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Friday, 22 November, 2024
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2019 का टॉप-50 क्लब : सबसे ज्यादा अंतर से जीतने वालों की सूची में 42 सांसद BJP के और तीन कांग्रेस के हैं

चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि जहां चार सांसदों ने 6 लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की, वहीं नौ अन्य ने 5 लाख से अधिक मतों के अंतर से चुनाव जीता था. इनमें से केवल दो विपक्ष के थे और वे दोनों तमिलनाडु के हैं.

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नई दिल्ली: 2019 के आम चुनावों में सबसे अधिक वोटों के अंतर से जीतने वाले 50 सांसदों में से 42 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हैं, जिन्होंने चार से सात लाख तक वोटों से जीत हासिल की थी.

मात्र तीन कांग्रेसी सांसदों ने 30 प्रतिशत या इससे अधिक वोटों के अंतर के साथ शीर्ष 50 में जगह बनाई है और इनमें से कोई भी पार्टी शासित राज्यों पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से नहीं है. इन तीन में एक केरल के वायनाड से जीतने वाले राहुल गांधी थे, जबकि दो अन्य तमिलनाडु से थे, जहां द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के साथ पार्टी का गठबंधन मददगार साबित हुआ.

डीएमके का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा. टॉप-50 की सूची में इसके चार सांसद शामिल हैं. सभी ने चार लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.

पांच लाख से अधिक मतों की जीत- जो 2019 से पहले चुनावी इतिहास में केवल चार बार देखी गई- के मामले में 13 सांसदों ने बाजी मारी, जिनमें से केवल दो विपक्ष (डीएमके) के थे. इन 13 में से चार की जीत का अंतर तो छह लाख से अधिक रहा. इसके अलावा 308 सांसदों ने एक लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की.

2019 में ‘मोदी लहर’ के बीच भाजपा की भारी जीत के साथ एक दिलचस्प बात यह भी रही कि सबसे कम अंतर से जीत का रिकॉर्ड भी भाजपा सांसद के ही नाम रहा है. उत्तर प्रदेश के मछलीशहर निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित बी.पी. सरोज को केवल 188 मतों से जीत हासिल हुई थी.

यह डाटा पिछले हफ्ते ही सामने आया है जब भारतीय निर्वाचन आयोग ने चुनावों के दो साल बाद 17वीं लोकसभा चुनावों पर संकलित डाटा जारी किया.

भाजपा सांसद शीर्ष पर

टॉप-50 क्लब में सबसे ज्यादा अंतर से जीत हासिल करने वाले रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी विश्वासपात्र सीआर पाटिल. उन्होंने गुजरात के नवसारी से 6.89 लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की थी. कांग्रेस के उनके प्रतिद्वंद्वी धर्मेशभाई भीमभाई को पाटिल के 9.72 लाख के मुकाबले मात्र 2.83 लाख वोट मिले थे.

पाटिल को बाद में गुजरात भाजपा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.

2019 का चुनाव छह लाख से अधिक मतों के अंतर से जीतने वाले सभी चार सांसद भाजपा के हैं. पाटिल के अलावा करनाल (हरियाणा) से जीते संजय भाटिया, फरीदाबाद (हरियाणा) से जीते और अब राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर और राजस्थान के भीलवाड़ा से जीते सुभाष चंद्र बहेरिया.

इस सूची में शामिल सबसे ज्यादा सांसद प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात से नहीं, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के गढ़ राजस्थान से आते हैं. राजस्थान के नौ सांसदों ने इस सूची में जगह बनाई है. कांग्रेस ने इस राज्य में एक भी लोकसभा सीट नहीं जीती जबकि भाजपा ने सभी 25 सीटों पर जीत हासिल की थी.

बड़े अंतर से जीत के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का राज्य मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर रहा है, जिसके छह सांसद इस सूची में शामिल हैं. राज्य की 28 सीटों में से 27 पर भाजपा को जीत हासिल हुई थी, केवल एक सीट छिंदवाड़ा से कांग्रेस नेता कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ जीत हासिल करने में सफल रहे थे.

सूची में गुजरात के पांच सांसद हैं.

