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Sunday, 22 December, 2024
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यूपी के कोविड संकट में योगी सरकार से हुए ‘नुकसान’ की काट ढूंढने को हुई मोदी-BJP-RSS की बैठक

यूपी में चुनावी बिगुल बजने से तक़रीबन नौ महीने पहले रविवार को मोदी, शाह, नड्डा और आरएसएस के होसबले की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई है. इस बैठक के सन्दर्भ में सूत्रों का कहना है कि सीएम योगी आदित्यनाथ को अब (शायद)  पहले जैसी खुली छूट नहीं मिलने वाली.

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नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का ऐलान होने में लगभग नौ महीने ही बचे हैं. प्रदेश में कोविड –19 के कारण उपजी/फैली अराजक स्थिति के बीच यह लगातार आरोप लग रहा है कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाले प्रशासन ने इससे निपटने के उपायों के मामले में घोर कुप्रबंधन किया है. यह दिल्ली में बैठे भाजपा आलाकमान के लिए चिंता का विषय बन गया है.

2022 में यूपी की सत्ता को बनाए रखना भाजपा के लिए नितांत महत्वपूर्ण है और इसमें होने वाले अच्छे प्रदर्शन को 2024 के लोकसभा चुनावों में भी नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बने रहने की चाबियों में से एक माना जाता है. लोकसभा चुनावों के मद्देनजर यूपी भारत का सबसे महत्वपूर्ण राज्य है क्योंकि यहाँ से चुने जाने वाले लोकसभा सांसदों की संख्या – 80 – इसी सूची में अगले राज्य, महाराष्ट्र (48) से लगभग दोगुनी है

यही कारण है कि प्रधान मंत्री मोदी ने इस रविवार को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के कामकाज और पार्टी की छवि पर कोविड-19 की इस दूसरी लहर के प्रभाव की समीक्षा के लिए एक बैठक बुलाई थी. बैठक में उपस्थित अन्य शीर्ष नेताओं में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा, पार्टी के यूपी संगठन सचिव सुनील बंसल और आरएसएस के सह-सरकार्यवाह (महासचिव) दत्तात्रेय होसबले शामिल थे. इस बैठक में न तो सीएम आदित्यनाथ और न ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह शामिल हुए.

बीजेपी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि यूपी में पार्टी संगठन और प्रशासनिक स्थिति की समीक्षा करने के लिए पीएम और होसबले की भागीदारी प्रदेश की जनता में व्याप्त धारणा के बारे में भाजपा आलाकमान की गहरी चिंता को दर्शाती है. एक सूत्र ने कहा, ‘यह चुनावी तैयारी के लिए होने वाली बैठक नहीं थी, बल्कि यह (संभावित) नुकसान को कम करने का एक तरीका था.

इस सूत्र ने आगे यह भी कहा कि ‘(आने वाले समय में) आप शासन में कुछ बदलाव देखेंगे. हो सकता है कि योगी को अब उतनी खुली छूट न दी जाए. (फ़िलहाल और) अधिक प्रभावी प्रशासन की जरूरत है और प्रभावी मंत्रियों को अधिक जिम्मेदारियां दी जाएंगी.’

कोरोना की इस दूसरी लहर से निपटने के लिए योगी के प्रयासों पर सवाल  

भाजपा के अपने ही सांसदों, विधायकों और मंत्रियों ने योगी आदित्यनाथ प्रशासन द्वारा इस महामारी से निपटने के तौर तरीके पर सवाल उठाया है. 12 अप्रैल को, यूपी के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने इस मुद्दे पर सवाल खड़ा किया था कि लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी फोन नहीं उठाते और लोगों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल पा रहें हैं; एंबुलेंस को पहुंचने में 6-7 घंटे लग रहे थे और सरकारी लैब 4-5 दिनों में कोविड जांच रिपोर्ट दे रहे थे

