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Thursday, 21 November, 2024
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यूपी में पास के गांव में मिला ‘चोरी’ हुआ भैंसा, मालिकाना हक के लिए की DNA टेस्ट की मांग

झिंझाना के किसान चंद्रपाल सिंह (40) ने आरोप लगाया कि 25 अगस्त 2020 को उसका चार साल का भैंसा चोरी हो गया और उसके तीन महीने बाद शामली से 40 किमी दूर सहारनपुर जिले के एक गांव में होने के बारे में उसे पता चला.

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की शामली पुलिस अपनी तरह के एक मामले की जांच कर रही है-जो कथित तौर पर चोरी हुए भैंसे का है. भैंसे के मालिकाना हक को लेकर चल रहे विवाद को निपटाने के लिए एक व्यक्ति ने इसका डीएनए टेस्ट कराने की मांग की है.

झिंझाना के किसान चंद्रपाल सिंह (40) ने आरोप लगाया कि 25 अगस्त 2020 को उसका चार साल का भैंसा चोरी हो गया और उसके तीन महीने बाद शामली से 40 किमी दूर सहारनपुर जिले के एक गांव में होने के बारे में उसे पता चला. पुलिस को दी अपनी शिकायत में चंद्रपाल ने बताया बीनपुर गांव में सत्यवीर सिंह नाम के आदमी के पास पशुओं के बाड़े में उसे भैंसा मिला.

गांव के मुखिया और पंचायत के अन्य वरिष्ठ सदस्यों सहित बीनपुर निवासियों ने हालांकि दावा किया कि भैंसा सत्यवीर का है, और यहां तक कि इस संबंध में पुलिस को लिखित बयान भी सौंपा.

नवंबर 2020 और फरवरी 2021 के बीच चंद्रपाल ने शामली पुलिस के पास कई शिकायतें दर्ज कराई हैं, जिसमें उसके भैंसे को वापस दिलाने या किसी अन्य पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने की अनुमति दिए जाने की अपील की. उन्होंने जांच की स्थिति जानने के लिए ‘सूचना का अधिकार कानून’ के तहत आवेदन भी दाखिल किए और पुलिस पर इस बारे में ‘गुमराह’ करने का आरोप लगाया. उनकी शिकायतों और उनकी सभी आरटीआई दलीलों की प्रतियां दिप्रिंट द्वारा एक्सेस की गई हैं.

4 फरवरी को शामली पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुकृति माधव को सौंपे अपने आरटीआई आवेदन में चंद्रपाल ने भैंसे का डीएनए टेस्ट कराने की मांग की थी.

सिंह ने अपने आवेदन में कहा, ‘इस मामले में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए भैंसे का डीएनए टेस्ट कराया जाना ज़रूरी है.’

पुलिस अधीक्षक माधव ने बताया कि उन्होंने चंद्रपाल से उनसे मिलने को कहा है. उन्होंने कहा, ‘हम देखेंगे कि डीएनए टेस्ट कराया जा सकता है या नहीं.’

हालांकि, पशुपालन विभाग के अधिकारी यह नहीं कह सकते कि किसी जानवर का इस तरह के टेस्ट पहले किए जाने का कोई उदाहरण मौजूद है. उन्होंने कहा कि हैदराबाद में सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी को सैंपल भेजकर भैंसे पर डीएनए टेस्ट किया जा सकता है. हालांकि उन्होंने कहा कि सटीक जानकारी के लिए भैंसे के माता-पिता के डीएनए के भी नमूने लेने की जरूरत होगी.


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क्या है पूरा मामला

दिप्रिंट से बात करते हुए चंद्रपाल ने कहा कि उन्होंने 25 अगस्त को शामली के अहमदगढ़ चौकी पुलिस स्टेशन में शिकायत सौंपी थी-जिस दिन उनका भैंसा कथित तौर पर चोरी हुआ था.

उन्होंने कहा, ‘3 बजे से 4 बजे के बीच का समय था. जब मैं उठा, यह (भैंसा) वहां नहीं था. उन्होंने कहा, ‘मैंने उसी दिन पुलिस को एक आवेदन सौंपा.’

उनकी पहली शिकायत के मुताबिक, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट ने देखी, सिंह ने आसपास के कम से एक दर्जन गांवों में भैंसे की तलाश की लेकिन उसका पता नहीं लग सका.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मुझे पुलिस ने बताया कि वे भैंसे की तलाश करने जा रहे हैं. लेकिन एक महीने बाद भी पुलिस की तरफ से मुझे कोई सूचना नहीं मिली.’

इसके बाद सिंह ने कहा कि उन्होंने खुद ही भैंसे की तलाश शुरू की और सहारनपुर जिले में 5 नवंबर को इसका पता चला.

उन्होंने कहा, ‘मैंने सहारनपुर के यमुना खादर क्षेत्र से अपनी खोज शुरू की, जहां मैंने बीनपुर गांव में अपने भैंसे को देखा. इसे एक शेड में दूसरे जानवर के साथ बांधा गया था, जो कि सत्यवीर सिंह का था. उन्होंने कहा, इसके बाद मैंने (अहमदगढ़) पुलिस को सूचित किया.

पुलिस ने बताया, 5 नवंबर को अहमदगढ़ पुलिस चौकी की एक टीम जांच के लिए चंद्रपाल के साथ बीनपुर गांव जांच के लिए गई, लेकिन ग्रामीणों ने दावा किया कि भैंसा सत्यवीर का है.

मामले की जांच करने वाले सब-इंस्पेक्टर धर्मेंद्र यादव ने दिप्रिंट से कहा, ‘मैं अपने लोगों के साथ बीनपुर गया था, लेकिन गांव के एक भी व्यक्ति ने नहीं कहा कि भैंसा सत्यवीर का नहीं है. गांव के निवासियों ने पुलिस को बताया कि वे भैंसे को (गांव में) जन्म से ही देख रहे हैं.

पंचायत के अन्य वरिष्ठ सदस्यों के साथ ग्राम प्रधान ने 19 नवंबर को शामली पुलिस के समक्ष लिखित बयान भी सौंपा था, जिसमें कहा गया था कि भैंसा सत्यवीर का है.


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‘एफआईआर दर्ज नहीं की’

चंद्रपाल के इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि पुलिस ने उन्हें जांच की स्थिति के बारे में गुमराह किया, यादव ने कहा, ‘उन्होंने एफआईआर दर्ज नहीं की. पुलिस ने उन्हें कई बार औपचारिक शिकायत दर्ज करने को कहा ताकि कोई कार्रवाई की जा सके.

पुलिस अधीक्षक माधव ने बताया कि जब पुलिस भैंसे को बरामद करने के लिए सहारनपुर गई तो वहां के स्थानीय निवासियों ने कहा कि ‘जानवर चोरी का नहीं है, बल्कि लंबे समय से इसके वर्तमान संरक्षक का ही है.’

‘चंद्रपाल चाहते हैं कि भैंसे का डीएनए टेस्ट किया जाए ताकि मालिकाना हक का पता लगाया जा सके. उन्होंने कहा कि मैंने उनसे सभी विवरण लेकर आने को कहा है ताकि आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा सके.’

पशुपालन विभाग के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस बीच, दिप्रिंट से कहा, ‘… किसान को अब सही से डीएनए टेस्ट कराने के लिए भैंसे के माता-पिता का पता लगाना पड़ेगा. चूंकि पुलिस भी इसमें शामिल है, इसलिए फॉरेंसिक टेस्ट की जरूरत है. उन्हें नमूनों को सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, हैदराबाद भेजना होगा.’

(देबलीना डे द्वारा संपादित)


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