नई दिल्ली: हाल में किए गये एक अध्ययन में पाया गया है कि कोविड-19 की विनाशकारी दूसरी लहर के दौरान, कोविशील्ड वैक्सीन ने दिल्ली के एक जाने-माने अस्पताल के 3,000 से भी अधिक स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड संक्रमण के प्रति 97.4 प्रतिशत की सुरक्षा प्रदान की, जिसमें से कोई भी ब्रेक थ्रू इन्फेक्शन (टीका लेने के बावजूद हुआ संक्रमण) मृत्यु का कारण नही बना.
इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में सोमवार को प्रकाशित किए गए इस अध्ययन में इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स की एक टीम ने 3,235 ऐसे स्वास्थ्यकर्मियों के बीच रिपोर्ट किए गए कोविड के सिंप्टमॅटिक संक्रमणों की संख्या का पता लगाया जिन्हें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा तैयार की गई कोविशील्ड वैक्सीन के एक या दोनों टीके लगाए गये थे.
इस अध्ययन की अवधि टीकाकरण अभियान के प्रारंभिक चरण के दौरान के 100 दिन (16 जनवरी से 24 अप्रैल) तक की थी.
इन 3,235 स्वास्थ्यकर्मियों में से केवल 85 ने टीकाकरण के बाद भी कोविड के सिंप्टमॅटिक संक्रमण की सूचना दी. इस तरह से ब्रेक थ्रू इन्फेक्शन की दर सिर्फ़ 2.63 प्रतिशत हीं पाई गयी.
इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि महिला स्वास्थ्यकर्मियों के मामले में संक्रमण दर पुरुषों की तुलना में 1.84 गुना अधिक थी. शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि नर्सिंग स्टाफ के रूप में काम करने वाली महिला स्वास्थ्यकर्मियों की रोगियों के देखभाल में अधिक भागीदारी थी.
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इस अध्ययन के अनुसार, ब्रेक थ्रू इन्फेक्शन की संभावना नर्सिंग स्टाफ (41.18 प्रतिशत) में सबसे अधिक थी, जिसके बाद चिकित्सा कर्मचारियों (मेडिकल स्टाफ)- (32.94 प्रतिशत)- का नंबर आता है.
जिन लोगों के मामले में टीके की दोनों खुराक (इंजेक्शन) लेने के बाद भी कोविड-पॉजिटिव टेस्ट आया उनमें से अधिकांश को यह संक्रमण टीकाकरण के छह से 64 दिनों के बीच हुआ, वहीं जिन लोगों को सिर्फ़ एक खुराक के बाद कोविड हुआ, उनमें यह अवधि टीकाकरण के दो से 53 दिन के बीच की थी.
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि इनमें से अधिकांश ब्रेक थ्रू इन्फेक्शन के मामले अप्रैल 2021 के बाद के दिनों में – कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान सामने आए.
इन सभी 85 संक्रमित मामलों में खांसी, बुखार, बेचैनी और स्वाद एवं गंध की कमी जैसे हल्के लक्षण देखने को मिले. इनमें से केवल दो- जो कि टीकाकृत स्वास्थ्यकर्मियों की कुल संख्या का 0.06% है – को हीं अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ी और इनमे से किसी को भी आईसीयू में दाखिल करने की ज़रूरत नहीं आई.
टीका लगवाने वालों में से किसी की भी कोविड से मौत की सूचना नहीं थी.
समय के साथ बढ़ता है वैक्सीन का फ़ायदा
इस अध्ययन में आगे यह भी बताया गया है कि समय बीतने के साथ टीकाकरण के अनुमानित लाभ का परिमाण बढ़ जाता है.
जिन लोगों पर टीके लेने के बाद 100 दिनों के भी कम तक निगाह रखी गयी, उनमें टीके की पहली खुराक के बाद संक्रमण की दर 2.65 प्रतिशत थी और दूसरी खुराक के बाद यह दर 2.63 प्रतिशत थी.
इस बारे में शोधकर्ताओं ने लिखा है, ‘इसका मतलब यह है कि टीके के पहले इंजेक्शन के बाद हीं समुचित/ स्तर की प्रतिरक्षा क्षमता हासिल हो गई थी, जो लंबी अवधि में दूसरी खुराक के साथ और भी अधिक बढ़ गयी.’
हालांकि, अध्ययनकर्ताओं ने यह स्वीकार किया है कि जिन स्वास्थ्यकर्मियों में कोई लक्षण नहीं थे उनका कोविड के लिए परीक्षण नहीं किया गया. इससे टीके के प्रतिरक्षात्मक/सुरक्षात्मक प्रभाव की ‘ओवर रिपोर्टिंग’ हो सकती है. उन्होंने इस ओर भी ध्यान दिलाया है कि इस अध्ययन का आकार अपेक्षाकृत काफ़ी छोटा था.
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