मोहनलालगंज के भाजपा सांसद कौशल किशोर (जिन्होंने अपने भाई को इसी कोविड लहर में खो दिया), बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी, कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी, मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल, औराई के विधायक दीनानाथ भास्कर और यहां तक ​​​​कि केंद्रीय मंत्री और बरेली के सांसद संतोष गंगवार जैसे नेताओं ने बेड, ऑक्सीजन सप्लाई और एंबुलेंस की व्यवस्था के मामलों में उत्तर प्रदेश सरकार की विफलता की ओर इशारा करते हुए कई पत्र लिखे. जसराना के विधायक पप्पू लोधी ने तो अपनी पत्नी का कई घंटों तक बेड के लिए इंतजार करते हुए जमीन पर लेटे रहने का एक वीडियो भी पोस्ट किया.

भाजपा नेताओं की इन शिकायतों ने आलाकमान के लिए चिंताओं को जन्म दिया, और यूपी के कई नेताओं ने नड्डा, शाह और यहां तक ​​​​कि पीएम मोदी को भी इस बारे में जानकारी दी

इसके बाद सीएम योगी ने जमीनी हालात की समीक्षा के लिए व्यक्तिगत रूप से जिलों का दौरा करना शुरू किया. सूत्रों ने बताया  कि यह कोई संयोग नहीं था कि जब सीएम् योगी पिछले हफ्ते जिले के बुनियादी ढांचे की तैयारियों की पड़ताल के लिए नोएडा गए थे, तो उन्होंने दिल्ली के कुछ पत्रकारों को हाईकमान की नजर में अपनी छवि में फिर से जान फूंकने की कोशिश करने के लिए बुलाया था.

अब योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि पीएम मोदी के द्वारा विशेष रूप  से चुने गए पूर्व आईएएस अधिकारी ए.के. शर्मा द्वारा वाराणसी में स्थापित किये गए नियंत्रण कक्ष (कमांड सेंटर) की तर्ज पर अन्य जिलों में भी नियंत्रण कक्ष स्थापित किये जाएं. जिलाधिकारियों को कहा गया है कि वे इस नियंत्रण कक्ष से लाभार्थियों को सीधे फोन कर इस बात की पुष्टि करें कि उन्हें राशन और कोविड किट मिली है या नहीं, और इस बारे में प्रति दिन एक रिपोर्ट मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव को भेजनी है

कोविड-19 की इस दूसरी लहर के चरम के दौरान मेरठ में ऑक्सीजन की भारी कमी के बारे में 28 अप्रैल को सीएम को पत्र लिखने वाले राजेंद्र अग्रवाल ने दिप्रिंट को बताया: ‘अब, शहरों में स्थिति में काफी कुछ सुधार हुआ है, लेकिन हमें अभी भी सावधान रहना होगा. क्योंकि गांवों में मामले अभी भी कम नहीं हुए हैं.

इसी क्रम में फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर ने कहा: ‘मदद के लिए की जा रहीं अपीलों में कुछ कमी आई है, लेकिन टीकाकरण के बारे में बहुत सारी गलत जानकारी व्याप्त है, इसलिए हमने कई विभिन्न अभियान शुरू किए हैं. हम इस समय बेड, ऑक्सीजन और अन्य जरूरी चीजों के बारे में भी जानकारी प्रदान कर रहे हैं.’


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पीएम की छवि को हो रहा है नुकसान!   

भाजपा के एक नेता ने दिप्रिंट को बताते हुए कहा कि आलाकमान न केवल योगी सरकार द्वारा कोविड महामारी के कुप्रबंधनके बारे में चिंतित है, बल्कि इससे भी अधिक पीएम मोदी की छवि में हो रहे गंभीर नुकसान के बारे में चिंतित है, जिसमें यूपी ने भी काफी कुछ योगदान दिया है.’

