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Thursday, 2 May, 2024
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मैं चाहता हूं ममता दीदी भारत की दूसरी महिला PM बनें, BJP के खिलाफ लड़ाई की अगुवाई करें: अखिल गोगोई

रायजोर दल के नेता अखिल गोगोई दिप्रिंट को दिए एक ख़ास इंटरव्यू में कहते हैं, कि उनकी पार्टी ने असम में तृणमूल के साथ एक चुनावी गठबंधन का विचार सामने रखा है.

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कोलकाता: असम में रायजोर दल के प्रमुख अखिल गोगोई ने कहा कि क्षेत्रीय पार्टी के नेता, विशेष रूप से पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में स्वदेशी जातीय समूहों के लोग, ममता बनर्जी को भारत की ‘दूसरी महिला प्रधान मंत्री’ के रूप में देखना चाहते हैं.

दिप्रिंट से विशेष रूप से बात करते हुए असम के एक प्रमुख किसान नेता गोगोई ने कहा कि ममता बनर्जी ने असम में तृणमूल और रायजोर दल के ‘विलय’ का प्रस्ताव दिया है. हालांकि, रायजोर दल के नेता अखिल गोगोई दिप्रिंट को दिए एक ख़ास इंटरव्यू में कहते हैं कि उनकी पार्टी ने असम में तृणमूल के साथ एक चुनावी गठबंधन का विचार सामने रखा है.

गोगोई दिसंबर 2019 से जून 2021 के बीच, दो साल से अधिक समय तक जेल में बंद रहे, और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध करने पर, उनके खिलाफ ग़ैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुक़दमा क़ायम किया गया. रायजोर दल का गठन 2020 में हुआ था, और गोगोई ने जेल से 2021 का असम विधान सभा चुनाव लड़ा, और अपनी पार्टी के एकमात्र विधायक बन गए. उन्हें इस साल जुलाई में रिहा किया गया, जब एक विशेष एनआईए कोर्ट ने उन्हें यूएपीए के तहत तमाम आरोपों से बरी कर दिया.

गोगोई के अनुसार, बंगाल मुख्यमंत्री ने पिछले डेढ़ महीने में कम से कम तीन बार, उनसे कोलकाता में मुलाक़ात की है. गोगोई ने कहा कि इन ‘अहम’ बैठकों में, सीएम के भतीजे और तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी, और पार्टी के राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी शरीक हुए थे. उन्होंने इन बैठकों को ‘स्नेही’ और ‘सकारात्मक’ भी क़रार दिया.

लेकिन, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर, गोगोई और बनर्जी के बीच मतभेद बने हुए हैं.

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गोगोई ने कहा, ‘हमें अभी फैसला करना है कि हम भविष्य में असम के अंदर तृणमूल कांग्रेस के साथ किस तरह का जुड़ाव रखेंगे. लेकिन मुझे लगता है कि बेहतर ये रहेगा कि हम एक राजनीतिक समझ पर सहमति बना लें. क्षेत्रीय ताक़तों को मोदी-शाह की फासीवादी सरकार के खिलाफ हाथ मिला लेना चाहिए. और हम सब चाहते हैं कि ममता दीदी इस लड़ाई की अगुवाई करें’.

इस साल के विधान सभा चुनावों में राष्ट्रीय पार्टी पर तृणमूल की हालिया जीत के बाद, बनर्जी बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में सक्रिय रूचि दिखा रही हैं. पिछले महीने दिल्ली के अपने एक दौरे के दौरान, बंगाल सीएम ने अलग अलग पार्टियों के विपक्षी नेताओं से मुलाक़ात की थी, जिनमें कांग्रेस नेता सोनिया और राहुल गांधी भी शामिल थे.

टीएमसी को बंगाल से आगे ले जाने की कोशिशों के तहत, बनर्जी त्रिपुरा के प्रद्योत किशोर देबबर्मा जैसे उत्तरपूर्व के अन्य नेताओं के साथ भी, संभावित गठबंधन को लेकर बातचीत कर रही हैं.

