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Wednesday, 18 December, 2024
होमदेशराम मंदिर से जुड़े कथित जमीन घोटाले के बाद जयपुर ग्रेटर नगर निगम के घूसकांड में जुड़ा संघ का नाम

राम मंदिर से जुड़े कथित जमीन घोटाले के बाद जयपुर ग्रेटर नगर निगम के घूसकांड में जुड़ा संघ का नाम

राजस्थान के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निंबाराम को जयपुर ग्रेटर नगर निगम में सफाई का काम कर रही पुणे की कंपनी को 276 करोड़ रुपये के भुगतान के एवज में 20 करोड़ रुपये की रिश्वत की सौदेबाजी के मामले में नामज़द किया है.

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 जयपुर: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के जमीन खरीद में लगातार हो रहे ख़ुलासों से हैरान और परेशान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पेशानी पर जयपुर ग्रेटर नगर निगम के 20 करोड़ रुपये के घूसकांड ने पसीना ला दिया है. राजस्थान के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने मंगलवार को पुणे की कंपनी को 276 करोड़ रुपये के भुगतान के एवज में 20 करोड़ रुपये की रिश्वत की सौदेबाज़ी में शामिल होने के आरोप में संघ के क्षेत्र प्रचारक निंबाराम के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज़ किया है. यह पहला मौका है जब संघ के इतने वरिष्ठ पदाधिकारी पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज़ हुआ है.

एसीबी ने इस मामले में निगम की निलंबित मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर के पति व भाजपा नेता राजाराम गुर्जर और कंपनी के प्रतिनिधि ओमप्रकाश सप्रे को गिरफ्तार किया है.

एसीबी ने इन तीनों के अलावा रिश्वत का ऑफर करने वाले कंपनी के प्रतिनिधि संदीप चौधरी को भी आरोपी बनाया है. चारों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार निवारण (संशोधित) अधिनियम 2018 और भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत मुकदमा दर्ज किया है. यह घूसकांड 10 जून को उस समय सुर्खियों में आया था जब रिश्वत की सौदेबाज़ी से जुड़े वीडियो और ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे. वीडियो में राजाराम गुर्जर और कंपनी के प्रतिनिधि बिलों का भुगतान करने पर 10 प्रतिशत कमीशन के हिसाब से 20 करोड़ रुपये के लेनदेन की बात साफ सुनाई दे रही है. इन वीडियो में संघ के क्षेत्र प्रचारक निंबाराम भी नज़र आ रहे हैं.

सोशल मीडिया पर सौदेबाजी का वीडियो वायरल होने के बाद एसीबी ने 10 जून को ही स्वत: संज्ञान लेते जांच शुरू कर दी थी. रिश्वत की सौदेबाजी के पुष्टि होने पर मुकदमा दर्ज़ हुआ और दो लोगों की गिरफ्तारी हुई. एसीबी के डीजी डॉ. बीएल सोनी के कहते हैं, ‘वायरल हुए वीडियो और ऑडियो की जांच के लिए राजस्थान और एक अन्य राज्य की फोरेंसिक लेबोरेट्री भेजा था. दोनों जगह से रिपोर्ट आने के बाद चार लोगों को नामज़द किया गया है.’

डॉ. सोनी आगे बताते हैं, ‘वीडियो व ऑडियो और अब तक की जांच में सामने आए तथ्यों से प्राथमिक तौर पर यह पता चलता है कि लोकसेवा के लिए लोकसेवक से जुड़े हुए घनिष्ठ व्यक्ति द्वारा रिश्वत मांगी गई है और एक कंपनी द्वारा रिश्वत ऑफर की गई है. एक अन्य व्यक्ति की इसमें सहयोगात्मक उपस्थिति रही है. इन सबको देखते हुए एसीबी ने प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट और आईपीसी के सेक्शन 120बी में मुकदमा दर्ज़ किया है. प्रारंभिक अनुसंधान के बाद राजाराम गुर्जर और ओमप्रकाश सप्रे को गिरफ्तार किया गया है.’

