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Friday, 22 November, 2024
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12वीं में विषय बदलने वाले छात्रों के 11वीं कक्षा के अंकों का इस तरह मूल्यांकन करेगा CBSE

सीबीएसई ने स्कूलों को जारी किये गए एक सर्कुलर में कहा है कि कक्षा 12 (बारहवीं) के जो छात्र आंतरिक मूल्यांकन की परीक्षा में शामिल होने से चूक गए हैं, उन्हें सिर्फ अनुपस्थित दिखाया जाना चाहिए और उन्हें शून्य अंक नहीं दिए जाने चाहिए.

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नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने उन छात्रों के बारहवीं के परिणामों की गणना करने के लिए स्कूलों को नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिन्होंने बारहवीं कक्षा में ग्यारहवीं की तुलना में अलग विषयों को चुना था.

सीबीएसई द्वारा गुरुवार को स्कूलों को जारी एक सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि इस सत्र के दौरान बारहवीं कक्षा के जो छात्र आंतरिक मूल्यांकन की परीक्षा में शामिल होने से चूक गए हैं, उन्हें सिर्फ अनुपस्थित दिखाया जाना चाहिए और उन्हें शून्य अंक नहीं दिए जाने चाहिए.

चूंकि इस साल कोई अंतिम परीक्षा नहीं होने जा रही है, इस कारण बोर्ड ने 17 जून को बारहवीं कक्षा के परिणामों को सारणीबद्ध (टैब्युलेट) करने के लिए एक मानदंड घोषित किया था. इस मूल्यांकन पद्धति में 30:30:40 फॉर्मूले का उपयोग करना शामिल है- इसमें 10वीं कक्षा से 30 प्रतिशत अंक, ग्यारहवीं से 30 प्रतिशत और शेष 40 प्रतिशत बारहवीं कक्षा के आंतरिक मूल्यांकन और यूनिट टेस्ट के आधार पर लिया जाना है. इ

स बारे में अतिरिक्त स्पष्टीकरण तब आया जब स्कूल विषय बदलने वाले छात्रों को अंक देने के लिए दिक्कतों का सामना कर रहे थे.

स्कूलों को जारी किये गए ताजा सर्कुलर के अनुसार, बोर्ड ने अब कहा है कि ‘कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जहां छात्रों ने बारहवीं कक्षा में ग्यारहवीं कक्षा के कुछ विषयों को बदला था. कुछ मामलों में तो बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र के सभी विषय नए थे. चूंकि स्कूलों को ऐसे छात्रों के ग्यारहवीं कक्षा के अंकों को सारणीबद्ध करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था, इसलिए बोर्ड को स्पष्टीकरण देना पड़ा.’

नए सर्कुलर में बोर्ड ने कहा है कि स्कूलों को ऐसे मामलों का मूल्यांकन करने के लिए ग्यारहवीं कक्षा में किसी भी छात्र द्वारा पढ़े गए कुल विषयों में से सर्वश्रेष्ठ तीन विषयों का औसत लेना चाहिए.

उदाहरण के लिए, यदि किसी छात्र ने ग्यारहवीं कक्षा में अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान और इतिहास की पढाई की और फिर बारहवीं कक्षा में उसने अपने विषयों को अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र और मनोविज्ञान में बदल दिया, तो ग्यारहवीं कक्षा के अंकों का मूल्यांकन अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान और इतिहास के आधार पर किया जाएगा.

‘स्कूलों द्वारा कुछ ऐसे उदाहरणों की सूचना दी गई है जहां छात्रों द्वारा ग्यारहवीं कक्षा के सभी विषयों या केवल एक या दो विषयों को बारहवीं कक्षा में जारी रखने की पेशकश की जा रही है और बाकी विषयों को सीबीएसई से उचित अनुमोदन के बाद नए विषयों से बदल दिया गया है.’

सीबीएसई सर्कुलर में कहा गया है कि ऐसे सभी मामलों में, ‘स्कूल पहले से यह सुनिश्चित करेगा कि विषय परिवर्तन के समय-सारणी (शेड्यूल) के अनुसार सीबीएसई से पहले ही मंजूरी मिल गई है. अनुमोदन के किसी भी नए अनुरोध पर विचार नहीं किया जाएगा.’

इसमें कहा गया है कि, ‘स्कूल ग्यारहवीं कक्षा के इन विषयों के मूल्यांकन के लिए ग्यारहवीं कक्षा में वास्तव में पढ़े गए विषयों में से सर्वश्रेष्ठ तीन विषयों के औसत का उपयोग करेगा.’


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‘शून्य अंक न दिए जाएं’

बोर्ड ने यह भी कहा कि जो छात्र बारहवीं कक्षा में यूनिट टेस्ट या आंतरिक परीक्षा के दौरान अनुपस्थित थे और जिनसे उनके मूल्यांकन के लिए संपर्क नहीं किया जा सका है, उन्हें सिर्फ अनुपस्थित दिखाया जाना चाहिए और उन्हें शून्य अंक नहीं दिए जाने चाहिए.

सर्कुलर में आगे कहा गया है कि ‘ऐसे सभी मामलों में, यह सुनिश्चित किया जाए कि छात्रों को अनुपस्थित के रूप में चिह्नित किया जाए ताकि ऐसे छात्रों के संबंध में परिणाम घोषित न किया जाए. यहां यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऐसे छात्रों के संबंध में कोई भी डेटा उन्हें शून्य अंक देकर या उनके नाम के आगे कुछ और लिखकर प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है.’

सत्र 2020-21 में बारहवीं कक्षा की परीक्षा के लिए 14 लाख से भी अधिक छात्रों ने अपना पंजीकरण कराया था.

सीबीएसई ने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि बारहवीं कक्षा के परिणाम 31 जुलाई तक घोषित किए जाएंगे. यह उसने कोर्ट के सामने एक विस्तृत मूल्यांकन मानदंड प्रस्तुत करते हुए किया था, जिसे बोर्ड ने कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण परीक्षा रद्द हो जाने के बाद तैयार किया था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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