बेंगलुरू: देश में दूसरी लहर तेजी से फैलने के बीच कोविड से ‘बचाव’ या ‘इलाज’ के तौर पर स्टीम इनहेलेशन या स्टीमिंग सामान्य तौर पर सुझाया जाने वाला एक इलाज बन गया है. व्यापक स्तर पर स्टीमिंग इवेंट, जैसा मंगलुरु में पुलिसकर्मियों की तरफ से किया गया, भी आयोजित किए जा रहे हैं. लेकिन क्या स्टीम लेने से वास्तव में कोविड का संक्रमण रुक सकता है या पहले से संक्रमित लोगों में वायरस मर सकता है?
विशेषज्ञ स्पष्ट तौर पर बताते हैं कि ऊपरी श्वास नलिका में कंजेशन या कोल्ड होने की स्थिति में स्टीम लेने से तो आराम मिलता है लेकिन यह निमोनिया या फेफड़ों में किसी तरह की दिक्कत की स्थिति में मददगार नहीं है, न ही इससे किसी भी तरह से संक्रमण का इलाज संभव है.
कोविड के मरीजों को उस समय तो स्टीम लेने से राहत मिल सकती है जब उनके लक्षण एक सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे होते हैं, जिसमें नाक में कंजेशन और साइनसाइटिस हो जाता है. हालांकि, यह श्वसन संबंधी समस्याओं को दूर करने में उपयोगी नहीं है.
और सावधान भी रहे—अगर स्टीम लेने का गलत तरीका अपनाया गया तो यह त्वचा और श्वसन मार्ग में जलन का कारण का भी बन सकता है. इसके अलावा, बेहतर है कि यह प्रक्रिया आइसोलेशन में ही अपनाई जाए नहीं तो इसके परिणामस्वरूप संक्रमण थमने की बजाय और अधिक फैल सकता है.
दिप्रिंट आपको बता रहा है कि स्टीमिंग के क्या फायदे हैं, इसे क्यों और कैसे किया जाता है, और कब इसे करने का उपयुक्त समय होता है.
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स्टीमिंग से क्या होता है?
संक्रमण के दौरान जब नाक के रास्ते वाली रक्त वाहिकाओं, श्वसन प्रणाली और साइनस में कुछ दिक्कत होती हैं और सूजन आ जाती है तो उसमें कंजेशन हो जाता है और बलगम बनता है. उस समय स्टीम लेना रक्त वाहिकाओं को आराम पहुंचाता है और बलगम निकलने में मदद मिलती है, जिससे कुछ देर के लिए सांस लेने में राहत मिल जाती है. लेकिन गर्म भाप जलन और सूजन बढ़ा भी सकती है.
घर पर इसे करने का सबसे सुरक्षित तरीका यही है कि इसे एक अलग और हवादार कमरे में किया जाए, किसी बड़े कटोरे में गर्म पानी की भाप एक तौलिया या कंबल से सिर ढककर ली जाए. भाप लेने वाले व्यक्ति का सिर पानी से लगभग 12 इंच की दूरी पर होना चाहिए, और दो से पांच मिनट तक धीमे-धीमे गहरी सांसें लेनी चाहिए.
हालांकि, अगर गलत तरीका अपनाया तो स्टीमिंग से त्वचा और श्वसन मार्ग दोनों में दिक्कत या जलन होने का खतरा रहता है.
ऐसी घटनाओं के संबंध में कई रिपोर्ट सामने हैं, जिसमें बड़ी संख्या में छोटे बच्चे भी शामिल हैं.
इसके अतिरिक्त, मंगलुरु में बड़े पैमाने पर स्टीमिंग इवेंट जैसे आयोजनों से गैर-संक्रमित लोगों में भी वायरस फैलाने का जोखिम रहता है.
क्या स्टीमिंग कोविड को रोकने में मददगार है?
कोविड के दौरान कई तरह के लक्षण सामने आते हैं, जिनमें बुखार, शरीर में दर्द, डायरिया, नाक बहना, नाक बंद होना और कई अन्य चीजें शामिल हैं. लेकिन स्टीमिंग तभी फायदेमंद है जब लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम वाले होते हैं जिसमें नाक में कंजेशन और साइनसाइटिस होता है. यह संक्रमण खत्म करने में अक्षम है. कई स्रोतों से किए जा रहे तमाम दावों के विपरीत यह वायरस को मारने या नष्ट करने या इसे बढ़ने से रोकने में भी सक्षम नहीं है.
वेल्लूर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में वायरोलॉजिस्ट और माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर गगनदीप कांग कहते हैं, ‘स्टीमिंग नाक और ऊपरी श्वास नलिका में कंजेशन से राहत दिलाती है. लेकिन यह कोविड को रोकने या वायरस के इलाज या बीमारी बढ़ने से रोकने की दिशा में कतई कारगर नहीं है.’
सामान्य सर्दी के मामले में भी स्टीम लेना केवल लक्षणों में थोड़ी राहत दे सकता है. इससे किसी भी तरह संक्रमण तेजी से खत्म नहीं होता और न ही इससे वायरस मरता है.
कांग ने स्पष्ट किया कि इसके अलावा सांस लेने या श्वसन प्रणाली में किसी अन्य तरह की दिक्कत को स्टीमिंग से दूर नहीं किया जा सकता है. बीमारी के दौरान केवल नाक बंद होने या कंजेशन की स्थिति ही ऐसे लक्षण है जिनमें स्टीमिंग से कुछ फायदा हो सकता है.
यही नहीं कंजेशन के बिना स्टीम लेना अस्थमा जैसी अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों को बढ़ा सकता है. स्टीमिंग में इसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल भी नुकसानदेह साबित हो सकता है.
इसलिए स्टीम थेरेपी अपनाते समय बेहद सावधानी बरतें. यह निश्चित तौर पर कोई इलाज नहीं है लेकिन कुछ समय के लिए थोड़ी-बहुत राहत जरूर दे सकती है.
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