मुम्बई: मुम्बई में महाराष्ट्र सरकार के मुख्यालय- मंत्रालय में घुसते ही, आने वाले लोगों का सामना प्राकृतिक उद्यानों, चमचमाते कांच के दरवाज़ों, और उनके आगे एक बड़े, हवादार, और रोशनी से चमचमाते वातानुकूलित बराम्दे से होता है. लेकिन जैसे ही आप शॉपिंग मॉल्स के अंदाज़ के एस्केलेटर्स से होकर, बिल्डिंग में मौजूद अलग-अलग विभागों में दाख़िल होते हैं, वो सारी शान और ठाठ पीछे छूट जाते हैं और सामने होते हैं तंग दफ्तर, जिनकी डेस्कों पर फाइलों, पत्रिकाओं, और अख़बारों के ढेर लगे होते हैं.
इसी सब को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने, अपने सभी विभागों को फटकार लगाते हुए कहा है, कि अधिकांश दफ्तर गंदे दिखते हैं जिनमें पुरानी फाइलों के ढेर लगे होते हैं, और ये दफ्तर मंत्रालय जैसी महत्वपूर्ण जगह को बिल्कुल शोभा नहीं देते.
राज्य सामान्य प्रशासन विभाग ने 1 जुलाई को एक सरकारी संकल्प जारी किया, जिसे सभी विभागों को मार्क किया गया. उसमें विभागों से कहा गया कि एक सफाई अभियान शुरू करें, राज्य सरकार के नियमों के अनुसार अहम फाइलों को क़ायदे से सुरक्षित रखें, जहां ज़रूरत हो वहां जानकारी का रिकॉर्ड सुरक्षित करें, और अवांछित तथा बंद हो गई फाइलों को कतरनी मशीन में डालें.
सरकारी संकल्प में कहा गया, ‘देखने में आया है कि बहुत से विभागों तथा दफ्तरों में, बंद हो गई फाइलें भारी संख्या में इधर उधर पड़ी हैं, जिसकी वजह से अधिकतर दफ्तर गंदे नज़र आते हैं. मंत्रालय राज्य सरकार का मुख्यालय है. ऐसी महत्वपूर्ण बिल्डिंग में बहुत सी अनावश्यक चीज़ें, और ऐसे रिकॉर्ड्स पड़े हुए हैं, जिनका फिलहाल कोई इस्तेमाल नहीं है’. सभी विभागों से हर महीने अपने दफ्तरों की सफाई कराने का अनुरोध किया गया है.
सामान्य प्रशासन विभाग ने कहा, ‘सभी विभागों को इसी महीने अपने दफ्तरों के दस्तावेज़ों को वर्गीकृत करना चाहिए. जिस चीज़ की ज़रूरत नहीं है उसे फेंक देना चाहिए. जिस चीज़ को संरक्षित करने की ज़रूरत है, उसे रिकॉर्ड रूम या डिवीज़नल कार्यालयों को भेज दिया जाना चाहिए’.
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‘ऐसी ही चेतावनी 2018 में दी गई, लेकिन दफ्तर अभी भी गंदे’
2018 में, जब देवेंद्र फडणवीस की बीजेपी-शिवसेना सरकार सत्ता में थी, तो राज्य कैबिनेट ने इस पर चर्चा की थी कि सरकारी दफ्तर कितने गंदे हो जाते हैं, और उसने एक विशेष सफाई मिशन शुरू करने का फैसला किया था.
अपने प्रस्ताव में सामान्य प्रशासन विभाग ने कहा, कि 2018 के कैबिनेट फैसले के बाद भी स्थिति लगभग वैसी ही बनी हुई है, और विभागों को उस समय निर्धारित की गई गाइडलाइन्स का पालन करने की ज़रूरत है, जिससे वो अवांछित फाइलों से छुटकारा हासिल करके, अपने दफ्तरों में जगह पैदा कर सकें.
राज्य सरकार की एक वरिष्ठ अधिकारी ने, नाम न बताने की शर्त पर कहा कि राज्य सरकार के नियमों के अनुसार, बेहद महत्वपूर्ण फाइलों को हमेशा के लिए सुरक्षित रखना होता है, कुछ कम अहम फाइलों को 12 साल तक सुरक्षित रखना होता है, कुछ केवल एक साल तक रखी जाती हैं, और अन्य फाइलें बंद हो जाने के बाद फेंकी जा सकती हैं.
उन्होंने कहा, ‘मंत्रालय के अंदर एक संगठनात्मक प्रबंधन सचिव होता है, जिसके पास बिल्डिंग की सफाई का प्रभार होता है. उसके अलावा विभाग भी भरसक कोशिश करते हैं कि फाइलों का वर्गीकरण करके, उन्हें रिकॉर्ड रूम्स भेज दिया जाए. हर विभाग में एक रिकॉर्ड रूम होता है जो पूरे मुम्बई में किसी भी सरकारी संपत्ति में स्थित हो सकता है’.
उनका कहना था कि कुछ साल पहले भी, सभी फाइलों को डिजिटाइज़ करने के प्रयास किए गए थे, लेकिन उसका काफी विरोध देखने में आया था, इसलिए उसकी तात्कालिकता अब ठंडी पड़ गई है.
एक अन्य नौकरशाह ने, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, कहा कि मुख्य समस्या ये है कि मंत्रालय में जगह की कमी है. उन्होंने कहा, ‘मंत्रालय में वैसे ही जगह की बहुत तंगी है. ऊपर से ये मंत्रिमंडल काफी बड़ा है, और बहुत सारी जगह मंत्रियों और उनके दफ्तरों के इस्तेमाल में चली जाती है’.
उन्होंने आगे कहा, ‘हमें सुनिश्चित करना होगा कि राज्य सरकार का ज़्यादातर आंतरिक संचार डिजिटल रूप में हो. वही एक रास्ता है’.
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