राशि खर्च कर रहे हैं. बाइडन ने कहा कि उनकी नई प्रतिबद्धता से अमीर देशों को अपने लक्ष्य तक पहुंचने में मदद मिलेगी.
बाइडन ने घोषणा की कि दुनिया ‘इतिहास में बदलाव के एक बिंदु’ पर खड़ी है और उसे कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकार हनन के मुद्दों से निपटने के लिए तेजी से सहयोगात्मक रूप से आगे बढ़ना चाहिए.
बाइडन ने चीन का सीधे उल्लेख किये बिना दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को लेकर बढ़ती चिंताओं को स्वीकार किया. हालांकि उन्होंने कहा, ‘हम एक नया शीतयुद्ध या कठोर ब्लॉक में विभाजित दुनिया नहीं चाहते हैं.’
बाइडन मंगलवार के अपने संबोधन से पहले संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मिलने सोमवार शाम न्यूयॉर्क पहुंचे थे. बाइडन ने इतिहास के एक कठिन समय में इस वैश्विक निकाय की प्रासंगिकता और आकांक्षा का पूरी तरह से समर्थन की पेशकश की.
बाइडन ने कहा कि अमेरिका ने स्वास्थ्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन से लेकर उभरती प्रौद्योगिकियों तक की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ क्वाड साझेदारी का ‘उन्नयन’ किया है.
उच्च स्तरीय 76वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने वाले विश्व नेताओं को संबोधित करते हुए बाइडन ने कहा कि राष्ट्रपति पद पर पिछले आठ महीनों में उन्होंने अमेरिका के गठबंधनों के पुनर्निर्माण को प्राथमिकता दी है, अपनी साझेदारी को पुनर्जीवित किया है और यह स्वीकार किया है कि वे जरूरी होने के साथ ही अमेरिका की सुरक्षा और समृद्धि के लिए आवश्यक हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमने स्वास्थ्य सुरक्षा से लेकर जलवायु परिवर्तन से लेकर उभरती प्रौद्योगिकियों तक की चुनौतियों का सामना करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के बीच क्वाड साझेदारी को बढ़ाया है.’
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