गोपेश्वर: उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन सीमा से सटे इलाके में हुए हिमस्खलन में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के आठ कर्मियों की मौत हो गई जबकि सात कर्मी घायल हो गए. इसके अलावा 31 कर्मी लापता हैं. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी.
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक कुमार ने कहा कि शुक्रवार को हुए हिमस्खलन के दौरान सड़क निर्माण स्थल पर बीआरओ के कुल 430 कर्मी मौजूद थे.
उन्होंने कहा कि कि शुक्रवार रात को नीति घाटी के सुमना इलाके में हिमस्खलन स्थल से दो व्यक्तियों के शव मिले जबकि शनिवार को छह और शव बरामद किये गये.
डीजीपी ने कहा कि अब तक 430 में से 384 कर्मी इलाके के आईटीबीपी और सेना के शिविरों में पहुंच चुके हैं. आठ कर्मियों की मौत हो चुकी है जबकि 31 कर्मी लापता हैं. सेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ कर्मी प्रभावित इलाके में संयुक्त खोज एवं बचाव अभियान में जुटे हैं. घायलों को बचाकर हेलीकॉप्टरों के जरिये जोशीमठ में सेना के अस्पताल ले जाया गया है.
डीजीपी ने कहा कि सुमना में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और सेना की चौकियां सुरक्षित हैं.
सुमना, जहां हिमस्खलन हुआ, मलारी गांव से करीब 25 किलोमीटर दूर है और यह धौली गंगा की दो धाराओं- गिर्थिगाड और कियोगाड के संगम के समीप है. धौली गंगा में फरवरी में आपदाकारी हिमस्खलन हुआ और 80 लोगों की जान चली गयी थी एवं 126 लापता हो गये थे.
इस बीच, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने हवाई सर्वेक्षण कर हालात का जायजा लिया. सेना और जिला प्रशासन शुक्रवार रात से खोज एवं बचाव अभियान पर नजर बनाए हुए है. आईटीबीपी और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) तथा राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के कर्मी भी अब उनके साथ शामिल हो गए हैं.
रावत के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बचाव अभियान में हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है.
वर्ष 1991 में भी सुमना में इसी तरह हिमस्खलन हुआ था, जिसमें आईटीबीपी के 11 कर्मियों की मौत हो गई थी.
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