व्यक्तिगत जीत में भी भाजपा सबसे आगे

सबसे अधिक जीत के अंतर वाले क्लब में सबसे उल्लेखनीय नामों में प्रधानमंत्री मोदी, जिन्होंने वाराणसी से 4.79 लाख वोटों से जीत हासिल की, गृह मंत्री अमित शाह, जिन्होंने गांधीनगर से 5.57 लाख वोटों से जीत हासिल की, और राहुल गांधी शामिल हैं, जिन्होंने 4.31 लाख वोटों से वायनाड की सीट जीती.


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बड़े अंतर से जीतने वाले अन्य भाजपा सांसदों में शामिल हैं, 4.67 लाख वोटों के अंतर से मुंबई उत्तर से जीतीं पूनम महाजन; पश्चिमी दिल्ली से प्रवेश साहिब सिंह वर्मा जो 5.78 लाख वोटों से जीते; उत्तर पश्चिमी दिल्ली से हंस राज हंस जो 5.53 लाख वोटों से जीते; झालावाड़ से 4.53 लाख वोटों से जीते वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह; जयपुर से राज्यवर्धन सिंह राठौर जो करीब 4.30 लाख वोटों से जीते; हजारीबाग से 4.79 लाख वोटों से जीते जयंत सिन्हा; और बेगूसराय में 4.22 लाख वोटों के साथ जीत दर्ज करने वाले गिरिराज सिंह.

विपक्ष के केवल आठ सांसद टॉप-50 में

सबसे ज्यादा अंतर से जीते सांसदों की टॉप-50 की सूची में केवल आठ विपक्षी सांसद हैं, जिनमें चार तमिलनाडु में 2021 का विधानसभा चुनाव जीतने वाली डीएमके के हैं. इसके अलावा तीन कांग्रेस से है और एक शिवसेना का है (जिसने 2019 का चुनाव भाजपा के साथ गठबंधन में लड़ा था).

कांग्रेस के सु. थिरुनावुक्कारासर ने तिरुचिरापल्ली में 4.59 लाख वोटों से जीत हासिल की और करूर में जोथी मणि ने 4.22 लाख वोटों से जीत हासिल की.

डीएमके की तरफ से जीत हासिल करने वालों में श्रीपेरुंबुदूर से 5.07 लाख मतों से जीते पूर्व केंद्रीय मंत्री टी.आर. बालू और डिंडीगुल में 5 लाख से अधिक मतों से जीते पी. वेलुसामी शामिल हैं.

ठाणे से शिवसेना के राजन विचारे ने 4 लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की थी.

विश्लेषकों की राय- मोदी लहर मजबूत थी

दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) के प्रोफेसर संजय कुमार कहते हैं कि यह ट्रेंड दो बातों को दर्शाता है.

उन्होंने कहा, ‘एक यह कि उत्तर भारत में कांग्रेस हाशिए पर है, जहां उनकी सरकारें तो हैं लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में उनकी सरकारें मतदाताओं को लोकसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों को वोट देने के लिए प्रेरित नहीं कर पाईं. देखा जाए तो वास्तव में कांग्रेस ने सहयोगी दलों के वोट नहीं बढ़ाए बल्कि उसे गठबंधन सहयोगी के वोटों से फायदा हुआ और यह पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी के पक्ष में मतदान के पैटर्न में उत्साह की कमी को दर्शाता है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘दूसरी बात, भाजपा उम्मीदवारों ने न केवल अपने गढ़ वाले राज्यों में बल्कि पूरे भारत में भारी अंतर से जीत हासिल की है. जीत का ऐसा अंतर तभी संभव है जब लहर हो, और आंकड़ों ने साबित कर दिया कि 2019 में मोदी लहर और मजबूत थी.’

2014 में भाजपा की औसत जीत का अंतर 16 प्रतिशत अंक था, जो 2019 में बढ़कर 20 प्रतिशत अंक हो गया.

कांग्रेस ने आखिरी बार 1980 में 20 प्रतिशत अंकों का अंतर देखा था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनता पार्टी को हराकर भारी जीत हासिल की थी.

2019 के चुनावों में 61.46 करोड़ मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया और 67.40 प्रतिशत वोट पड़ने के साथ यह आम चुनावों के इतिहास में सबसे अधिक मतदान का रिकॉर्ड है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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