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Friday, 22 November, 2024
होमहेल्थदिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री की मांग- कोविड को 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन' में होने की घोषणा करे केंद्र सरकार

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री की मांग- कोविड को ‘कम्युनिटी ट्रांसमिशन’ में होने की घोषणा करे केंद्र सरकार

सत्येंद्र जैन ने ये अनुरोध पिछले साल जून में भी किया था, और उन्होंने कोविड में देशव्यापी उछाल के बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में, इस अनुरोध को अब फिर दोहराया है.

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नई दिल्ली: शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन के साथ हुई एक मीटिंग में, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंदर जैन ने मोदी सरकार से आग्रह किया, कि वो स्वीकार करे कि राष्ट्रीय राजधानी, कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की चपेट में है, ताकि टेस्टिंग, ट्रैकिंग, और कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की बजाय, संसाधनों का जीवन बचाने में बेहतर इस्तेमाल किया जा सके.

वर्धन ने 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक की- महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, दिल्ली कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश, जहां फिलहाल कोविड-19 मामलों में उछाल देखा जा रहा है- ताकि कोविड के निवारण, रोकथाम, और प्रबंधन के लिए, उठाए गए क़दमों की समीक्षा की जा सके. राज्यों ने केंद्र से सहायता की मांग की, ताकि ऑक्सीजन और दवाओं की सप्लाई को बनाए रखा जा सके.

जैन का अनुरोध ऐसे दिन आया जब नई दिल्ली में, 24,375 नए मामले सामने आए, और जांच की सकारात्मकता दर 24.56 प्रतिशत थी. शहर में बिस्तरों, ऑक्सीजन, तथा दवाओं की तेज़ी से कमी हो रही है, और स्वास्थ्य देखभाल में लगे श्रमबल की भी, तंगी महसूस की जा रही है.

सरकार के कुछ वर्गों में ख़ासकर महामारी विज्ञानिकों के बीच, कुछ समय से टेस्टिंग, ट्रैकिंग, और कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की मूल रणनीति से, हटने की ज़रूरत महसूस की जा रही है, लेकिन केंद्र सरकार बिल्कुल मानने को तैयार नहीं है, कि कम्यूनिटी ट्रांसमिशन चल रहा है.

मीटिंग में कर्नाटक स्वास्थ्य मंत्री डॉ के सुधाकर ने भी, सरकार से अनुरोध किया कि तमाम सामाजिक, राजनीतिक, और धार्मिक जमावड़ों पर रोक लगाई जानी चाहिए, चूंकि इन्होंने सरकार को सार्वजनिक उपहास का पात्र बना दिया है.


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कम्यूनिटी ट्रांसमिशन घोषित करने का दिल्ली का अनुरोध

मीटिंग में मौजूद रहे एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया: ‘दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने सरकार से कम्यूनिटी ट्रांसमिशन घोषित करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि इससे ये सुनिश्चित होगा कि शहर, जो अपने स्वास्थ्य ढांचे पर पहले ही बेहद दबाव महसूस कर रहा है, अपने संसाधनों को पूरी तरह ज़िंदगियां बचाने पर फोकस कर सकता है, बजाय ट्रैकिंग और कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग पर ख़र्च करने के, जिसमें बहुत अधिक समय और श्रमबल लग रहा है’.

कम्यूनिटी ट्रांसमिशन का मतलब है, कि स्वास्थ्य सिस्टम वायरस के पथ से भटक गया है, और जो संक्रमण हो रहे हैं उनके स्रोत का पता नहीं चल पा रहा है. एक बार सरकार कम्यूनिटी ट्रांसमिशन को स्वीकार कर ले, तो महामारी नियंत्रण रणनीति अगले चरण में दाख़िल हो जाएगी, जो इसमें कमी का चरण होता है, जिसमें फोकस ये सुनिश्चित करने पर होगा, कि केवल वही लोग अस्पताल जाएं, जिन्हें वास्तव में चिकित्सा देखभाल की ज़रूरत है. इससे ये सुनिश्चित होगा कि ज़िंदगियां बच जाएंगी. ऐसे में संक्रमण पर नज़र रखना, या उससे नियंत्रित करना मुख्य रणनीति नहीं रहेगी.

दिल्ली फिलहाल कोविड-19 के अभूतपूर्व संकट से गुज़र रही है, और ये पहली बार नहीं है कि जैन ने, कम्यूनिटी ट्रांसमिशन शब्द का इस्तेमाल किया है. पिछले साल जून में, जब शहर में मामलों में पहली उछाल देखी जा रही थी, जैन ने था: ‘समुदाय के अंदर संक्रमण तो है, लेकिन ये कम्यूनिटी ट्रांसमिशन है या नहीं, ये केंद्र ही घोषित कर सकता है. ये एक तकनीकी शब्द है’.

वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों ने, जिनमें नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल के अधिकारी भी शामिल हैं, नाम छिपाने की शर्त पर स्वीकार किया, कि सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि काफी समय से, पूरा देश कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की स्थिति में चल रहा है, और यही कारण है कि सभी परिस्थितियों में, एक ही तरीक़ा अपनाने की बजाय, महामारी से निपटने के लिए स्थानीय हस्तक्षेप ज़्यादा ज़रूरी हैं.

केंद्र सरकार के लिए काम कर रहे, एक वरिष्ठ महामारी विज्ञानी ने पिछले हफ्ते दिप्रिंट से कहा था: ‘हर चीज़ का एक समय होता है. कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग का समय होता है, और फिर एक समय कम करते का होता है. क्या आपको मुमकिन लगता है कि हर रोज़, 1,60,000 से अधिक मामलों के 30 संपर्कों का पता लगाया जा सकता है?’

महामारी विज्ञानी ने आगे कहा था, ‘उसे भी छोड़िए. सिर्फ दिल्ली को लीजिए. सिर्फ 10,000 मामलों का ही मतलब है, कि हर रोज़ 3 लाख (संपर्क). इस तरह 15 दिन के लिए, जिस अवधि में इन लोगों पर निगरानी रखनी होती है, कुल 45 लाख लोग हो जाते हैं. क्या आपको लगता है कि राज्य के पास इस तरह के संसाधन हैं? कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग सिर्फ उन राज्यों में काम करेगी, जहां कुछ सौ मामले सामने आ रहे हों’.

स्वास्थ्य मंत्रालय के अंदर भी, बैठकों के दौरान अधिकारियों ने कहा है, कि अधिक बोझ वाले 268 ज़िलों में, समस्या से निपटने की रणनीति, देश के बाक़ी हिस्सों से अलग होनी चाहिए.


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कर्नाटक चाहता है जमावड़ों पर रोक

कर्नाटक स्वास्थ्य मंत्री सुधाकर का सभी तरह के सामाजिक, धार्मिक, और राजनीतिक जमावड़ों पर रोक लगाने की मांग करना, मीटिंग में उठाया गया एक दूसरा अहम मुद्दा था.

सुधाकर ने कहा कि केंद्र तथा राज्य दोनों सरकारें, ‘उपहास का पात्र’ बनने लगी हैं, क्योंकि ट्रांसमिशन की चेन तोड़ने के लिए, वो लोगों को अपनी आजीविका छोड़ने के लिए कह रही है, जबकि राजनीतिक नेता चुनावी रैलियां कर रहे हैं. मीटिंग में शरीक हुए एक अधिकारी ने बताया, ‘इससे लोगों में बहुत रोष पैदा हो रहा है, और निर्वाचन आयोग को तुरंत चुनावों को आगे बढ़ाने पर फैसला लेना चाहिए.

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