कोलकाता की रैली में मिथुन चक्रवर्ती को पार्टी में शामिल करने को बड़े फलक पर पीएम मोदी द्वारा प्रदर्शित करना भाजपा के ओशोल पोरिवर्तन के वादे का खराब प्रचार है. थके-हारे और घोटाले का दाग लगे अभिनेता की कोई विश्वसनीयता नहीं है. क्षेत्रीय सांस्कृतिक प्रतीकों को अपने पाले में करना स्मार्ट राजनीति है लेकिन मिथुन पर दांव लगाना हताशा को धोखा देने जैसा है.