नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति एम वेणुगोपाल की नियुक्ति में ‘जल्दबाजी’ पर नाराजगी जताई.
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बृहस्पतिवार को इस मुद्दे पर सुनवाई होगी और अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से इस मुद्दे पर जवाब देने के लिए भी कहा.
पीठ में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव भी शामिल हैं.
पीठ ने वेणुगोपाल से कहा, ‘हम आपको कल पेश होने के लिए पहले से बता रहे हैं, यह मामला एनसीएलएटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति चीमा की समयपूर्व सेवानिवृत्ति के बारे में है. ऐसा लगता है कि उन्हें हटा दिया गया है. इसमें कहा गया है कि एनसीएलएटी के अध्यक्ष श्री चीमा की सेवानिवृत्ति से 10 दिन पहले श्री वेणुगोपाल को नियुक्त किया गया. हमें नहीं पता कि यह कैसे हो रहा है.’
केंद्र ने शनिवार को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में आठ न्यायिक सदस्यों और 10 तकनीकी सदस्यों की नियुक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
न्यायमूर्ति एम वेणुगोपाल को एनसीएलएटी का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया है. अपीलीय न्यायाधिकरण डेढ़ साल से अधिक समय से स्थायी प्रमुख के बिना है.
पिछले सप्ताह शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए चिंता जताई थी कि केंद्र अर्ध-न्यायिक निकायों में अधिकारियों की नियुक्ति नहीं करके न्यायाधिकरणों को ‘निष्क्रिय’ कर रहा है.
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