scorecardresearch
Friday, 15 November, 2024
होमराजनीतिशिवसेना के गढ़ पर भाजपा की नज़र, अमित शाह का कोंकण दौरा महज एक शुरुआत है

शिवसेना के गढ़ पर भाजपा की नज़र, अमित शाह का कोंकण दौरा महज एक शुरुआत है

शाह ने कहा कि शिवसेना ने एमवीए का गठन करने के लिए कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करके अपने संस्थापक बाल ठाकरे की विचारधारा को ही त्याग दिया है.

Text Size:

मुंबई: शिवसेना के सबसे मजबूत किले मुंबई में आक्रामक तरह से अपनी धाक जमा लेने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी के दूसरे सबसे महत्वपूर्ण गढ़— कोंकण के बाकी तटीय इलाके—में हावी होने की कोशिश में जुट गई है.

यद्यपि भाजपा 2014 से इस दिशा में काम कर रही है, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के रविवार को सिंधु दुर्ग की यात्रा करने का खास मतलब था क्योंकि इसके साथ ही भाजपा ने शिवसेना को उसके गढ़ में खुली चुनौती देने का संकेत दे दिया है.

कोंकण क्षेत्र में भाजपा के विस्तार की जिम्मेदारी संभाल रहे पार्टी के एक एमएलसी प्रसाद लाड का कहना है, ‘हम पिछले कुछ सालों से अच्छी तरह सोच-समझकर कोंकण क्षेत्र में विस्तार की कोशिश में जुटे हैं. नारायण राणे के साथ आने से हमें विशेष रूप से सिंधु दुर्ग जिले में पैर जमाने का मौका मिल गया है. अमित शाह जी के कोंकण दौरे ने इस क्षेत्र को लेकर भाजपा की प्रतिबद्धताओं को पूरी मजबूती के साथ सामने रखा है.’

शिवसेना के पूर्व अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ठाकरे के कट्टर विरोधी रहे राणे ने 2017 में भाजपा के साथ खड़े होने के लिए कांग्रेस छोड़ दी और अंततः पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए.


यह भी पढ़ें: उर्मिला मातोंडकर ने कहा- हर पार्टी का एक अतीत है, महत्वपूर्ण यह है कि शिवसेना अब कैसे काम कर रही


अमित शाह सिंधु दुर्ग में

शाह रविवार को सिंधु दुर्ग स्थित राणे के गृह क्षेत्र कुडाल पहुंचे, जहां उन्होंने राणे द्वारा स्थापित सिंधु दुर्ग शिक्षण प्रसारक मंडल की तरफ से संचालित किए जाने वाले एक मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन किया. उन्होंने इस मंच का इस्तेमाल मुख्यमंत्री ठाकरे और महाविकास अगाड़ी (एमवीए) सरकार पर तीखे हमले करने के लिए किया.

शाह ने कहा कि शिवसेना ने एमवीए का गठन करने के लिए कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ गठबंधन करके अपने संस्थापक बाल ठाकरे की विचारधारा को ही त्याग दिया है. गृहमंत्री ने यह भी कहा कि ठाकरे उस समय यह झूठ बोल रहे थे जब उन्होंने लोगों से कहा कि भाजपा 2019 के चुनावों के बाद भगवा गठबंधन के सत्ता में आने पर सीएम पद साझा करने के अपने वादे से पलट गई है.

शाह ने कहा, ‘वे (शिवसेना) कहते रहते हैं कि हमने उन वादों को तोड़ा है, जिन्हें हमने कथित तौर पर बंद दरवाजों के पीछे किया था. पर मैं पूरी जोरदारी से कहना चाहूंगा कि मैंने कभी भी ‘बंद-दरवाजे’ की राजनीति नहीं की है. मैं पारदर्शिता में भरोसा करता हूं और जो भी वादा करता हूं सार्वजनिक मंच पर करता हूं.’

