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Wednesday, 20 November, 2024
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इंजीनियर से कर्नाटक के CM तक- येदियुरप्पा के वफादार और लिंगायत नेता बसवराज बोम्मई का उदय

येदियुरप्पा सरकार में 61 वर्षीय बोम्मई के पास गृह, कानून और संसदीय मामलों का विभाग था. भाजपा नेता उन्हें एक 'चतुर' राजनेता बताते हैं जो कि 'अपना काम जानता है.'

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नई दिल्ली: बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफा देने के एक दिन बाद, बसवराज बोम्मई को मंगलवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया.

बोम्मई को नए मुख्यमंत्री के रूप में चुनने के अपने फैसले के साथ, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राजनीतिक और आर्थिक रूप से प्रभावशाली लिंगायत समुदाय के एक नेता के साथ रहने का फैसला किया है. यह समुदाय, जो राज्य की आबादी का 16 प्रतिशत है, कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से लगभग 100 सीटों पर भी अहमियत रखता है.

येदियुरप्पा के करीबी और वफादार माने जाने वाले 61 वर्षीय बोम्मई के पास पिछली कर्नाटक सरकार में गृह, कानून और संसदीय मामलों का विभाग था.

भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘भले ही बोम्मई को येदियुरप्पा का करीबी माना जाता है, किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि जब वह (बीएसवाई) अपनी पार्टी शुरू करने के लिए चले गए- केजेपी, बोम्मई भाजपा में ही रहे, साथ ही बीएसवाई से भी उनके अच्छे संबंध हैं. उनकी नियुक्ति से पहले इन बातों का ध्यान रखा गया था. बेशक, जाति भी एक महत्वपूर्ण कारक है.’

अगले मुख्यमंत्री के रूप में घोषित किए जाने के तुरंत बाद, बोम्मई ने कहा, ‘कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री के रूप में मुझे चुनने के लिए पार्टी और नेता बी एस येदियुरप्पा को धन्यवाद देता हूं. मैं राज्य के लोगों के लिए काम करूंगा. इस मौके पर मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद देना चाहता हूं. येदियुरप्पा ने बैठक में मेरे नाम का प्रस्ताव रखा और मुझे आशीर्वाद दिया. मैं पार्टी के सभी विधायकों को भी धन्यवाद देता हूं.’

दिप्रिंट से बात करते हुए, राज्य के एक अन्य भाजपा नेता ने कहा कि येदियुरप्पा के करीबी होने के अलावा, बोम्मई के पक्ष में जो काम किया वह था जाति अंकगणित और उनकी प्रशासनिक समझ. एक नेता ने कहा, ‘वह जानते हैं कि सभी को साथ कैसे ले चलना है, जो कर्नाटक भाजपा के साथ-साथ सरकार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने जा रहा है. वह राज्य की नब्ज जानते हैं क्योंकि वह एक राजनीतिक परिवार से आते हैं. वह काफी अनुभवी हैं और अपने छात्र आंदोलनों के दिनों से ही राजनीति में रहे हैं, हालांकि पारंपरिक अर्थों में उन्हें वरिष्ठ नेता नहीं माना जा सकता है.

एक अन्य नेता ने कहा, ‘बसवराज का नाम सीएम पद के लिए बी.एस. येदियुरप्पा ने खुद पार्टी आलाकमान को सुझाया था इस सुझाव से कई मंत्री और विधायक भी सहमत हुए. फैसले की घोषणा के तुरंत बाद येदियुरप्पा ने ट्विटर पर उन्हें बधाई दी. ये चीजें महत्वपूर्ण हैं अगर हमें यह देखना है कि सरकार कैसे काम करेगी.’

इंजीनियर से राजनेता तक

पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर, बोम्मई ने पुणे में एक टेल्को कंपनी के साथ अपना करियर शुरू किया.

वह 1998 और 2004 में धारवाड़ निर्वाचन क्षेत्र से कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य चुने गए. वह 2008, 2013 और 2018 में तीन बार शिगगांव निर्वाचन क्षेत्र से कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए थे. उनके पिता एस.आर. बोम्मई ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में भी काम किया था.

2008 में भाजपा में शामिल होने से पहले, बसवराज बोम्मई जनता दल यूनाइटेड जद (यू) के साथ थे. उन्होंने 1995 में जद (यू) के महासचिव का पद संभाला. एक साल बाद 1996 में, उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री जे.एच.पटेल का राजनीतिक सचिव नियुक्त किया गया.

अपने शुरुआती दिनों में, बसवराज ने अपने पिता के राजनीतिक जीवन से सबक सीखा. लेकिन अपने पिता के विपरीत, जो 1988 में रामकृष्ण हेगड़े के इस्तीफा देने के बाद थोड़े समय के लिए मुख्यमंत्री थे और हेगड़े और देवेगौड़ा के साथ तीन नेताओं में से एक थे, जिन्होंने 1970 में जनता पार्टी का गठन किया, बसवराज ने अपनी राजनीतिक विचारधारा को बदलते रहे – जनता दल से भाजपा में आए.

‘चतुर राजनीतिज्ञ’

कई राज्य भाजपा नेताओं ने बोम्मई को एक ‘चतुर और हार्डकोर’ राजनेता कहा, जो अपना काम जानते हैं.

उनके कैबिनेट सहयोगियों में से एक ने दिप्रिंट को बताया, ‘जल संसाधन मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, बोम्मई ने किसानों के लिए पाइप से सिंचाई परियोजना लागू की, जिसकी बहुत प्रशंसा हुई. गृह मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, बोम्मई ने येदियुरप्पा के मार्गदर्शन में सांप्रदायिक राजनीति को केंद्र में नहीं आने दिया.’

कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य और कर्नाटक भाजपा के राज्य महासचिव एन. रवि कुमार ने कहा, ‘पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त करने का एक अच्छा निर्णय लिया है. वे एक अच्छे सांसद, वक्ता, संविधान, नियम और कानून को जानते हैं और अपने पिता की वजह से राजनीति भी जानते हैं. तीन बार के विधायक होने के नाते वह पूरे राज्य को जानते हैं. वे सिंचाई मंत्री भी थे. वह बहुत अनुभवी हैं.’

बीजेपी सांसद उमेश जाधव ने कहा कि बसवराज बहुत चतुर राजनेता हैं. वह राजनीति की नब्ज जानते हैं. जल संसाधन मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, वह प्रतिदिन कृष्णा नदी जल विवाद पर न्यायाधिकरण की सुनवाई में भाग लेते थे. येदियुरप्पा ने हमेशा अपर कृष्णा प्रोजेक्ट का समर्थन किया जिसे उन्होंने (बोम्मई) लागू किया.

एक अन्य भाजपा विधायक ने कहा कि बोम्मई एक कट्टर राजनेता हैं और जेडीएस में उनके अच्छे संपर्क हैं. वह जानकार हैं, वह येदियुरप्पा की तरह करिश्माई नहीं हैं, लेकिन वह अपना काम जानते हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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