‘असम में NRC की ज़रूरत’

बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने असम में एनआरसी प्रक्रिया शुरू किए जाने के समय से ही, अपनी पूरी ताक़त से इसका विरोध किया है, और इसे ‘विभाजनकारी राजनीति’ क़रार दिया है.

लेकिन, गोगोई और उनकी पार्टी एनआरसी का समर्थन करती है, चूंकि उनका मानना है कि इससे राज्य में प्रवास की समस्या को सुलझाने में मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा, ‘दीदी राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी लागू किए जाने के खिलाफ हैं. हम असम के लिए एनआरसी चाहते हैं, क्योंकि एनआरसी की मांग कर रहे आंदोलन के पीछे एक पूरा इतिहास है’.


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उन्होंने आगे कहा, ‘मैं उन कारणों को समझता हूं जिनकी वजह से दीदी इसका विरोध कर रही हैं. लेकिन आपको असम की स्थिति को समझना होगा, जो वास्तव में बहुत जटिल है. बंगाल का राजनीतिक परिदृश्य अलग है. इसलिए, हो सकता है कि वहां एनआरसी की ज़रूरत न हो, लेकिन असम के लिए ये ज़रूरी है. सूबे के हर जातीय समूह और राजनीतिक दल ने एनआरसी का समर्थन किया है’.

एनआरसी का उद्देश्य ऐसे लोगों की शिनाख़्त करके उन्हें वापस भेजना है, जो ‘अवैध’ तरीक़े से बांग्लादेश से आकर बस गए हैं. इसके लिए 24 मार्च 1971 की अंतिम तारीख़ निर्धारित की गई है. असम में ये मांग लंबे समय से चली आ रही है, जहां के स्थानीय निवासियों में ‘बाहरी’ लोगों के खिलाफ नाराज़गी है, कि उन्होंने इनके हिस्से के संसाधनों और फायदों को हड़प लिया है.

लेकिन, गोगोई और बनर्जी दोनों नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में हैं. सीएए के अंतर्गत छह धर्मों के लोग – हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई- जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हैं, उन्हें नागरिकता दे दी जाएगी, अगर वो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए थे.

‘जुड़ाव की संरचना को लेकर अभी दुविधा’

ये समझाते हुए कि उन्होंने अभी तक ममता बनर्जी की पार्टी के साथ, किसी संभावित जुड़ाव का फैसला क्यों नहीं लिया है, गोगोई ने कहा, ‘असम में 135 जातीय समूह हैं, और सभी समूहों के अपने संघ या राजनीतिक दल हैं. पड़ोसी राज्य की किसी बंगाली पार्टी में विलय से, लोगों को एक ग़लत संदेश जा सकता है. इसलिए अपने जुड़ाव की संरचना को लेकर हम अभी दुविधा में हैं. लेकिन हमने एक गठबंधन का सुझाव दिया है. उससे दोनों पार्टियों को फायदा पहुंचेगा’.

गोगोई ने कहा कि प्रस्ताव पर आगे की बातचीत और बैठकों के लिए, उन्हें फिर से कोलकाता बुलाया गया है.

उन्होंने कहा, ‘दीदी हमेशा मुझसे बहुत स्नेह से मिली हैं, और उन्होंने बहुत धैर्य से मुझे सुना है. वो एक बहुत ताक़तवर राजनेता हैं, और दूसरों की बात सुनती हैं. मुझे बहुत ख़ुशी होगी अगर वो देश की प्रधानमंत्री बन जाएं. वो यक़ीनन उत्तरपूर्व के उपेक्षित लोगों के बारे में विचार करेंगी. मुझे बैठकों के लिए फिर बुलाया गया है. मैं जल्द ही समय तय करूंगा. फिलहाल मैं अपने चुनाव क्षेत्र में कुछ कार्यों में लगा हूं’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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