नयी दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत के ‘टीका मैत्री’ अभियान को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की सदियों पुरानी परंपरा और मानवता के कल्याण की सोच पर आधारित बताते हुए बुधवार को कहा कि इससे दुनिया की फार्मेसी के तौर पर हमारी प्रतिष्ठा की फिर से पुष्टि हुई है और इस प्रकार से ‘मेक इन इंडिया’ पर भरोसा बढ़ा है.
लोकसभा और राज्यसभा में भारत की वैक्सीन मैत्री पहल पर बयान देते हुए जयशंकर ने कहा, ‘टीका आपूर्ति की हमारी पहल वसुधैव कुटुम्बकम की सदियों पुरानी परंपरा पर आधारित है. यह भारत की बढ़ती क्षमताओं का मानवता के लिये उपयोग करने की सरकार की सोच पर आधारित है.’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘कैरिबियाई देशों से लेकर प्रशांत द्वीपीय देशों तक संदेश स्पष्ट है कि भारत के प्रधानमंत्री न केवल इन सभी देशों के साथ व्यक्तिगत रूप से जुड़ना चाहते हैं बल्कि ठोस विकास कार्यक्रमों को समर्थन देना चाहते हैं.’
जयशंकर ने कहा, कि मानव केंद्रित वैश्विक सहयोग की सोच भारत के ‘टीका मैत्री’ अभियान का प्रेरक तत्व है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी का जब प्रभाव काफी अधिक था तब भी हमारी औषधि और चिकित्सा क्षमता की वैश्विक मांग थी. अगर हम उन मांगों को पूरा कर सके, तो यह कोविड-19 के संदर्भ में हमारी क्षमताओं को मजबूत बनाने के कारण हो सकी.
विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2020 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में डिजिटल माध्यम से अपने संबोधन में आश्वासन दिया था कि भारत के टीका उत्पादन और आपूर्ति क्षमता का उपयोग इस संकट से निपटने में पूरी मानवता के लिये किया जायेगा. उन्होंने कहा कि हमने टीके की आपूर्ति के लिये शीत श्रृंखला और भंडारण क्षमता को सुदृढ़ बनाया.
जयशंकर ने कहा कि टीका मैत्री अभियान की योजना बनाने एवं कार्यावन्यन करते हुए हमने वैश्विक समाज के समक्ष उत्पन्न इस कठिन समय में कदम बढ़ाने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित की.
उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में दुनिया की फार्मेसी के तौर पर हमारी प्रतिष्ठा की फिर से पुष्टि हुई और इस प्रकार से ‘मेक इन इंडिया’ पर भरोसा बढ़ा.
विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और हमारी सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप हम सभी को पता है कि हमारे यहां मृत्यु दर कम रही और सुधार दर उच्च रही है.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा हमारी क्षमताओं के बाहरी फायदे भी हुए. भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, पैरासिटामॉल एवं अन्य दवाओं की जरूरतों को पूरी दुनिया में पूरा करने का प्रयास किया.
जयशंकर ने कहा कि कोविड-19 महामारी जैसी वैश्विक चुनौती के दौर में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘गहरी मित्रता’ को लेकर जो कदम उठाए उससे भारत का विश्व में कद ऊंचा हुआ है और देश के प्रति सद्भाव की भावना निर्मित हुई.
विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि इस दौरान विश्व ने न सिर्फ भारत की ‘लोक केंद्रित कूटनीति’ और निस्वार्थ सेवा भाव को देखा बल्कि गुणवत्तापूर्ण उत्पादों को लेकर उसकी क्षमता का भी पता लगा.
उन्होंने कहा कि भारत में टीके की उपलब्धता और घरेलू मांगों का आकलन करने के बाद ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना के अनुरूप अब तक 72 देशों को कोविड-19 रोधी टीका उपलब्ध कराया गया है और कोरोना काल में दवाई से लेकर मास्क और पीपीई किट तक कई राष्ट्रों को मुहैया कराए गए हैं.
विदेश मंत्री ने टीका मैत्री अभियान के तहत मालदीव, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, मॉरीशस सहित खाड़ी देशों, कैरिबियाई देशों, अफ्रीकी देशों और प्रशांत द्वीपीय देशों को टीका भेजने का जिक्र किया.
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