नयी दिल्ली : सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने पुणे स्थित अपने लाइसेंस प्राप्त हडपसर केंद्र में परीक्षण, जांच एवं विश्लेषण के लिए कोविड-19 टीके स्पूतनिक वी को बनाने की अनुमति मांगते हुए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को आवेदन दिया है.
आधिकारिक सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.
पुणे स्थित कंपनी ने अपने हडपसर केंद्र में स्पूतनिक वी बनाने के लिए मॉस्को के गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के साथ गठजोड़ किया है.
सूत्रों ने बताया कि एसआईआई ने 18 मई को जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ‘जेनेटिक मैनीपुलेशन रिव्यू कमेटी (आरसीजीएम)’ को भी आवेदन देकर अनुसंधान एवं विकास कार्य करने के लिए स्ट्रेन या कोशिका बैंक का आयात करने की अनुमति मांगी थी.
आरसीजीएम ने एसआईआई के आवेदन के संबंध में कुछ सवाल किए हैं और पुणे स्थित कंपनी एवं गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के बीच सामग्री हस्तांतरण संबंधी समझौते की प्रति मांगी है.
इस समय डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज भारत में रूस के स्पूतनिक वी टीके का उत्पादन कर रही है.
एक सूत्र ने बताया, ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को बुधवार को एक आवेदन दिया, जिसमें उसके लाइसेंस प्राप्त हडपसर केंद्र में परीक्षण, जांच एवं विश्लेषण के लिए कोविड-19 टीके स्पूतनिक वी के भारत में उत्पादन की अनुमति मांगी गई है.’
ये स्वीकृतियां मिलने के बाद एसआईआई की भारत में टीकों के प्रतिबंधित आपात इस्तेमाल की अनुमति लेने की योजना है.
एसआईआई पहले ही सरकार को बता चुका है कि वह जून में 10 करोड़ कोविशील्ड खुराकों का उत्पादन और आपूर्ति करेगा. वह नोवावैक्स टीका भी बना रहा है. नोवावैक्स के लिए अमेरिका से नियामक संबंधी मंजूरी अभी नहीं मिली है.
डीसीजीआई ने अप्रैल में इसके आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी थी.
स्पूतनिक वी की 30 लाख खुराक की खेप मंगलवार को हैदराबाद पहुंची थी.