नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार और पुलिस को निर्देश दिया कि यहां संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे और शरणार्थी का दर्जा चाह रहे अफगान नागरिकों की संख्या उचित तरीके से कम की जाए और सुनिश्चित किया जाए कि वे कोविड-19 नियमों का कड़ाई से पालन करें.
उच्च न्यायालय ने कहा कि कानून सभी के लिए समान है. उसने अधिकारियों से पूछा कि प्रदर्शन के लिए 500 लोग कैसे जमा हो सकते हैं, जबकि दिशानिर्देशों में इसकी अनुमति नहीं है.
अदालत वसंत विहार निवासी कल्याण संघ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसने कहा था कि दक्षिण दिल्ली के इस इलाके में बी ब्लॉक में स्थित यूएनएचसीआर के कार्यालय के बाहर 15 अगस्त से विदेशी नागरिक (शरणार्थी का दर्जा मांग रहे लोग) जमा हैं जिससे यहां के निवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. याचिका में कहा गया कि प्रदर्शनकारी आसपास की गलियों और पार्कों में भी जमा हो गये हैं.
जब केंद्र के वकील ने अफगानिस्तान के राजनीतिक संकट का जिक्र करते हुए कहा कि स्थिति सामान्य नहीं है तथा अभूतपूर्व है तो अदालत ने साफ किया कि किसी को अनुचित तरीके से परेशान करने का सवाल नहीं उठता और कानून सभी के लिए समान है.
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा, ‘कोई उन्हें प्रदर्शन करने से नहीं रोक रहा। पहली बात तो वे गलत जगह पर हैं. यह तय प्रदर्शन स्थल नहीं है. दूसरी बात कि कोविड-19 के लिए दिशानिर्देशों के अनुसार 100 से ज्यादा लोग जमा नहीं हो सकते. मुझे निर्देश देना होगा कि वहां 100 से ज्यादा लोग नहीं होने चाहिए। वहां 500 प्रदर्शनकारी कैसे हो सकते हैं.’
केंद्र सरकार के स्थायी वकील अजय दिग्पॉल ने कहा कि इस विषय को मानवीय दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए और अदालत को इसके समाधान के लिए कुछ समय और देना चाहिए.
अदालत ने समय देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए सात सितंबर की तारीख तय की. अदालत ने यह भी कहा कि यदि तब तक मामला नहीं सुलझा तो उसे कोई आदेश जारी करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.