कानून के जानकारों के अनुसार संघ के क्षेत्र प्रचारक निंबाराम पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है. राजस्थान हाईकोर्ट के वकील कपिल गुप्ता कहते हैं, ‘एसीबी ने इस मामले में पेशेवर ढंग से काम किया है. वीडियो और ऑडियो को फोरेंसिक जांच इस बात का प्रमाण है कि एसीबी मामले की जांच में कोई ख़ामी नहीं छोड़ रही. दो आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, बाकी बचे आरोपियों की कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है. हालांकि आरोपियों के पास अग्रिम ज़मानत के लिए कोर्ट जाने का विकल्प है.’

इस पूरे घटनाक्रम से भाजपा के स्थानीय नेता और संघ के स्थानीय पदाधिकारी सकते में हैं. गौरतलब है कि निंबाराम न सिर्फ़ संघ के क्षेत्र प्रचारक जैसे ऊंचे ओहदे पर हैं, बल्कि संगठन में उनकी मज़बूत पकड़ और स्वयंसेवकों के बीच गज़ब की लोकप्रियता है. अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर बनने वाले मंदिर के लिए इस साल 15 जनवरी से 27 फरवरी तक चले चंदा संग्रह अभियान का राजस्थान में उन्होंने ही नेतृत्व किया था. प्रदेश से कुल 515 करोड़ रुपये का चंदा इकट्ठा हुआ, जो देश में सर्वाधिक है.

नहीं सूझ रहा छवि बचाने का रास्ता

संघ के एक स्थानीय पदाधिकारी ने नाम उज़ागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि निंबाराम ने पूरे समर्पण और शक्ति के साथ चंदा संग्रह अभियान संचालन किया. उन्होंने कहा, ‘निलंबित मेयर के पति राजाराम गुर्जर ने भी मंदिर के लिए एक करोड़ रुपये दिए थे. हो सकता है इसी वज़ह से भाईसाहब उनके और कंपनी के बीच सुलझाने के लिए बैठ गए हों. बाकी वो इस तरह के आदमी नहीं हैं कि रिश्वत की सौदेबाजी के खेल में शामिल हों.’

प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता भी संघ के पदाधिकारी की बात से सहमत हैं. वे कहते हैं, ‘निंबाराम जी के सामने में इस प्रकार रिश्वत की बात करने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता. सुनने में आ रहा है कि हमारी पार्टी के ही एक नेता ने कंपनी के साथ मिलीभगत कर उन्हें इस मामले में उलझाया है. वे सहज और सरल आदमी हैं. हो सकता है कि वे इस खेल को समझ नहीं पाए हों, लेकिन वीडियो सामने आने से बदनामी बहुत हो गई है. हम कहीं बोलने लायक नहीं बचे हैं.’

वहीं, भाजपा के एक दूसरे वरिष्ठ नेता निलंबित मेयर के पति राजाराम गुर्जर की संघ के क्षेत्र प्रचारक तक पहुंच और उनके सामने रिश्वत की खुली बात करने पर आश्चर्य जताते हैं. वे कहते हैं, ‘राजाराम गुर्जर एक अपराधी किस्म का व्यक्ति है. उस पर कई मुकदमे दर्ज़ हैं. कई बार जेल जा चुका है. ऐसे व्यक्ति के क्षेत्र प्रचारक से ऐसे संबंध होना कि वह उनके सामने रिश्वत की सौदेबाजी कर सके, किसी को नहीं पच रहा. असल में सौम्या गुर्जर को मेयर बनाने का निर्णय ही गलत था.’


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‘कैसे करें बचाव’

गौरतलब है कि डॉ. सौम्या गुर्जर पिछले साल नवंबर में जब जयपुर ग्रेटर नगर निगम की मेयर बनी थीं तो भाजपा में खींचतान स्पष्ट तौर पर देखने को मिली थी. दरअसल, जयपुर का कोई नेता उन्हें मेयर बनाने का पक्ष में नहीं था, लेकिन प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां और संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने उनकी पैरवी की. डॉ. सौम्या गुर्जर मेयर बनने के बाद कई विवादों से उनका नाता रहा. बड़ा बवाल तब हुआ जब निगम के आयुक्त के साथ मारपीट के मामले में सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया. हाईकोर्ट ने उनके निलंबन को सही माना है. इस बीच उनके पति के वीडियो और ऑडियो वायरल हो गए.

