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Wednesday, 20 November, 2024
होमहेल्थभारत बायोटेक के कोवैक्सीन के फेज-1 ट्रायल डेटा पर लांसेट का मत- 'कोई गंभीर विपरीत असर नहीं'

भारत बायोटेक के कोवैक्सीन के फेज-1 ट्रायल डेटा पर लांसेट का मत- ‘कोई गंभीर विपरीत असर नहीं’

पिछले महीने इसके नतीजों का एक प्री-प्रिंट जारी किया गया, जिससे पता चला कि ट्रायल में, वैक्सीन के तीनों फार्मूलों के नतीजे में मज़बूत इम्यून रेस्पॉन्स पैदा हुए.

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नई दिल्ली: भारत में ही विकसित कोविड-19 वैक्सीन, कोवैक्सीन के पहले दौर के क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे, बृहस्पतिवार को प्रसिद्ध मेडिकल पत्रिका दि लांसेट में प्रकाशित किए गए.

पिछले महीने जारी किए गए पेपर के प्री-प्रिंट से पता चला था कि वैक्सीन के तीनों फार्मूलों या ख़ुराकों से, मज़बूत इम्यून रेस्पॉन्स पैदा हुए थे, जिनकी तुलना 11 अस्पतालों में फैले 375 वॉलंटियर्स के स्वस्थ सीरम से की जा सकती है.

लांसेट के अनुसार, ‘सभी डोज़ वाले समूहों में वैक्सीन को अच्छे से सहन किया गया और वैक्सीन से जुड़ी किसी गंभीर घटना की ख़बर नहीं मिली’.

उसमें आगे कहा गया: ‘सबसे आम विपरीत असर था इंजेक्शन की जगह पर दर्द, उसके बाद थे सिरदर्द, थकान और बुख़ार’.

कोवैक्सीन भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के सहयोग से तैयार की है. इसी महीने वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की अनुमति मिली है, जबकि तीसरे दौर के ट्रायल का, उसका डेटा भी पूरा नहीं था. इससे एक विवाद भी खड़ा हो गया था.

स्टडी

कोवैक्सीन के पहले दौर के ट्रायल्स, पिछले साल 13 से 30 जुलाई के बीच किए गए थे. इसमें 375 प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जिनमें से 100-100 के तीन ग्रुप बनाए गए, जिन्हें वैक्सीन के अलग अलग डोज़ दिए गए. 75 प्रतिभागियों को लेकर एक कंट्रोल ग्रुप बनाया गया.

ये ट्रायल भारत के नौ राज्यों में, 11 अस्पतालों में किया गया और प्रतिभागियों की उम्र 18 से 55 वर्ष के बीच थी.

शुरूआत में प्रतिभागियों को कोविड-19 की जांच के लिए, स्वर्ण मान आरटी-पीसीआर टेस्ट से गुज़ारा गया. शुरुआती पूल में 827 लोग थे, लेकिन जिनका टेम्प्रेचर 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक था और जिन्हें वैक्सीन के किसी भी घटक से एलर्जी थी, उन्हें इससे बाहर कर दिया गया.

वैक्सीन के जो तीन फॉर्मूले दिए गए, वो थे ‘3 µg एलजेल-आईएमडीजी के साथ, 6 µg एलजेल-आईएमडीजी के साथ, या 6 µg एलजेल के साथ’.

एलजेल-आईएमडीजी, या एल्युमीनियम हाइड्रॉक्साइड जेल के ऊपर केमोसॉर्बेड इमिडैज़ोकुइनोलीन, एक सहायक होता है जिसे इम्यून रेस्पॉन्स बढ़ाने के लिए, वैक्सीन के साथ इस्तेमाल किया जाता है.

स्टडी के अनुसार, पहले ग्रुप के 17 लोगों में विपरीत असर की ख़बर मिली, दूसरे ग्रुप में 21 लोगों में, तीसरे ग्रुप में 14 लोगों में और कंट्रोल ग्रुप में 10 लोगों में.

तीसरे ग्रुप में केवल एक गंभीर विपरीत प्रभाव देखने में आया, जिसे 6 µg वैक्सीन एलजेल के साथ दी गई थी- वायरल न्यूमोनाइटिस का एक केस- जिसका रिसर्चर्स को पता चला कि वो वैक्सीन से संबंधित नहीं था.

पहले दौर के नतीजों में निष्कर्ष निकाला गया, ‘बीबीवी152 के नतीजे में सहनीय सुरक्षा परिणाम और बढ़े हुए इम्यून रेस्पॉन्स सामने आए. एलजेल-आईएमडीजी के दोनों फॉर्मूले, इम्युनोजेनेसिटी परीक्षण के लिए चुन लिए गए’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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