नई दिल्ली: कमल हासन की मक्कल निधि मय्यम, जो 2018 में लॉन्च की गई थी, तमिलनाडु चुनावों में विफल रही है और उसकी झोली में एक भी सीट नहीं आई है. कमल हासन काफी नजदीकी मुकाबले में भाजपा की वानाथी श्रीनिवासन से 1,728 वोट से हार गए हैं.
‘भ्रष्ट द्रविड़ियन पार्टियों’ के विकल्प के तौर पर पेश की गई, एमएनएम पार्टी अभिनेता शरत कुमार की ऑल इंडिया समतुवा मक्कल काची और इंधिया जननायगा काची के साथ गठबंधन में थी. इसने कुल 232 सीटों में से 154 पर चुनाव लड़ा.
कमल हासन के खराब प्रदर्शन ने तमिलनाडु की राजनीति में एक और बात स्पष्ट कर दी है कि अब सिनेमाई चेहरों का असर खत्म होता जा रहा है.
कोयंबटूर साउथ सीट पर हासन को करीब 33 प्रतिशत वोट मिले. उनकी पार्टी के अन्य उम्मीदवारों का कोई खास प्रदर्शन नहीं रहा.
तमिलनाडु चुनाव 6 अप्रैल को एक ही चरण में कराए गए थे. नेता से राजनेता बने एमएनएम प्रमुख कमल हासन ने, कोयम्बटूर साउथ सीट से चुनाव लड़ा था.
इससे पहले एक इंटरव्यू में, हासन ने कहा था कि उनकी मंशा, कोयम्बटूर का ‘लोकतांत्रिक घेराव’ करने, और उसका ‘आर्थिक पुनरुत्थान’ करने की है.
दिप्रिंट से बात करते हुए उन्होंने कहा था, ‘कोयम्बटूर में बहुत बार सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करने की कोशिशें की गईं हैं. इसका मेरी जैसी आवाज़ से मुकाबला करने की ज़रूरत है’.
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बदलाव की राजनीति का वादा काम नहीं आया
हालांकि पार्टी युवा मतदाताओं के बीच लोकप्रिय थी लेकिन ये काम नहीं आया. ग्रामीण क्षेत्रों में एमएनएम मज़बूत नहीं रही है, चूंकि 2019 लोकसभा चुनावों में भी, तमिलनाडु के अंदरूनी इलाक़ों में पार्टी कुल 3 प्रतिशत वोट ही हासिल कर पाई थी.
चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन ने, हासन की योजनाओं पर विराम लगा दिया है. चुनावों से पहले उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी का मकसद गरीबी रेखा पर कम और ‘अमीरी रेखा’ पर ज़्यादा ध्यान देना था.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘हर सरकार, चाहे वो केंद्र की हो या राज्य की, ग़रीबी रेखा को देखती है. लेकिन मैं अमीरी रेखा पर फोकस करना चाहता हूं’. उन्होंने आगे कहा, ‘मैं तमिलनाडु को उस अमीरी रेखा से ऊपर लाना चाहता हूं, जिससे कोविड जैसी आपदाओं, या नोटबंदी जैसी स्थितियों में, लोग फिसलकर इस अमीरी रेखा से नीचे नहीं आएंगे, और ऐसी स्थितियों में भी ख़ुद को संभाल लेंगे’.
उनके लिए एमएनएम दूसरी पार्टियों से अलग है, चूंकि उनके लिए राजनीति एक जीविका है, जहां उन्होंने अपराधियों को विधायकों के रूप में मैदान में उतारा हुआ है, और नकदी के झोले भर-भर कर दिए.
उन्होंने कहा था, ‘हमारे लिए ये कोई पेशा नहीं है, ये एक प्रतिबद्धता है. दूसरी पार्टियां सामाजिक न्याय की आड़ में अपने अपराध छिपाती हैं. हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, और दिखाने के लिए सब कुछ है’.
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