नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार को सूचित किया है कि बिहार और उत्तर प्रदेश के मानसिक रूप से कमजोर 58 लोग राज्य के सीमावर्ती जिलों में बंधुआ मजदूरों के रूप में काम करते पाये गये और इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए राज्य को उचित कार्रवाई करनी चाहिए.
पंजाब के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को पता चला है कि इन 58 लोगों को अच्छी पगार के वादे के साथ पंजाब लाया गया था लेकिन इनका शोषण किया गया और इन्हें नशीले पदार्थ देकर अमानवीय स्थितियों में काम करने को बाध्य किया गया.
गृह मंत्रालय ने बताया कि बीएसएफ ने सूचित किया है कि इन श्रमिकों को 2019 और 2020 में पंजाब के सीमावर्ती इलाकों गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर और अबोहर से बचाया गया.
पीटीआई-भाषा को प्राप्त हुई पत्र की प्रति के अनुसार, ‘पूछताछ के दौरान पता चला कि अधिकतर श्रमिक मानसिक रूप से कमजोर थे और पंजाब के सीमावर्ती गांवों में किसानों के साथ बंधुआ मजदूरों की तरह काम कर रहे थे.’
पत्र के अनुसार, ‘छुड़ाये गये लोग गरीब पारिवारिक पृष्ठभूमि के थे और बिहार तथा उत्तर प्रदेश के सुदूर इलाकों के रहने वाले थे.’
गृह मंत्रालय ने कहा कि इस बारे में सूचना मिली है कि मानव-तस्करी करने वाले गिरोह पंजाब में काम करने के लिए ऐसे मजदूरों को अच्छी पगार का वादा करके उनके पैतृक स्थानों से काम करने के लिए बुलाते हैं, लेकिन वहां पहुंचने के बाद उनका शोषण किया जाता है, बहुत कम वेतन दिया जाता है और उनके साथ अमानवीय बर्ताव किया जाता है.
पंजाब सरकार से इस मामले में की गयी कार्रवाई के बारे में भी प्राथमिकता से सूचित करने को कहा गया है.
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