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Friday, 8 November, 2024
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किसान मई 2024 तक प्रदर्शन के लिए तैयार, यह आंदोलन वैचारिक क्रांति है: राकेश टिकैत

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 26 नवंबर, 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि तीनों नये कानूनों को वापस लिया जाए जिन्हें केंद्र ने कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार बताया है.

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नागपुर: भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि किसान केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ ‘मई 2024 तक’ प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं और दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसानों का आंदोलन ‘वैचारिक क्रांति’ है.

नागपुर में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी चाहते हैं.

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 26 नवंबर, 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि तीनों नये कानूनों को वापस लिया जाए जिन्हें केंद्र ने कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार बताया है.

किसानों ने आशंका जताई है कि नये कानून एमएसपी के सुरक्षा घेरे को समाप्त करने और मंडी प्रणाली को बंद करने का रास्ता साफ करेंगे.

उच्चतम न्यायालय ने गत मंगलवार को नये कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी.

टिकैत से जब पूछा गया कि किसान कब तक प्रदर्शन करेंगे, इस पर उन्होंने कहा, ‘हम मई 2024 तक प्रदर्शन करने को तैयार हैं. हमारी मांग है कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाए और सरकार एमएसपी को कानूनी गारंटी प्रदान करे.’

गौरतलब है कि देश में अगले लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई 2024 के आसपास ही होने की संभावना है.

‘अमीर किसानों’ द्वारा प्रदर्शन में मदद किये जाने के आरोपों को खारिज करते हुए टिकैत ने कहा कि गांवों और अनेक संगठनों के लोगों ने इसमें भाग लिया है.

उन्होंने कहा, ‘यह दिल्ली से शुरू हुई किसानों की वैचारिक क्रांति है और विफल नहीं होगी. गांवों में किसान चाहते हैं कि हम तब तक नहीं लौटें जब तक तीनों कृषि विधेयकों को वापस नहीं लिया जाता.’

टिकैत ने कहा, ‘सरकार विधेयकों को वापस नहीं लेने के अपने रुख पर अड़ी है और आंदोलन लंबे समय तक चलता रहेगा.’

उन्होंने कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया लेकिन कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा गठित समिति में जो सदस्य हैं, उन्होंने कृषि विधेयकों का समर्थन किया था.

टिकैत ने कहा, ‘हम अदालत द्वारा गठित समिति के समक्ष नहीं जाना चाहते. सरकार ने भी कहा है कि सरकार और किसान इस मुद्दे पर समाधान खोज लेंगे.’

उन्होंने यह भी कहा कि देश में विपक्षी दल कमजोर हैं और इसलिए किसानों को केंद्र के नये कानूनों के खिलाफ यह आंदोलन शुरू करना पड़ा.

किसानों के प्रदर्शन का समर्थन करने वाले कुछ लोगों को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के नोटिसों पर उन्होंने कहा, ‘जो लोग आंदोलन का हिस्सा बनना चाहते हैं, उन्हें अदालत के मामलों, जेल और संपत्ति सील किये जाने के लिए तैयार रहना चाहिए.’


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