श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश): भारतीय अंतरिक्ष अनुंसधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के सिवन ने रविवार को यहां कहा कि इसरो ने 2021 के लिए 14 मिशन की योजना बनायी है जिनमें इस वर्ष के अंत में अंतरिक्ष एजेंसी का पहला मानवरहित मिशन शामिल है.
सिवन ब्राजील के अमेजोनिया-1 और 18 अन्य उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण के बाद यहां मिशन कंट्रोल सेंटर में वैज्ञानिकों को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से हमारे हाथ में कई मिशन हैं. हम इस साल 14 मिशन को अंजाम देने वाले हैं. सात प्रक्षेपण यान मिशन और छह उपग्रह मिशन, साथ ही वर्ष के अंत तक हमारा पहला मानवरहित मिशन. यह हमारा लक्ष्य है और वैज्ञानिक उस पर काम कर रहे हैं.’
इसरो ने गगनयान-मानव अंतरिक्ष मिशन से पहले दो मानवरहित अंतरिक्ष मिशन की योजना बनाई है. गगनयान मिशन के तहत 2022 तक तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने की परिकल्पना है. मिशन के लिए चुने गए चार टेस्ट पायलट अभी रूस में प्रशिक्षण ले रहे हैं.
सिवन ने उम्मीद जताई कि उनकी टीम हमेशा की तरह इस अवसर पर भी खरी उतरेगी और इसरो द्वारा निर्धारित सभी लक्ष्यों को पूरा करेगी.
पीएसएलवी-सी51 के जरिए ब्राजील के अमेजोनिया-1 और 18 उपग्रह
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपनी वाणिज्यिक इकाई ‘न्यू स्पेस इंडिया लिमिटिड’ (एनसिल) के प्रथम समर्पित मिशन के तहत रविवार को ब्राजील के अमेजोनिया-1 और 18 अन्य उपग्रहों का पीएसएलवी (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) सी-51 के जरिए यहां श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया. इन 18 उपग्रहों में से पांच उपग्रह छात्रों द्वारा निर्मित हैं.
इसरो के लिए इस साल के पहले मिशन के तहत सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसएचएआर) से पूर्वाह्न 10.24 बजे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) सी-51 के प्रक्षेपण के बाद उपग्रहों को एक-एक करके उनकी निर्धारित कक्षाओं में स्थापित किया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को पीएसएलवी सी-51/अमेजोनिया-1 के पहले समर्पित वाणिज्यिक प्रक्षेपण मिशन की सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि यह देश में अंतरिक्ष सुधारों के एक नए युग की शुरुआत है.
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने भी इसरो की सराहना की, जिसके आज के इस अभियान के साथ अब तक उसके द्वारा प्रक्षेपित विदेशी उपग्रहों की कुल संख्या बढ़कर 342 हो गई.
इसमें शामिल उपग्रहों में चेन्नई स्थित स्पेस किड्ज इंडिया (एसकेआई) का सतीश धवन सैटेलाइट (एसडी-सैट) नैनो उपग्रह भी शामिल है, जिस पर मोदी की तस्वीर उकेरी गई है और एक सुरक्षित डिजिटल कार्ड प्रारूप में भगवद गीता को भी भेजा गया है.
एसकेआई के अनुसार, मोदी की तस्वीर उनकी ‘आत्मनिर्भर’ पहल और अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों के लिए एकजुटता और आभार प्रकट करने के लिए अंतरिक्ष यान के सबसे ऊपरी पैनल पर उकेरी गई है.
पांच उपग्रह छात्रों द्वारा बनाए गए हैं
अधिकारियों ने कहा कि छात्रों द्वारा निर्मित पांच उपग्रहों में से, एसडी-सैट का उद्देश्य विकिरण का अध्ययन करना आदि है, जबकि यूनिटीसैट विश्वविद्यालयों द्वारा निर्मित एक उपग्रह है, जो रेडियो रिले सेवा प्रदान करने के लिए है. वहीं सिंधुनेत्र को बेंगलुरु स्थित पीईएस विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है और इसका इस्तेमाल उपग्रह से तस्वीरों प्राप्त कर संदिग्ध जहाजों की पहचान करने के लिए किया जाएगा.
अमेजोनिया-1, चार साल तक सेवा देने वाला पूर्ण रूप से ब्राजील निर्मित भू-अवलोकन उपग्रह है, जिसका उद्देश्य उपयोगकर्ताओं को अमेजन क्षेत्र में वनों की कटाई की निगरानी और ब्राजील के क्षेत्र में विविधतापूर्ण कृषि के विश्लेषण के लिए सुदूर संवेदन आंकड़े प्रदान करना है.
एसकेआई ने कहा कि मोदी की तस्वीर के अलावा, उसने एसडी-सैट पर 25,000 नाम भी भेजे हैं.
पीएम ने दी बधाई
मोदी ने ट्वीट किया, ‘पीएसएलवी-सी51/अमेजोनिया-1 मिशन के पहले सफल समर्पित वाणिज्यिक प्रक्षेपण के लिए एनएसआईएल (न्यूस्पेस इंडिया लिमिटिड) और इसरो को बधाई. यह देश में अंतरिक्ष सुधारों के एक नए युग की शुरुआत है.’
प्रधानमंत्री ने अमेजन-1 के सफल प्रक्षेपण पर ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो को भी बधाई दी और कहा कि यह दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष सहयोग में एक ऐतिहासिक क्षण है.