इस नेता ने कहा, ‘उन्नाव, कानपुर आदि में गंगा में तैरते सैकड़ों शव कोरोना से निपटने की तैयारियों के बारे में जनधारणा निर्धारित करने वाले पल बन गए. इस पवित्र नदी के साथ पीएम के विशेष लगाव   और इस तथ्य को देखते हुए कि वाराणसी उनका अपना निर्वाचन क्षेत्र है, यह पहली बार हो रहा है जब लोग पीएम के प्रयासों और उनकी संजीदगी पर उंगली उठा रहे हैं.

अपनी बात में आगे जोड़ते हुए इस नेता ने कहा कि जब एक व्यक्ति (ए.के.शर्मा) वाराणसी में स्थिति को ‘पूरी तरह से’ नियंत्रित कर सकता है और इसे प्रबंधित करने में कॉर्पोरेट जगत की मदद ले सकता है, तो जब अन्य जिलों में लोग मदद के लिए कराह रहे थे तो इस भारी भरकम मंत्रालय के सदस्य और अधिकारी अनुपस्थित क्यों थे?’

उन्होंने कहा, ‘यहां यह बात मायने नहीं रखती कि आप आने वाले खतरे से अनजान बने रहे पर असल मुद्दा यह है कि आप अपने सामने उत्पन्न स्थिति से निपटने के सन्दर्भ में कैसे प्रतिक्रिया करते हैं,’ 

तौर तरीकों में बड़े बदलाव की आवश्यकता

एक अन्य नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल में पार्टी की हार के बाद,  2024 में चुनाव के मद्देनजर भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश अब सबसे महत्वपूर्ण राज्य है

इस नेता ने कहा.यह स्पष्ट है कि विधानसभा चुनाव में ममता की भारी जीत के बाद हमें 2019 में पश्चिम बंगाल में जीती गई 18 से अधिक सीटें नहीं मिल पाएंगी. अतः यूपी में किया गया कोई भी दुस्साहस आत्मघाती साबित होगा. हम इसे सहन नहीं कर सकते. इस बैठक में सरकार के तौरतरीकों में कई बदलाव की आवश्यकता पर चर्चा की गई.’ 

अपना नाम न जाहिर करने की शर्त पर यूपी बीजेपी के एक उपाध्यक्ष ने यह भी कहा कि हालांकि आलाकमान के मनमस्तिष्क में कोविड-19 की इस दूसरी लहर में योगी सरकार का प्रदर्शन सबसे महत्वपूर्ण विषय है, फिर भी पिछले महीने हुए पंचायत चुनाव के नतीजे भी चिंता का गंभीर विषय थे. इनमें बीजेपी -समर्थित उम्मीदवारों को समाजवादी पार्टी समर्थित उम्मीदवारों की तुलना में कम पदों पर (यहां तक ​​कि वाराणसी, अयोध्या और प्रयागराज जैसे पार्टी के मजबूत गढ़ों में भी)  जीत हासिल हुई थी. 

पूर्वी यूपी के एक अन्य सांसद ने अपना नाम न छपने की शर्त पर कहा कि अब आम जनता की धारणा योगी आदित्यनाथ  के खिलाफ हो गई है, और जिन लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया है, वे भाजपा को कतई वोट नहीं देंगे.’ इस सांसद ने कहा कि ‘यहां  हस्तक्षेप करने और काम करने के तौर तरीकों में बदलाव लाने की तत्काल आवश्यकता है.’

भाजपा के एक केंद्रीय नेता ने कहा कि केंद्र की चिंता इस साल के अंत में आने वाली इस महामारी की तीसरी लहरके संदर्भ में भी है.

इस नेता ने कहा,’इसके आने का नियत समय कोई नहीं जानता कि लेकिन स्वास्थ्य एजेंसियों ने तीसरी लहर के दौरान बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने के बारे में आगाह किया है, और अगर यह लहर विधानसभा चुनाव के आस-पास आती है और अगर हम दूसरी लहर की तरह इस बार भी अनजाने में पकड़े जाते हैं, तो यह यूपी में भाजपा के लिए आत्मघाती सिद्ध होगा.

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