मुंबई: मुंबई की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को गैंगस्टर इकबाल मिर्ची के दो पुत्रों और पत्नी को ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ घोषित किया. गैंगस्टर इकबाल मिर्ची के परिवार के तीनों सदस्यों को इसी नाम वाले एक आपराधिक कानून के प्रावधानों के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया. इकबाल मिर्ची की मृत्यु हो गई है. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी.
आरोपियों में मिर्ची की पत्नी हाजरा मेमन और पुत्रों जुनैद मेमन और आसिफ मेमन शामिल हैं.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एए नंदगांवकर की अदालत ने तीनों को भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम 2018 की धारा 12 के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया.
एक अधिकारी ने कहा, ‘अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय को कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद भारत और विदेशों में उनकी संपत्तियों को जब्त करने का निर्देश दिया.’
केंद्रीय जांच एजेंसी ने पिछले दिसंबर में अदालत का रुख किया था, जो धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामलों की सुनवायी के लिए विशेष अदालत भी है. एजेंसी ने 2018 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बनाये गए इस कानून के तहत तीनों को इस विधि का उल्लंघनकर्ता घोषित करने का अनुरोध किया था.
अदालत ने तीनों को 16 फरवरी को पेश होने के लिए नोटिस जारी किया था लेकिन चूंकि उन्होंने निर्देश का अनुपालन नहीं किया, तो अदालत ने शुक्रवार को यह घोषणा की.
ईडी ने तब (3 दिसंबर को दायर अर्जी आवेदन में) सीजे हाउस (मुंबई में) की तीसरी और चौथी मंजिल सहित 15 भारतीय संपत्तियों को जब्त करने के लिए अनुरोध किया था, जिसका बाजार मूल्य लगभग 96 करोड़ रुपये है और छह बैंक खातों जिसमें 1.9 करोड़ रुपये की राशि है.
ईडी ने मिर्ची, उसके परिवार और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था. इकबाल मिर्ची की 2013 में लंदन में 63 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई थी.
एजेंसी ने मिर्ची पर मुंबई और उसके आसपास विभिन्न संपत्तियों का ‘परोक्ष रूप से स्वामित्व’ होने का आरोप लगाया था.
ईडी ने मिर्ची और अन्य के खिलाफ मुंबई में महंगी अचल संपत्तियों की खरीद और बिक्री में कथित अवैध लेन-देन से जुड़े धनशोधन के आरोपों की जांच के लिए एक आपराधिक मामला दायर किया.
मिर्ची के बारे में आरोप लगाया जाता है कि वह वैश्विक आतंकवादी दाऊद इब्राहिम का दाहिना हाथ था.
इस मामले में एजेंसी द्वारा अब तक लगभग 798 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है.
एफईओ अधिनियम के तहत किसी व्यक्ति को तब भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जा सकता है यदि उसके खिलाफ 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक की राशि के अपराध के लिए वारंट जारी किया गया हो और वह देश छोड़कर चला गया है और वापस आने से इनकार करे.