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Monday, 25 November, 2024
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जब्त सामग्री की जानकारी लीक होने की चिंता, दिल्ली HC ने न्यूजलॉन्ड्री की याचिका पर IT विभाग से मांगा जवाब

न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने विभाग के वकील को किसी भी तरह की जानकारी लीक होने के खिलाफ शपथपत्र देने के संबंध में निर्देश लेने के लिए समय प्रदान किया.

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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को समाचार पोर्टल न्यूजलॉन्ड्री और उसके सह-संस्थापक अभिनंदन सेखरी की उस याचिका पर आयकर विभाग का रुख जानना चाहा, जिसमें इस महीने की शुरुआत में किए गए एक सर्वे अभियान के दौरान जब्त की गई सामग्री की जानकारी किसी भी तरह लीक होने से रोकने का अनुरोध किया गया है.

न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने विभाग के वकील को किसी भी तरह की जानकारी लीक होने के खिलाफ शपथपत्र देने के संबंध में निर्देश लेने के लिए समय प्रदान किया. साथ ही पीठ ने संबंधित अधिकारी से सुनवाई की अगली तारीख 21 सितंबर को सुनवाई में शामिल होने को कहा.

जानकारी लीक होने की आशंका नहीं होने पर जोर दे रहे विभाग के वकील से पीठ ने कहा, ‘ अपने मुवक्किल से (सुनवाई में शामिल होने के लिए) को कहें ताकि हम इसे यहीं बंद कर सकें. अगर वह अपनी तरफ से बयान देता है, तो हम मुद्दे को समाप्त कर सकते हैं.’

विभाग के वकील अजीत शर्मा ने कहा कि हजारों लोगों का डेटा विभाग के पास सुरक्षित है और इसका उपयोग केवल कानून के अनुसार किया जा सकता है.

सुनवाई के दौरान पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि आम तौर पर किसी का डेटा लीक नहीं होना चाहिए क्योंकि यह नैतिक और कानूनी रूप से गलत है.

पीठ ने कहा, ‘ हमने चैनलों पर देखा है कि लोगों का जो डेटा जब्त किया गया, उसे प्रदर्शित किया जा रहा है… ऐसा नहीं होना चाहिए.’

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि उनके मुवक्किल को आयकर अधिनियम के तहत चार नोटिस जारी किए गए थे और 10 सितंबर को समाचार पोर्टल के परिसर में एक सर्वे किया गया और इस दौरान आयकर अधिकारियों द्वारा याचिकाकर्ता सह-संस्थापक से संबंधित एक मोबाइल फोन और एक लैपटॉप सहित कई उपकरण जब्त कर लिए गए थे. उन्होंने कहा कि इसमें कई सूचनाएं थीं, जिनका आयकर कार्यवाही से कोई लेना-देना नहीं था.

दवे ने कहा कि इस डेटा में व्यक्तिगत तस्वीरें और खोजी कहानियों से संबंधित जानकारी हो सकती है. वरिष्ठ वकील ने तर्क दिया कि कोई भी डेटा लीक, निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा इसलिए आयकर अधिकारियों को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे कोई जानकारी लीक नहीं करें और जो कुछ भी कार्यवाही के लिए प्रासंगिक नहीं है उसे हटा दें.

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