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Friday, 22 November, 2024
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मार्च 2020 से बंगाल के मंत्री अमित मित्रा घर से काम कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने इसे कैसे मुमकिन बनाया

बंगाल के 74 वर्षीय वित्त मंत्री अमित मित्रा देश में कोविड फैलने के बाद से अपने दफ्तर नहीं गए हैं, और यहां तक ‘गंभीर कोमोर्बिडिटी स्थिति' के कारण बजट प्रेजेंटेशन और विधानसभा की बैठकों में भी उन्होंने हिस्सा नहीं लिया है.

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कोलकाता: ममता बनर्जी सरकार के दो महीने पहले सत्ता में आने के बाद से गैर-निर्वाचित वित्त मंत्री और पश्चिम बंगाल में दूसरे सबसे महत्वपूर्ण कैबिनेट सदस्य अमित मित्रा ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म पर काम करने पर निर्भरता बनाए हुए हैं, जिस पर उन्होंने देश में कोविड महामारी शुरू होने के पहले ही महारत हासिल कर ली थी.

74 वर्षीय मंत्री पिछले 17 महीनों में अपने कार्यालय नहीं गए हैं और यहां तक कि ‘गंभीर कोमोर्बिडिटी स्थिति’ के कारण बजट प्रेजेंटेशन और विधानसभा की बैठकों में भी उन्होंने हिस्सा नहीं लिया है.

मंत्री के एक करीबी ने दिप्रिंट को बताया कि मित्रा फेफड़ों की ‘समस्या’ से जूझ रहे हैं और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी बीमारी से पीड़ित हैं.

शारीरिक रूप से उपस्थिति में अक्षम मित्रा, जो महामारी शुरू होने के बाद से ज्यादातर घर से काम करते रहे हैं, वर्चुअल मीटिंग में हिस्सा लेते हैं और डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल करके डिजिटल नोटिंग और ई-फाइल सिस्टम को उन्होंने विभागीय कामकाज का प्राथमिक तरीका बना रखा है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्री ने सभी विभागों की निविदा प्रक्रिया को भी ई-निविदा प्रक्रिया में बदल दिया है, जिसका एक फायदा यह भी हुआ है कि भ्रष्टाचार और कदाचार पर काबू पाने में मदद मिली है.

राज्यों के वित्त मंत्रियों की माल और सेवा कर (जीएसटी) परिषद के अध्यक्ष रहे मित्रा जीएसटी बैठकों में हिस्सा लेने के अलावा केंद्रीय वित्त मंत्री को प्रासंगिक पत्र लिख रहे हैं और राष्ट्रीय मुद्दों पर प्रेस कांफ्रेंस भी कर रहे हैं, लेकिन यह सब वीडियो कांफ्रेंस के जरिये ही हो रहा है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य स्थिति के कारण मित्रा किसी अधिकारी या मुख्यमंत्री सहित अपने किसी भी कैबिनेट सहयोगी से व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल रहे हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘हमें इस अवधि के दौरान उनके और मुख्यमंत्री के बीच किसी भी फिजिकल मीटिंग की जानकारी नहीं है. उन्होंने मुख्यमंत्री को भेजे एक विस्तृत नोट में चिकित्सा कारणों का हवाला देते हुए बताया है कि वह आने में असमर्थ क्यों हैं. इसलिए, मुख्यमंत्री को अगर वित्त या जीएसटी संबंधी मुद्दों पर कोई सलाह लेनी होती है तो वह उनसे फोन पर या वर्चुअल बातचीत करती हैं.’

हालांकि, यह सब बहुत सहज नहीं होता है.

एक दूसरे सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग तभी प्रभावी होती है जब फाइलें नियमित कार्यों से संबंधित हों. यह सभी विभागों में एक मानक प्रक्रिया रही है.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन कुछ फाइलें हैं जिन्हें हमें साप्ताहिक आधार पर निपटाने की जरूरत होती है. इसके अलावा, कुछ नीतिगत फैसलों या कुछ नई योजनाओं को तैयार करने के संबंध में कई काम मंत्री की फिजिकल तौर पर मौजूदगी में किए जाने की जरूरत होती है. पिछले 16 महीनों से हम वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से ही सारे इंतजाम कर रहे हैं.’

‘काम जारी रखना मुश्किल’

मित्रा अब अपने दक्षिण कोलकाता स्थित आवास में रह रहे हैं, जहां से वह राज्य के वित्त मंत्री के रूप में कार्य करते हैं.

इस साल चुनाव से पहले 74 वर्षीय मित्रा ने राज्य में उद्योग और वाणिज्य विभाग का प्रभार भी संभाला था.

मई में तृणमूल कांग्रेस के तीसरी बार सत्ता में आने के बाद मित्रा को केवल वित्त विभाग की जिम्मेदारी दी गई. राज्य का उद्योग एवं वाणिज्य विभाग पार्थ चटर्जी को सौंपा गया.

हालांकि, विपक्ष को लगता है कि 74 वर्षीय मित्रा के लिए अपने स्वास्थ्य को देखते हुए कामकाज जारी रखना मुश्किल हो सकता है.

