कोलकाता: चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर चुनाव प्रबंधन से रिटायर भले हो गए हों, लेकिन वो सक्रिय रूप से तृणमूल कांग्रेस के साथ उत्तरपूर्व में उसके पदचिन्हों का विस्तार करने में लगे हैं, और दूसरी पार्टियों के साथ बातचीत कर रहे हैं, कि वो ममता बनर्जी की पार्टी में शामिल हो जाएं, या उससे हाथ मिला लें, क्योंकि ममता पश्चिम बंगाल से बाहर अपना विस्तार करना चाहती हैं.
किशोर ने मई में ऐलान किया था कि वो चुनाव रणनीति का काम छोड़ देंगे. इससे पहले उन्होंने एक आक्रामक बीजेपी प्रचार के खिलाफ, जिसमें पार्टी के शीर्ष नेता शामिल थे, बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को लगातार तीसरी बार चुनाव जिताने में मदद की थी.
अगस्त में, उन्होंने पंजाब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रमुख सलाहकार के पद से भी इस्तीफा दे दिया था.
लेकिन, उन्हें तृणमूल कांग्रेस की उन बैठकों में देखा गया है, जो पार्टी संगठन के पुनर्गठन और उत्तरपूर्व में उसके विस्तार पर चर्चा के लिए बुलाई गई थीं.
ज्ञात हुआ है कि किशोर की इंडियन पोलिटिकल एक्शन कमेटी (आई-पैक) की विशेष टीमें, जो ज़मीनी हालात और विपक्षी दलों के बारे में राजनीतिक ख़ुफिया जानकारी एकत्र करती हैं, त्रिपुरा और असम में डेरा जमाए डाले हुए हैं.
शीर्ष तृणमूल नेताओं का कहना है कि प्रशांत किशोर ने, राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के प्रति ‘आम धारणा को बदलने और उसे आकार देने में’ अहम योगदान दिया है, और ‘क्षेत्रीय पार्टी’ का तमग़ा हटाने में ममता की मदद की है.
तृणमूल सांसद और वरिष्ठ नेता सौगता रॉय ने कहा, ‘प्रशांत किशोर भले ही अब नेताओं को चुनाव जिताने में सहायता करने का काम न करते हों, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के साथ अच्छे से जुड़े हैं’.
‘वो ममता बनर्जी के साथ संपर्क में हैं, और अभिषेक (तृणमूल महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी, जो ममता के भतीजे हैं) के निकट सहयोग में काम करते हैं. चुनावों के पहले से ही वो हमारे प्रमुख सलाहकार रहे हैं’.
रॉय ने कहा कि वो किशोर को दी गई हिदायत को लेकर निश्चित नहीं हैं, ‘लेकिन वो यक़ीनन कड़ी मेहनत कर रहे हैं, और मोदी के खिलाफ विपक्ष को एक मंच पर लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं’.
उन्होंने आगे कहा, ‘सोनिया व राहुल गांधी, शरद पवार और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ उनकी बैठकों के परिणाम सामने आए हैं’.
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने आई-पैक के साथ हुए क़रार को, 2026 असेम्बली चुनावों तक बढ़ा दिया है.
किशोर ने टिप्पणी के लिए दिप्रिंट की कॉल और संदेशों का जवाब नहीं दिया.
लेकिन, विपक्षी दलों के कम से कम तीन वरिष्ठ नेताओं ने इस बात की पुष्टि की, कि किशोर उनके पास आए थे, और उन्होंने ममता बनर्जी के साथ आने, या संभावित रूप से उनके साथ हाथ मिलाने के लिए, बातचीत की प्रक्रिया शुरू की थी. इनमें से दो नेता त्रिपुरा और असम के उत्तरपूर्वी राज्यों से हैं.
एक तृणमूल नेता ने, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, कहा, ‘प्रशांत किशोर ने असम के अखिल गोगोई और त्रिपुरा के प्रद्योत मानिक्या से बातचीत शुरू की. उनकी टीम ने महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सुष्मिता देव, और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा पर काफी मेहनत की’. उन्होंने आगे कहा, ‘देव और सिन्हा हमारे साथ आ गए. गोगोई और प्रद्योत अब हमारे साथ हाथ मिलाने को तैयार हैं’.
गोगोई ने दिप्रिंट को बताया कि किशोर उन तीनों बैठकों में मौजूद थे, जो उन्होंने पिछले डेढ़ महीने में ममता बनर्जी और अभिषेक के साथ कोलकाता में कीं थीं.
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I-PAC की राजनीतिक ख़ुफिया इकाई
आईपैक कैसे काम करती है ये समझाते हुए कंपनी के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, कि उसकी राजनीतिक ख़ुफिया इकाईयां दूसरी फील्ड इकाइयों से अलग काम करती हैं, और हैदराबाद स्थित मुख्यालय में अपने अपने प्रमुखों को सीधे रिपोर्ट करती हैं.
सदस्य ने कहा, ‘राजनीतिक ख़ुफिया इकाई देश के अलग अलग क्षेत्रों की सियासी नब्ज़ को समझने के लिए, प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण करती है. इसके ज़रिए टीम किसी भी इलाक़े की जनसांख्यिकी, और उसकी राजनीतिक परिस्थितियों को समझने का प्रयास करती है. हमारी फील्ड यूनिट्स आईपैक की रीढ़ हैं’.
आईपैक के एक और सूत्र ने आगे कहा, ‘पिछले चुनाव में बंगाल में भारी जीत को देखते हुए, हमने कुछ महत्वपूर्ण काम अंजाम दिए हैं. हमारी यूनिट तीन हिस्सों में बंटी हुई थी, और अब वो तीनों एक स्टेट लीड को रिपोर्ट करेंगे.
‘हर ज़िले को आगे विधान सभा सीटों में बांटा गया था, और उन्हें फिर ग्राम पंचायतों में बांटा गया. हमारे काम करने का एक ख़ास तरीक़ा ये है, कि हम उन सब चीज़ों की गहराई में जाते हैं, जिनका आम लोगों से सरोकार होता है. इस यूनिट ने प्रमुख संभावित नेता और प्रमुख क्षेत्र चिन्हित किए हैं, और कुल मिलाकर पार्टी छवि उभारने के लिए, उसी हिसाब से हर प्रचार अभियान को चलाया है’.
रॉय ने कहा ‘प्रशांत किशोर की इनपुट्स और उनके विचारों ने, तृणमूल कांग्रेस के लिए बहुत अच्छा काम किया है’.
उन्होंने आगे कहा, ‘बहुत सी सरकारी स्कीमें जैसे ‘द्वारे सरकार’ (सरकार आपके द्वार), ‘दीदी के बोलो’ (दीदी से बोलिए), और ‘स्वास्थ्य साथी’ आदि, हमारे लिए खेल परिवर्तक साबित हुईं. ममता बनर्जी ने आईपैक का क़रार 2026 चुनावों तक बढ़ा दिया’. उन्होंने आगे कहा, ‘वो तृणमूल कांग्रेस को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने में हमारी नेता की मदद कर रहे हैं.
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