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Friday, 22 November, 2024
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महाराष्ट्र का यह जिला रोजाना के केसलोड में टॉप लिस्ट में, लेकिन वैक्सीनेशन के मामले में भी आगे

6-12 जुलाई के बीच 9.85 की साप्ताहिक टेस्ट सकारात्मकता के साथ, कोल्हापुर महाराष्ट्र के कोविड प्रगति कार्ड में सबसे नीचे है और इसी अवधि के 4.36 के राज्य के औसत से पीछे चल रहा है. हालांकि टीकाकरण के मामले में ख़ासकर 45+ आयु वर्ग में, कोल्हापुर का शुमार सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले ज़िलों में है.

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मुम्बई: महाराष्ट्र दूसरी लहर के विनाशकारी प्रभाव से पूरी तरह उबरने की कोशिश कर रहा है, लेकिन एक ज़िला ऐसा है जिसका ऊंचा केसलोड उसे नीचे खींच रहा है.

6-12 जुलाई के बीच 9.85 की साप्ताहिक टेस्ट सकारात्मकता के साथ, कोल्हापुर महाराष्ट्र के कोविड प्रगति कार्ड में सबसे नीचे है, और इसी अवधि के 4.36 के राज्य के औसत से पीछे चल रहा है.

अप्रैल में दूसरी लहर के चरम पर, कोल्हापुर में राज्य के कुल केसलोड का एक प्रतिशत से भी कम था. लेकिन, जुलाई में महाराष्ट्र के कुम मामलों का लगभग पांचवां हिस्सा यहां देखने में आया है- जुलाई के पहले दो हफ्तों में राज्य में दर्ज हुए कुल 1.27 लाख मामलों में, 23,181 अकेले कोल्हापुर में दर्ज हुए.

ज़िला अधिकारियों का कहना है कि इसका कारण ये है कि दूसरी लहर का चरम राज्य के दूसरे हिस्सों की अपेक्षा बहुत बाद में आया. जहां महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्सों में अप्रैल और मई में पीक देखा गया, वहीं कोल्हापुर में ये पीक मई के अंत और जून में देखा गया.

हालांकि अधिकारियों का कहना है कि कोल्हापुर का संकट अपेक्षाकृत हल्का रहा है, चूंकि टीकाकरण के मामले में ख़ासकर 45+ आयु वर्ग में, कोल्हापुर का शुमार सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले ज़िलों में रहा है.

15 जुलाई तक ज़िले में कुल 1,79,808 कोविड पॉज़िटिव मामले दर्ज किए गए थे. इनमें से 11,264 फिलहाल एक्टिव हैं. अभी तक यहां 5,155 कोविड मौतें दर्ज की जा चुकी हैं.

महाराष्ट्र में कोविड के 61,89,257 मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से 1,07,205 फिलहाल एक्टिव हैं. इनमें से कुल 1,26,560 लोग मारे जा चुके हैं.


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‘कोल्हापुर के रिकॉर्ड का कारण देरी से पीक’

ज़िला प्रशासन के अधिकारी कोल्हापुर की औसत से अधिक टेस्ट सकारात्मकता दर का कारण ये मानते हैं कि ज़िले में दूसरी लहर की पीक मई के अंत और जून में ही देखी गई, जब अन्य ज़िलों में मामलों में गिरावट आने लगी थी.

कोल्हापुर के ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी योगेश साल्हे ने कहा: ‘महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में दूसरी लहर फरवरी में शुरू हुई थी. कोल्हापुर में ये अप्रैल में जाकर शुरू हुई. इसलिए स्वाभाविक है कि दूसरी लहर का पीक भी यहां बाद में आया है’.

अप्रैल में जहां पूरे राज्य में 16.98 कोविड पॉज़िटिव मामले दर्ज हुए, वहीं उनमें कोल्हापुर का हिस्सा केवल 14,263 था, जो एक प्रतिशत से भी कम था.

साल्हे ने आगे कहा, ‘मामले और सकारात्मकता दर दोनों में अब कमी आनी शुरू हो गई है, चूंकि प्रशासन ने टेस्टिंग को बढ़ाकर 18,000-25,000 प्रतिदिन कर दिया है. किसी भी दिन ऐसे 90 प्रतिशत टेस्ट आरटी-पीसीआर होते हैं, और बाक़ी रैपिड एंटिजन टेस्ट होते हैं’.

राज्य सरकार के रिकॉर्ड्स के अनुसार, 15-21 जून के बीच कोल्हापुर की साप्ताहिक सकारात्मकता दर 12.59 प्रतिशत थी. अब 12 जुलाई को ख़त्म सप्ताह में ये घटकर 9.85 प्रतिशत पर आ गई.

सिर्फ मामले ही नहीं, टीकाकरण में भी कोल्हापुर सबसे आगे

संयोग से, सरकारी रिकॉर्ड्स के अनुसार, कोल्हापुर का शुमार सूबे के उन राज्यों में भी है जहां टीकाकरण की दर (45 से अधिक की आबादी में) सबसे ऊंची है. मुम्बई, पुणे, थाने, नागपुर और नाशिक के बाद ये छठे नंबर पर है.

ज़िला अधिकारियों ने शुक्रवार को दिप्रिंट को बताया कि कोल्हापुर में 45 से ऊपर के आयु वर्ग के 76 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण हो गया है, जो सूबे के सभी ज़िलों में सबसे अच्छा प्रदर्शन है. लेकिन, 18-44 आयु वर्ग में यहां केवल दो प्रतिशत लोगों को टीके लगे हैं.

सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और कोविड नियंत्रण पर महाराष्ट्र सरकार के सलाहकार डॉ. सुभाष सालुंके के अनुसार, टीकाकरण के इस मज़बूत रिकॉर्ड से ये सुनिश्चित हुआ है कि कोल्हापुर में मामले ज़्यादा गंभीर नहीं हैं.

ज़िले के एक अधिकारी ने जो नाम नहीं बताना चाहते थे ने कहा कि कोल्हापुर इसलिए भी चमक रहा है कि यहां रोज़ाना के मामलों की संख्या अधिक है. कुल मिलाकर, इसका पीक दूसरे बहुत से ज़िलों की अपेक्षा कहीं ज़्यादा हल्का रहा है.

उन्होंने कहा, ‘पीक के समय पुणे में सकारात्मकता दर 43 प्रतिशत थी. अपने पीक के समय अहमदनगर और नाशिक की सकारात्मकता दर भी इसी रेंज में थी. अपने चरम पर हमारे यहां सकारात्मकता दर क़रीब 22 प्रतिशत थी’.

सालुंके ने आगे कहा, ‘कोल्हापुर और सतारा तथा सांगली जैसे कुछ पड़ोसी ज़िले, केरल जैसी स्थिति में हैं जहां दूसरे ज़िलों की अपेक्षा संक्रमण में देर से उछाल आया. वायरस का डेल्टा वेरिएंट इन ज़िलों में देरी से दाख़िल हुआ, इसलिए वायरल गतिविधि ज़्यादा लंबे समय तक जारी रही. ऊंची जांच दर, कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग और कोविड बचाव के अनुकूल व्यवहार जैसी सकारात्मक दख़लअंदाज़ी से, इसमें क़रीब एक महीने में कमी आ जाएगी’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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