नई दिल्ली: यह स्वाभाविक तो है ही और बिहार में पिछले साल के विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी की ओर से निर्धारित ट्रेंड के अनुरूप भी है कि चुनाव वाले राज्यों तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों ने भी अपने राज्य के लोगों के लिए मुक्त कोविड-19 टीके का ऐलान कर दिया है.
यही नहीं दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी घोषणा कर दी है कि दिल्लीवालों को वैक्सीन मुफ्त मिलेगी. वह भी इस तथ्य के बावजूद कि केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वे टीकों की खरीद पर अपने स्तर पर आगे न बढ़ें. अभी इस बात को लेकर भी कुछ स्पष्ट नहीं है कि आखिरकार वैक्सीन खरीद के लिए फंडिंग पैटर्न क्या होगा.
अब जबकि भारत ने कोविड टीकाकरण के राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत के लिए 16 जनवरी की तारीख निर्धारित कर दी है, लॉजिस्टिक व्यवस्था, वैक्सीन की उपलब्धता, वित्तपोषण, राज्यों द्वारा स्वतंत्र खरीद के विकल्प, लोगों को वैक्सीन देने में प्राथमिकता निर्धारित करने वाली कोमोर्बिडिटी और सबसे अहम लोगों का वह आंकड़ा जिनका सरकार टीकाकरण करना चाहती है जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्पष्टता की कमी बनी हुई है.
ये सारे सवाल ऐसे समय पर मुंह बाए खड़े हैं जबकि कोवैक्सीन की प्रभावकारिता डाटा की कमी और कोविशील्ड की स्वीकृत खुराक को लेकर विवाद जैसे मुद्दों को फिलहाल ताक पर रख दिया गया है.
दिप्रिंट आपके सामने ऐसे ही कुछ अनुत्तरित सवालों को रख रहा है जिन्हें ‘प्राथमिकता’ समूह वाले 3 करोड़ हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं का वैक्सीनेशन शुरू करने से पहले हल किए जाने की आवश्यकता होगी.
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किन लोगों लिए टीका मुक्त है?
मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक के बाद दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के अनुसार, यह 3 करोड़ स्वास्थ्य और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के लिए मुफ्त है.
लेकिन क्या यह केवल पहले 3 करोड़ लाभार्थियों के लिए ही मुफ्त है और दूसरों के लिए नहीं? इस पर अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं है, यहां तक कि भाजपा ने कई राज्यों में अपने घोषणापत्रों में सभी के लिए मुफ्त वैक्सीन का वादा किया है और अब अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री इसी राह पर चल रहे हैं.
वहीं, यह बात भी स्पष्ट नहीं है कि क्या भारत के सभी नागरिकों को वैक्सीन मिलेगी चाहे मुफ्त हो या नहीं. अभी यह तो तय है कि ट्रायल डाटा पूरा न होने के कारण फिलहाल बच्चों को टीकाकरण से बाहर रखा जाएगा. लेकिन वयस्कों के लिए भी भारत सरकार अब तक कई अलग तरह की बातें कह चुकी है.
अक्टूबर में द इकोनॉमिक टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात, मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जैसे ही और जब भी वैक्सीन उपलब्ध होगी तो सभी को टीका लगाया जाएगा. किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा. बेशक, शुरू में हम ज्यादा जोखिम वाले और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं की रक्षा पर फोकस करेंगे. कोविड-19 वैक्सीन के प्रबंधन का काम आगे बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया है’
लेकिन 1 दिसंबर को इस सवाल पर कि क्या कोविड टीका सभी के लिए मुफ्त होगा, स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने जवाब दिया, ‘सरकार ने कभी भी पूरे देश में टीकाकरण की बात नहीं कही है. इस बारे में तथ्यात्मक जानकारी हासिल करना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है.’
ऐसी भी चर्चाएं हैं कि टीकाकरण को प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान (पीएमजेएवाई) में शामिल किया जा सकता है, लेकिन उस पर कोई अंतिम निर्णय अभी नहीं हो पाया है.
क्या राज्य खुद टीके खरीद सकते हैं?
अभी तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. राज्यों के साथ पूर्व में हुई बातचीत के दौरान केंद्र ने विशेष रूप से कहा था कि वे वैक्सीन खरीदने पर अपनी तरफ से कोई कदम न बढ़ाएं. पिछले हफ्ते, स्वास्थ्य मंत्री के साथ बातचीत के दौरान कई राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने भी टीके की उपलब्धता और मूल्यों पर स्थिति को स्पष्ट करने का मुद्दा उठाया था.
राज्यों को पहले 3 करोड़ टीकाकरण—10 फीसदी के नुकसान के साथ करीब 6 करोड़ खुराक—के लिए कुछ भी भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी. लेकिन यह पता नहीं है कि टीके की लागत में राज्यों की हिस्सेदारी कितनी होगी.
सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत लगने वाले टीके केंद्र और राज्यों द्वारा 60:40 अनुपात में खरीदे जाते हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमें अभी तक नहीं पता है कि क्या इसमें भी इसी तरह का फॉर्मूला लागू होगा.’
जिन राज्यों ने मुफ्त टीके का वादा किया है उनमें पश्चिम बंगाल भी है. तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने वैक्सीन खरीदने से जुड़े झमेलों को जाने बिना ही यह वादा किया है कि राज्य में वैक्सीन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी और केंद्र से केवल विशिष्ट समूहों के बजाये सभी लोगों के लिए आवश्यकतानुसार टीके खरीदे जाएंगे.
नाम न छापने की शर्त पर पार्टी के एक सांसद ने कहा, ‘हमें केंद्र से वैक्सीन मिल जाएगी क्योंकि केवल वही हैं जिनके पास यह है. लेकिन हम अतिरिक्त खुराक के लिए भुगतान करेंगे.’ उन्होंने टीकों की पर्याप्त खुराक की उपलब्धता के सवाल पर कुछ नहीं कहा.
कौन-सी कोमोर्बिडिटी लोगों को ‘पात्र’ बनाएगी?
यह वर्तमान में सबसे धुंधली तस्वीर वाला मुद्दा है, स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से गठित समिति इस बात पर विचार कर रही है कि महामारी के दौरान सबसे ज्यादा जोखिम किसे है. यद्यपि महामारी के दौरान सबसे ज्यादा खतरे वाली स्थिति में उच्च रक्तचाप, मधुमेह या इम्यूनोकैम्प्रोमाइज वाले लोगों को पाया गया है.
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल ने 29 दिसंबर को साप्ताहिक ब्रीफिंग के दौरान कहा, ‘इस उद्देश्य के लिए कैंसर, किडनी, फेफड़े, हृदय रोग जैसी विभिन्न बीमारियों के लगभग 12 विशेषज्ञों का एक समिति गठित की गई है और यह सक्रिय रूप से इस पर काम कर रही है और हमें बहुत जल्द रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है, यह अगले कुछ ही दिनों में आ जाएगी.’
पैनल यह भी तय करेगा कि बीमारी की गंभीरता के आधार पर कैसे किसी पात्र को प्राथमिकता दी जाएगी. यह अभी स्पष्ट नहीं है कि क्या इसमें रोग किस चरण में हैं, के आधार पर विभिन्न श्रेणियां होंगी या नहीं, लेकिन गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के मामले में भारत पर एक बड़ा बोझ होने के मद्देनजर, सभी को वैक्सीन के लिए पात्रता की सूची में प्राथमिकता देना एक दुरूह कार्य होगा.
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘किसी व्यक्ति को प्राथमिकता देने के मामले में उदाहरण के तौर पर हमें ऐसी बातों पर विचार करना होगा कि शुरुआती स्तर पर एंटी-डायबिटीज दवा लेने वाले के बजाये उसे तरजीह दी जाए जो इंसुलिन पर है.’
फार्मेसी काउंटर पर टीके कब उपलब्ध होंगे?
स्वीकृत वैक्सीन का कितनी क्षमता से निर्माण होगा और अन्य दावेदारों को नियामक संबंधी बाधाएं पार करने में कितना समय लगेगा समेत इस सवाल का जवाब भी ज्यादातर लोगों को नहीं पता है.
सोमवार को राज्यों के साथ अपनी बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उम्मीद जताई थी कि जब तक पहले 3 करोड़ टीकाकरण होंगे, तब तक भारत के पास कोविड टीके के और ज्यादा विकल्प मौजूद होंगे.
कोविशील्ड वैक्सीन तैयार करने वाले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने कई साक्षात्कारों में कहा है कि उन्हें मार्च तक वैक्सीन बाजार में बेचने की स्थिति में आ जाने की उम्मीद है. हालांकि, यह उस दर पर निर्भर करेगा जिस पर उनकी कंपनी और भारत बायोटेक 30 करोड़ प्राथमिकता वाले वैक्सीन लाभार्थियों को टीका लगाने के लिए भारत सरकार को 66 करोड़ वैक्सीन की खुराक की आपूर्ति कर पाएगी.
अधिकारियों का कहना है कि अगर देश भर की फार्मेसी में वैक्सीन उपलब्ध हो जाती है तो इन 30 करोड़ में से कुछ को सरकार की सूची से हटाया जा सकता है. यह भी संभव है कि और ज्यादा टीकों को मंजूरी मिलने के बाद जो टीके सरकारी कार्यक्रम का हिस्सा नहीं हैं, उन्हें खुले बाजार में बेचा जाए.
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