माकपा के असीम दासगुप्ता, जो खुद बंगाल के वित्त मंत्री रह चुके हैं, ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि वह इसे कैसे संभाल रहे हैं. वित्त मंत्री को बहुत सारे बड़े काम करने होते हैं. हमने देखा कि वह विधानसभा की कार्यवाही और बजट पेश करने में भी शामिल नहीं हो सके थे.

24 वर्षों तक राज्य के वित्त मंत्री के तौर पर काम करने वाले दासगुप्ता का दावा है कि वह हर साल अपने दम पर बजट का मसौदा तैयार करते थे.

उन्होंने कहा, ‘मैं सभी विभागीय सचिवों से इनपुट लेता था लेकिन बजट का मसौदा खुद तैयार करता था. इसके लिए ऑफिस जाकर काम करना पड़ता है. लेकिन जैसा हमने सुना है वह अस्वस्थ हैं, इस बारे में ज्यादा टिप्पणी करना ठीक नहीं है.’


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पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार और भाजपा विधायक अशोक लाहिड़ी ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है. लेकिन हम सब जानते हैं कि उनके और विभाग के लिए इस तरह काम करना कितना मुश्किल होगा. हमने मीडिया में पढ़ा है कि उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में इस तरह बने रहने के लिए अपनी अनिच्छा भी जताई है.

दिप्रिंट ने मित्रा और उनके कार्यालय को टेक्स्ट मैसेज के जरिये कुछ सवाल भेजे लेकिन यह रिपोर्ट प्रकाशित होने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई थी.

नवंबर में खत्म होगा कार्यकाल

2016 में उत्तरी 24 परगना के खरदाहा विधानसभा क्षेत्र में कुल वोट शेयर का लगभग 50 प्रतिशत हासिल करके चुनाव जीतने वाले मित्रा ने इस साल चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था.

उनके उपचुनाव लड़ने की भी संभावना नहीं है, जो कि उनके मंत्री पद पर बने रहने के लिए आवश्यक है. निर्वाचित नहीं होने के कारण मित्रा को संवैधानिक नियमों के तहत नवंबर से पहले चुनाव लड़ना होगा.

हालांकि, टीएमसी सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उन्हें छोड़ना नहीं चाहती हैं.

राज्य के पंचायत और ग्रामीण मामलों के मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने दिप्रिंट को बताया कि डॉ. मित्रा को एक अलग जिम्मेदारी के साथ समायोजित किया जा सकता है जिससे वह राज्य की वित्तीय स्थिति पर नजर रख सकें.

मुखर्जी ने कहा, ‘यदि डॉ. मित्रा चुनाव नहीं लड़ते हैं, तो सरकार उन्हें मुख्यमंत्री के सलाहकार के रूप में नियुक्त करने के लिए एक विशेष आदेश जारी कर सकती है. उस स्थिति में मुख्यमंत्री वित्त विभाग को बरकरार रख सकती हैं. हमने अभी तक डॉ. मित्रा की जगह लेने को लेकर किसी तरह की चर्चा नहीं सुनी है.’

तृणमूल के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने दिप्रिंट को बताया कि मित्रा वित्तीय मामलों में मुख्यमंत्री के सबसे भरोसेमंद सहयोगी हैं.

उन्होंने कहा, ‘दीदी उन पर बहुत भरोसा करती हैं और उन पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं. वह हमेशा किसी भी वित्त या उद्योग से संबंधित सलाह के लिए अपने अमित दा के पास ही जाती है. दीदी डॉ. मित्रा को एक दशक से अधिक समय से जानती हैं जब वह फिक्की के महासचिव थे. जब वह रेल मंत्री थीं, तब मित्रा ने दीदी के लिए काम किया था. यह भरोसे का रिश्ता है.’

घोष ने कहा कि मित्रा ने ही तीन दशकों के वाम शासन के कारण राज्य के सामने आई वित्तीय चुनौतियों से उबरने में मदद की थी.

उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार को वामपंथियों से भारी बोझ विरासत में मिला था लेकिन डॉ. मित्रा ने हमेशा ऋण चुकाने के साथ-साथ विकास कार्य जारी रखने का तरीका खोजा. इसलिए, हमें अभी भी किसी और के उनकी जगह लेने के बारे में कोई जानकारी नहीं है. अगर दीदी इस पर कोई फैसला लेती हैं तो वह इसकी घोषणा करेंगी.’

तृणमूल महासचिव ने यह भी कहा कि राज्य अब ई-गवर्नेंस सिस्टम को लागू करने के मामले में देश में सबसे ऊपर है.

घोष ने कहा, ‘दीदी ने हमेशा इसे प्रोत्साहित किया और डॉ. मित्रा ने पूर्ण पारदर्शिता के लिए इस प्रणाली को लागू किया. बंगाल उन चुनींदा राज्यों में से एक है जिसने महामारी के दौरान भी इसके माध्यम से एक नई सामाजिक सुरक्षा योजना शुरू की है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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