इससे पहले, 25.5 घंटे की उलटी गिनती पूरी होने पर चार चरण वाला 44.4 मीटर लंबा इसरो का प्रक्षेपण यान पीएसएलवी अपने 53वें मिशन के तहत चेन्नई से 100 किलोमीटर दूर यहां स्थित पहले लॉन्च पैड से पूर्वाह्न 10.24 बजे के निर्धारित समय पर आसमान को चीरते हुए अंतरिक्ष की ओर गया.
इसरो ने कहा, ‘लगभग 17 मिनट बाद, प्रक्षेपण यान ने अमेजोनिया -1 को उसकी लक्षित कक्षा में पहुंचाया और बाद के 1 घंटे 38 मिनट में सभी 18 सह- उपग्रहों को भी सफलतापूर्वक पूर्व-निर्धारित अनुक्रम में पीएसएलवी से अलग कर दिया गया.’
इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने इसे देश के लिए एक विशेष मिशन बताते हुए कहा कि एजेंसी ने उपग्रहों के निर्माण में विश्वविद्यालयों का मार्गदर्शन किया. उन्होंने कहा कि इससे भविष्य में उद्योग और शैक्षणिक संस्थान अपने स्वयं के उपग्रहों के निर्माण के लिए प्रोत्साहित होंगे.
अंतरिक्ष विभाग के सचिव सिवन ने भी कहा कि मिशन भी विशेष था क्योंकि पांच उपग्रह पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा घोषित नए अंतरिक्ष सुधारों के तहत आए थे.
केंद्र ने रॉकेट, उपग्रह बनाने और प्रक्षेपण सेवाएं प्रदान करने जैसी अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्रों के लिए खोलने का निर्णय लिया है.
रविवार का दिन इसरो की वाणिज्यिक इकाई न्यू स्पेस इंडिया लिमिटिड (एनसिल) के लिए भी खास दिन था. यह 2019 में अंतरिक्ष विभाग के तहत स्थापित सार्वजनिक क्षेत्र का एक उपक्रम है.
कक्षा में स्थापित अन्य उपग्रहों में से-चार इसरो के इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड अथॉराइजेशन सेंटर (आईएन-स्पेसई) से चार उपग्रह और एनएसआईएल के 14, जिसमें अमेरिका के 13 भी शामिल हैं.
ब्राजील के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार मंत्री मार्कोस पोंटिस ने यहां प्रक्षेपण देखा. उन्होंने कहा कि यह उनके देश और भारत के बीच मजबूत रिश्ते की शुरुआत है.
उन्होंने सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो की सराहना करते हुए कहा, भारत और ब्राजील मिलकर बहुत काम करेंगे.
उन्होंने यहां मिशन कंट्रोल सेंटर में कहा, ‘.. मैं यहां ब्राजील सरकार की ओर से बात कर रहा हूं. हम एक साथ काम करेंगे और हम एक साथ जीतेंगे…’
सिवन ने कहा, ‘आज पूरी इसरो टीम के लिए बहुत ही शानदार दिन है और पीएसएलवी-सी51 भारत के लिए एक विशेष मिशन है. मैं अमेजोनिया-1 और 18 अन्य उपग्रहों को सटीकता से उनकी कक्षा में पहुंचाने के लिए टीम इसरो को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं.’
उन्होंने कहा, ‘भारत और इसरो को ब्राजील द्वारा डिजाइन, एकीकृत और संचालित पहला उपग्रह प्रक्षेपित करने पर बेहद गर्व और सम्मान महसूस हो रहा है. इस उपलब्धि के लिए ब्राजील की टीम को हार्दिक बधाई.’
ब्राजील का उपग्रह 637 किलोग्राम वजन का है. यह भारत से प्रक्षेपित होने वाला पहला ब्राज़ीलियाई उपग्रह बन गया. यह नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च (आईएनपीई) का एक ऑप्टिकल पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है.
यूनिटीसैट के विकास में शामिल विश्वविद्यालय हैं- जेप्पियार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, श्रीपेरुम्बुदूर (जेआईटीसैट), जी एच रायसोनी कालेज आफ इंजीनियरिंग, नागपुर (जीएचआरसीईसैट), श्री शक्ति इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कोयंबटूर (श्री शक्ति सैट).
सिवन ने कहा, ‘विश्वविद्यालयों ने बहुत अच्छा काम किया है और इसरो ने उन्हें बढ़ावा दिया है और यह सुनिश्चित करने में उनकी मदद की है कि उपग्रहों को सही तरीके से बनाया जाए है और यह सुनिश्चित किया कि इसे कक्षा में सटीकता से प्रक्षेपित किया जाए. मुझे यकीन है कि यह मिशन देशभर में कई लोगों को उनके अपने उपग्रह बनाने के लिए उत्साहित करेगा.’
एसडी-सैट का उद्देश्य विकिरण स्तर, अंतरिक्ष मौसम का अध्ययन करना और लंबी दूरी की संचार प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करना है.
रविवार का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा से 78वां मिशन था और इसके साथ ही इसरो द्वारा 34 देशों के प्रक्षेपित किए गए विदेशी उपग्रहों की संख्या बढ़कर 342 हो गई है.
कोविड–19 महामारी के मद्देनजर, प्रक्षेपण केंद्र में सख्त मानदंड लागू किये गए थे और इस दौरान मीडिया कर्मियों को एकत्रित होने की अनुमति नहीं थी तथा सार्वजनिक गैलरी भी बंद रही.