नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, जो इन दिनों कोविड महामारी के बीच तमाम तरह की गतिविधियो का केंद्र बना हुआ है, से एक बार में पांच वरिष्ठ अधिकारियों की विदाई हो रही है. एक ओर जहां एक अतिरिक्त सचिव अध्ययन अवकाश पर जा रहीं हैं, वहीं चार अन्य, जिनमें से अधिकांश संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी हैं, का या तो तबादला या फिर उनका प्रत्यावर्तन कर दिया गया है.
हालांकि यह सारी आवाजाही वैसे तो नियमित ही हैं, लेकिन मंत्रालय के लिए इस विशेष रूप से व्यस्त समय पर और जुलाई में नए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के कार्यभार संभालने के थोड़े समय के भीतर ही ऐसा हो रहा है.
मंत्रालय छोड़ने वाले पांच अधिकारियों में संयुक्त सचिव रेखा शुक्ला, एक आईआरएस अधिकारी जो अपने कैडर में वापस जा रही हैं, और आर्थिक सलाहकार अरुण कुमार, जो भारतीय आर्थिक सेवा के एक अधिकारी हैं और पदोन्नति के साथ अपने कैडर में लौट रहे हैं, शामिल हैं.
संयुक्त सचिव प्रीति पंत को इसी महीने की शुरुआत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया था, जबकि एक और संयुक्त सचिव निपुण विनायक आने वाले दिनों में अपने मूल कैडर महाराष्ट्र में लौट आए हैं.
इस बीच, अतिरिक्त सचिव और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की मिशन निदेशक वंदना गुरनानी अध्ययन अवकाश पर जाने के लिए तैयार हैं. पंत के अलावा अन्य चार का अगले महीने मंत्रालय छोड़ने का कार्यक्रम है.
इस सभी अधिकारियों का प्रस्थान एक ऐसे समय पर हो रहा है जब संयुक्त सचिव लव अग्रवाल, जो कोविड के दौरान सरकार का सबसे प्रसिद्ध चेहरा रहे हैं, वर्तमान में अपने टूटे हुए पैर के कारण मंत्रालय से दूर रह रहे हैं.
दिप्रिंट ने इतने कम समय के भीतर इतने लोगों के मंत्रालय छोड़ने के कारण पड़ने वाले प्रभाव पर टिप्पणी के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय से ईमेल के माध्यम से संपर्क किया, लेकिन इस समाचार के प्रकाशित होने तक उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी .
अलबत्ता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ‘कुछस्थानांतरणों के कारण सरकार अपना काम करना बंद नहीं कर देतीहै’.
इस अधिकारी का कहना था कि ‘जाहिर है, ये पद जल्द ही भर दिए जाएंगे. सुश्री प्रीति पंत की जगह पहले ही एक व्यक्ति (अधिकारी) आ चुका है, अन्य भी जल्द ही शामिल हो जाएंगे.’
यह भी पढ़ें: केरल और महाराष्ट्र में कोविड संक्रमण में आई तेजी के कारण भारत की R वैल्यू बढ़कर हुई 1.17
उनकी भूमिकाएं क्या हैं?
गुरनानी ने टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के पदेन सदस्य के रूप में कार्य किया है, जो सीधे तौर पर कोविड टीकाकरण के बारे में निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल है. हालांकि, मंत्रालय के कार्य आवंटन के लिए जारी अधिसूचना के अनुसार, कोविड टीकाकरण का प्रभार एक अन्य अतिरिक्त सचिव मनोहर अगनानी के पास है.
मंत्रालय के एक दूसरे अधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा. कि ‘आपको यह समझना होगा कि अभी हाल-फिलहाल तक लगभग पूरा मंत्रालय किसी न किसी क्षमता में इस महामारी के प्रबंधन से जुड़ा हुआ था. हालांकि पिछले कुछ महीनों में चीजें बदलने लगी हैं.’
टीकाकरण की देखरेख की जिम्मेदारी संभालने के कारण, गुरनानी राज्यों के साथ मंत्रालय की बातचीत, विशेष रूप से कोविड टीकाकरण के मामले में, में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका में रही हैं,
अन्य अधिकारियों की बात करें तो दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की नई क्राउडफंडिंग पहल के पीछे शुक्ला का दिमाग है. वह कुष्ठ कार्यक्रम, नॉन-कम्यूनिकबल रोग कार्यक्रम और डेंगू और मलेरिया जैसी वेक्टर (रोगाणुवाहक) जनित बीमारियों से निपटने की संबंधी पहलों की भी देखरेख करती थीं.
पंत मुख्य रूप से राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के लिए जिम्मेदार थीं, और उनकी अन्य जिम्मेदारियों में बहरेपन के खिलाफ राष्ट्रीय कार्यक्रम और मौखिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शामिल थे.
विनायक मुख्य रूप से चिकित्सा शिक्षा के लिए जिम्मेदार हैं. उनके अधिकार क्षेत्र में विभिन्न परिषद जैसे कि फार्मेसी, दंत चिकित्सा आदि आते हैं. अरुण कुमार एनएचएम फाइनेंस और कई अन्य वित्त-संबंधित विभागों को देखते हैं.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)