मामले में इतनी उलटबांसी सामने आ चुकी हैं कि मुकदमा दर्ज़ होने के 24 घंटे बाद तक भाजपा यह तय नहीं कर सकी कि इस मामले में बचाव कैसे किया जाए. सबसे पहले भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने बुधवार दोपहर को इस प्रकरण और निंबाराम का नाम लिए बिना सियासी षड्यंत्र की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा, ‘हमारे राज्य के राजनीतिक सद्भाव की चर्चा होती थी. अब इसका स्थान विद्वेष, प्रतिशोध और सियासी षड्यंत्रों ने ले लिया है. संस्थाओं और व्यक्तियों का चरित्र हनन इनका मुख्य एजेंडा है. देश का नेतृत्व, राज्य की जनता और कार्यकर्ता सब देख रहा है. पार्टी पूरी मज़बूती से हर चुनौती का सामना करेगी.’


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कांग्रेस को मिला मौका,हुई हमलावर

दूसरी ओर कांग्रेस इस मसले पर आक्रामक है. बुधवार को प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में निंबाराम को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की. उन्होंने कहा, ‘आरएसएस के प्रमुख व्यक्ति सहित चार लोगों के खिलाफ जांच के बाद एसीबी ने एफआईआर दर्ज की है. इसमें राजाराम और कंपनी के प्रतिनिधि को गिरफ्तार किया है. मेरा यह सवाल कि आरएसएस के प्रमुख व्यक्ति जिसकी भ्रष्टाचार की डील करते हुए मौजूदगी वीडियो में साबित हो रही है उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है? मेरी सरकार से भी मांग है कि ऐसे व्यक्ति को तुरंत गिरफ्तार किया जाए.’

डोटासरा की प्रेस कॉन्फेंस के बाद बुधवार शाम को भाजपा की ओर से उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ भी मीडिया से रूबरू हुए. उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की फितरत ही ऐसी है कि वे राजनैतिक प्रतिद्वंदिता को पूरा करने के लिए एसीबी और एसओजी का दुरुपयोग करें. राजनैतिक प्रतिशोध की भावना से राज्य सरकार ने एसीबी का इस्तेमाल करके अब एक राष्ट्रवादी संगठन को निशाना बनाया है. सरकार अपनी विफलताओं को छुपाने और मुद्दों से भटकाने के लिए सरकारी एजेंसियों का जम कर दुरुपयोग कर रही है.’

इस बीच प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने सतीश पूनिया इसी सिलसिले में बुधवार को दिल्ली गए. उन्होंने प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह के अलावा भाजपा के कई केंद्रीय नेताओं ने मुलाकात की. पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व घूसकांड में संघ पर उठ रहे सवालों को लेकर गंभीर है. सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के नेताओं को इस मुद्दे में एसीबी के दुरुपयोग का आरोप लगा अशोक गहलोत सरकार की घेराबंदी करने की रणनीति पर काम करने के निर्देश दिए हैं.

वहीं, मामले में संघ ने भी गुरुवार को आधिकारिक प्रतिक्रिया दी. क्षेत्र कार्यवाह हनुमान सिंह राठौड़ की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार बीवीजी इंडिया कंपनी के प्रतिनिधि निंबाराम के पास उदयपुर के प्रताप गौरव केंद्र में सीएसआर फंड से सहयोग देने का प्रस्ताव लेकर आए थे. विज्ञप्ति में 20 अप्रैल को निंबाराम और कंपनी के प्रतिनिधियों‌ के बीच हुए मुलाकात को सामान्य सामाजिक शिष्टाचार बताते हुए भ्रष्टाचार के आरोपों का खंडन किया है.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और जयपुर में रहते हैं. उनका ट्विटर हैंडल @avadheshjpr है)


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