गृहमंत्री ने जून में चक्रवाद निसर्ग आने और उससे बड़े पैमाने पर घरों और लोगों की आजीविका को नुकसान पहुंचने के बावजूद एक बार भी रत्नागिरि-सिंधु दुर्ग बेल्ट का दौरा न करने को लेकर भी मुख्यमंत्री ठाकरे की आलोचना की, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने तीन बार वहां का दौरा किया और शाह को नियमित रिपोर्ट सौंपी.

ठाकरे ने चक्रवात के बाद रायगढ़ जिले में स्थित अलीबाग का दौरा किया था, तूफान अलीबाग के करीब ही तट से टकराया था.

लाड ने कहा, ‘कोंकण में भाजपा के कामकाज से शिवसेना बहुत ज्यादा परेशान है. राणे ने सिंधु दुर्ग में व्यावहारिक रूप से पार्टी को खत्म कर दिया है. शिवसेना के वरिष्ठ नेता भाजपा का दामन थामने की तैयारी में हैं. रत्नागिरी में पार्टी के भीतर गुटबाजी है, और अब अमित शाह की यात्रा ने कोंकण में भाजपा की स्थिति को और मजबूत कर दिया है.’

हालांकि, रत्नागिरी-सिंधु दुर्ग निर्वाचन क्षेत्र से शिवसेना के सांसद विनायक राउत ने कहा कि शिवसेना को कोंकण में डरने की कोई जरूरत नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘जब अमित शाह एक विशेष जिले का दौरा करते थे, तो यह उम्मीद की जाती थी कि केंद्रीय मंत्री के रूप में वे वहां के लिए कुछ बड़ी घोषणाएं करेंगे और इसके विकास पर बात करेंगे. इसके बजाय वह यहां पर सिर्फ सीएम, शिवसेना और सरकार की आलोचना ही करते रहे.

उन्होंने कहा, ‘हम उनकी यात्रा या फिर उन्होंने वहां जो कुछ भी कहा, उसको कोई अहमियत नहीं दे रहे हैं.’

शिवसेना ने एक तरह से शाह की यात्रा पर पलटवार करते हुए मंगलवार को सिंधु दुर्ग की वैभववाड़ी नगरपालिका परिषद से सात भाजपा पार्षदों को पार्टी में शामिल किया, जिससे स्थानीय भाजपा इकाई को करारा झटका लगा है, साथ ही इस बार जोर दिया कि शाह की यात्रा के बावजूद क्षेत्र में शिवसेना की मजबूत पकड़ बनी हुई है.

इन पार्षदों को राणे के बेटे नितेश राणे का समर्थक बताया जा रहा है, जिन्होंने पार्षदों के पाला बदलने पर अपनी प्रतिक्रिया में इसे राणे की तरफ से शिवसेना को वेलेंटाइन डे का तोहफा बताया है.

राणे के उत्तराधिकारी ने कहा, ‘वेलेंटाइन्स डे बस कुछ ही दिन दूर है और शिवसेना हमारा पुराना प्यार है, और किसी को भी अपना पुराना प्यार नहीं भूलना चाहिए.’ साथ ही जोड़ा शिवसेना क्षेत्र में इतनी कमजोर हो चुकी है कि उसके पास चुनाव लड़ने के लिए अपने मूल सदस्य तक नहीं हैं.


यह भी पढ़ें: न्यूमोकोकल वैक्सीन के आने से कैसे हर साल 50 हजार बच्चों की जान बचाई जा सकती है


कोंकण- शिवसेना का दूसरा गढ़

कोंकण क्षेत्र में मुंबई क्षेत्र को कवर करने वाले दो जिलों मुंबई सिटी और मुंबई उपनगर के अलावा रत्नागिरी, सिंधु दुर्ग, रायगढ़, ठाणे और पालघर जिले शामिल हैं.

पार्टी के शुरुआती दिनों से ही यह क्षेत्र शिवसेना का गढ़ रहा है. कोंकण क्षेत्र के मराठी युवा नौकरियों की तलाश में मुंबई आते हैं और पैसे अपने घर भेजते हैं, जिसके कारण कोंकण क्षेत्र, खासकर रत्नागिरी और सिंधु दुर्ग, सुरम्य ग्रामीण जिलों को अनौपचारिक रूप से ‘मनीऑर्डर इकोनॉमी’ की संज्ञा दी जाती है.

