बेंगलुरू: आईएएस अधिकारी एमआर रवि, जो कर्नाटक के चामराजनगर में उपायुक्त के पद पर तैनात हैं, भारी आलोचनाओं से घिर गए हैं क्योंकि वो सरकार की ओर से चलाई जा रही कल्याण योजनाओं और पेंशन के लिए कोविड टीकाकरण को एक शर्त बनाना चाहते थे.
मंगलवार शाम अपने ऑफिस में मीडिया से बात करते हुए रवि ने 1 सितंबर से ‘टीका नहीं तो राशन नहीं’और ‘टीका नहीं तो पेंशन नहीं’ जैसी कल्याण योजनाएं शुरू किए जाने पर बात की.
तीखी प्रतिक्रिया होने के बाद, जिला प्रशासन ने बुधवार सुबह एक स्पष्टीकरण जारी किया, जिसमें ज़ोर देकर कहा गया कि इस आशय के कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किए गए थे. स्पष्टीकरण पर रवि के हस्ताक्षर थे.
आईएएस अधिकारी इस साल मई में भी कोविड की लहर के दौरान उस समय सुर्खियों में आए थे, जब चामराजनगर जिला अस्पताल में ‘ऑक्सीजन की कमी’ की वजह से 24 मरीज़ों की मौत हो गई थी.
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वायरल वीडियो
रवि का एक वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें वो दो स्कीमों की घोषणा और जिले में टीकाकरण दरों की सराहना करते देखे जा सकते हैं.
वीडियो में उन्हें कहते सुना जा सकता है, ‘जिला प्रशासन अभी तक 18 वर्ष से अधिक आयु के 75 प्रतिशत लोगों को टीका लगाने में कामयाब हो गया है. लोगों का जीवन बचाने और अपने नागरिकों को स्वस्थ रखने के उद्देश्य से 1 सितंबर से हम एक नया कार्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं’.
उन्होंने आगे कहा, ‘हम ऐसे लोगों के लिए वैक्सीन अनिवार्य कर देंगे, जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत राशन लेना चाहते हैं. उसे इस नारे के साथ शुरू करेंगे ‘टीका नहीं, तो राशन नहीं’. इसी तरह ‘टीका नहीं तो पेंशन नहीं’ को भी लॉन्च किया जाएगा. हमने पहले ही सभी बैंकों को सूचित कर दिया है और निर्देश जारी कर दिए हैं’.
रवि फिर अनुमान लगाते हैं कि स्कीमों के तहत कितने लोगों को कवर किए जाने की संभावना है. उन्होंने आगे कहा, ‘2.9 लाख लोग हैं जिनके पास बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) और अंत्योदय कार्ड्स हैं और जो पीडीएस से राशन लेते हैं. करीब 2.2 लाख लोग ऐसे हैं जो सरकार से पेंशन का लाभ लेते हैं’. कदम को जायज़ ठहराते हुए उन्होंने कहा, ‘नागरिकों के अंदर टीकाकरण को लेकर झिझक है और इन नए कार्यक्रमों का उद्देश्य ये है कि वो टीकाकरण के महत्व को समझ लें’.
उनके बयान के कुछ ही घंटों के भीतर, जिला प्रशासन ने पांच लाइनों का एक बयान जारी किया.
वीडियो बयान के बारे में किसी भी उल्लेख से बचते हुए, स्पष्टीकरण में कहा गया, ‘हमने ‘टीका नहीं तो राशन नहीं, पेंशन नहीं’ के शीर्षक से कुछ समाचार लेखों का संज्ञान लिया है. जिला प्रशासन ने इस बारे में कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किए हैं. लाभार्थियों को राशन अथवा पेंशन न देने का प्रश्न ही नहीं उठता. अब ये स्पष्टीकरण जारी किया गया है’.
दिप्रिंट ने फोन कॉल्स और मैसेज के ज़रिए कर्नाटक के मुख्य सचिव पी रवि कुमार से ये पूछने के लिए संपर्क किया कि क्या इस मामले में कोई कार्रवाई की गई है. लेकिन इस खबर के प्रकाशित होने तक उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी.
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‘बेतुका और औपनिवेशिक’
सोशल मीडिया पर यूज़र्स ने रवि की ओर से घोषित स्कीमों को ‘बेतुकी’ और ‘औपनवेशिक’ कहकर उनकी तीखी आलोचना की.
We've launched a drive with the slogan 'no vaccination, no ration'. To avail ration facility, the BPL & anthyodaya cardholders, around 2.9 lakhs in number, will need to take vaccine compulsorily: MR Ravi, Deputy Commissioner of Chamarajanagar district in Karnataka pic.twitter.com/wOl5tQV5ye
— ANI (@ANI) September 1, 2021
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने ट्विटर पर कहा, ‘बुनियादी भोजन और पेंशन से इस तरह वंचित करना, गैर-कानूनी, अनैतिक और असंवैधानिक है’. बुधवार को एक प्रेस कॉनफ्रेंस में उन्होंने अधिकारी को निलंबित किए जाने की मांग की.
In Chamarajanagar, the BJP Govt says it won’t give ration or pension to those not vaccinated.
But are there enough vaccines?
Have they persuaded people to take vaccines?Such denial of basic food and pension is illegal, unethical, unconstitutional.https://t.co/JVqfkrpGKb
— DK Shivakumar (@DKShivakumar) August 31, 2021
कर्नाटक में अब तक 4.36 करोड़ लोगों को कोविड वैक्सीन लग चुकी है, जिनमें 1.07 करोड़ लोगों को दूसरा डोज़ मिला है.
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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