उस समय, शिवसेना का जोर इस बात पर था कि महाराष्ट्र में बाहर से आए प्रवासी मुंबई में अच्छी नौकरियां हथिया रहे हैं और स्थानीय महाराष्ट्रियों से मौके छीन रहे हैं. इस बात ने कोंकण के नौकरी चाहने वाले युवाओं और उनके परिवारों पर खासा असर डाला, जिससे कोंकण क्षेत्र के अन्य जिले भी पार्टी के लिए दूसरा गढ़ बन गए.

अभी मुंबई और ठाणे को छोड़कर बाकी कोंकण क्षेत्र में 21 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से तीन भाजपा के खाते में हैं, सिंधु दुर्ग की कांकावली, जहां से राणे के बेटे नीतेश राणे विधायक हैं, के अलावा पार्टी के पास दो सीटें रायगढ़ जिले में हैं. दूसरी ओर 10 सीटों पर शिवसेना का कब्जा है.

कोंकण में विस्तार की भाजपा की कोशिशें

1989 में शिवसेना के भाजपा संग गठबंधन किए जाने के बाद से ही भाजपा के साथ सीटों के बंटवारे की व्यवस्था में कोंकण निर्वाचन क्षेत्र हमेशा शिवसेना के हिस्से में रहा है. नतीजतन, इस क्षेत्र में भाजपा की उपस्थिति नाममात्र की ही रही है, जिसे पार्टी 2014 से ही बदलने की कोशिश में लगी थी ताकि शिवसेना पर निर्भर रहे बिना वह महाराष्ट्र को नियंत्रित करने में सक्षम हो सके.

कोंकण में शिवसेना के आधार में सेंध लगाने के भाजपा के प्रयास खुले तौर पर तब नजर आने शुरू हुए जब पार्टी ने राणे के साथ गठबंधन किया, जो उद्धव ठाकरे के साथ मतभेदों के बाद 2005 में शिवसेना को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

पार्टी में फडणवीस के विश्वासपात्र और विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दारेकर के अलावा लाड भी भाजपा के प्रशासनिक आधार को मजबूत करने के लिए लगातार कोंकण के जिलों का दौरा कर रहे हैं.

कोंकण में भाजपा के मुख्य मुद्दों में से एक है क्षेत्र का विकास न होना, खासकर रत्नागिरी और सिंधु दुर्ग, जिसकी वजह से यहां के युवा अब भी रोजगार के लिए पास के बड़े शहरों पर निर्भर हैं. पूर्व फडणवीस सरकार ने रत्नागिरि जिले में नानार रिफाइनरी परियोजना का प्रस्ताव रखा था जिसका शिवसेना ने कड़ा विरोध किया था, यहां इस मुद्दे पर भी काफी चर्चा हो रही है.

लाड ने बताया, ‘बहुत सारे संगठन अब खुद को परियोजना के पक्ष में जोड़ चुके हैं. हम परियोजना पर अमल की मांग को लेकर जल्द ही एक बड़ा विरोध मार्च निकालने की योजना बना रहे हैं.’

लाड ने कहा कि भाजपा की तरफ से किए जा रहे कामकाज का नतीजा क्षेत्र, खासकर राणे के गृह जिले सिंधु दुर्ग, में हाल ही में संपन्न ग्राम पंचायत चुनावों में उसकी बढ़ती टैली के तौर पर सामने है.

हालांकि, शिवसेना के राउत भाजपा के दावों को नकारते हैं. उनके मुताबिक, ‘भाजपा जब यह कहती है कि कोंकण में उसका प्रभाव बढ़ रहा है तो उसका क्या मतलब है? केवल सिंधु दुर्ग कोंकण नहीं है. इसमें सिर्फ तीन विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से भी भाजपा के पास सिर्फ एक सीट ही है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: 530 पन्नों की किताब, कॉन्फ्रेंस, एप– उद्धव सरकार किस तरह फिर से उठा रही कर्नाटक के साथ पुराना सीमा विवाद


 

share & View comments